Advertisment

अभिनेत्री ईशा कोप्पिकर का मानना है कि उम्र बढ़ना अभिनेत्रियों के लिए एक समृद्ध अनुभव

अभिनेत्री ईशा कोप्पिकर का मानना है कि उम्र बढ़ना अभिनेत्रियों के लिए एक समृद्ध अनुभव है। उनके अनुसार, जीवन के अनुभवों से मिली समझ को अभिनेत्री अपनी ताकत बना सकती हैं, जो उनकी अभिनय कला को और निखारता है।

author-image
YBN News
EishaKoppikar

EishaKoppikar Photograph: (IANS)

Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

मुंबई, आईएएनएस। अभिनेत्रीईशा कोप्पिकर का मानना है कि उम्र बढ़ना अभिनेत्रियों के लिए एक समृद्ध अनुभव है। उनके अनुसार, जीवन के अनुभवों से मिली समझ को अभिनेत्री अपनी ताकत बना सकती हैं, जो उनकी अभिनय कला को और निखारता है।

 अभिनेत्रियों के लिए एक समृद्ध अनुभव

ईशा ने 2019 में रिलीज हुई फिल्म 'सांड की आंख' का उदाहरण देते हुए कहा, "इस फिल्म में युवा अभिनेत्रियों को बुजुर्ग किरदारों में दिखाया गया। नीना गुप्ता ने भी सवाल उठाया था कि 50-60 साल की महिलाओं के किरदार के लिए 30 साल की अभिनेत्रियों को क्यों चुना जाता है? ऐसे में उन अभिनेत्रियों को मौका क्यों नहीं मिलता, जो अपनी प्रतिभा साबित कर चुकी हैं?"उन्होंने आगे कहा, "उम्र के साथ भावनात्मक समझ गहरी होती है, और यही गहराई किसी किरदार को खास बना सकती है।"

हर उम्र के किरदारों को जगह देना जरूरी

ईशा का मानना है कि फिल्मों में हर उम्र के किरदारों को जगह देना जरूरी है ताकि दर्शकों को वास्तविक और प्रासंगिक कहानियां देखने को मिलें। अभिनेत्री ने कहा, "जब हम फिल्मों में अलग-अलग सोच और अनुभवों को दिखाते हैं, खासकर उम्रदराज किरदारों को शामिल करते हैं, तो दर्शकों को ज्यादा जुड़ने वाली कहानियां देखने को मिलती हैं।"

फिल्म इंडस्ट्री अब सही दिशा में

हालांकि, अभिनेत्री ईशा कोप्पिकर को उम्मीद है कि फिल्म इंडस्ट्री अब सही दिशा में आगे बढ़ रही है। अभिनेत्री का कहना है कि पिछले कुछ सालों में ऐसी कई फिल्में बनी हैं जिनमें ज्यादा उम्र की महिलाओं को मुख्य किरदार में दिखाया गया है। साथ ही, रिप्रेजेंटेशन यानी हर उम्र, वर्ग और अनुभव के लोगों को जगह देने को लेकर बातचीत भी बढ़ी है।

Advertisment

एक सकारात्मक बदलाव

ईशा का मानना है कि यह एक सकारात्मक बदलाव है, जहां जवानों और समझदार, अनुभवी लोगों दोनों की कहानियों को बराबरी से दिखाया जा रहा है। ईशा कहती हैं, "उम्र को किसी सीमा के तौर पर नहीं, बल्कि एक मूल्यवान संपत्ति के रूप में देखा जाना चाहिए। फिल्मों में ऐसी कहानियां होनी चाहिए जो सच्ची लगें, और जिनमें हर उम्र के कलाकारों को अपनी कला दिखाने का मौका मिले।

Advertisment
Advertisment