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पहलवानी और अभिनयका कोई तालमेल नहीं है। दोनों क्षेत्र नदी के दो किनारे की तरह हैं जिनका मिलना संभव नहीं है। अपनी प्रतिभा और क्षमता से दोनों ही क्षेत्रों में जिन विरले लोगों ने सफलता पायी है, उनमें दारा सिंह का नाम अग्रणी है। दारा सिंह जब पहलवानी करते थे, तो उनके जैसा कोई पहलवान नहीं था और जब अभिनय करते हुए रामायण में भगवान हनुमान का किरदार निभाया, तो उनके जैसा को किरदार फिर कोई नहीं निभा पाया। निजी जीवन का किरदार और पर्दे पर दोनों जगह उन्होंने अमिट छाप छोड़ी।
19 नवंबर 1928 को अमृतसर में हुआ था जन्म
दारा सिंह का जन्म 19 नवंबर 1928 को अमृतसर, पंजाब में हुआ था। उनका असली नाम दीदार सिंह रंधावा था। बचपन से ही उन्हें पहलवानी का शौक था और इसी को उन्होंने अपना पेशा भी बनाया। 1950 के दशक में उन्होंने प्रोफेशनल फ्रीस्टाइल कुश्ती शुरू की। 1954 में उन्होंने कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप जीती। इसके बाद वे सिंगापुर, मलाया, हांगकांग, जापान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अफ्रीका, यूरोप और अमेरिका सहित दुनिया के लगभग सभी बड़े कुश्ती अखाड़ों में उतरे। उन्होंने विश्व के दिग्गज पहलवानों जैसे किंगकांग (हंगरी), जॉन डा सिल्वा, स्कीहिप्पर, जॉर्ज गॉर्डिएंको, लू थीज आदि को हराया। लगभग 500 से अधिक पेशेवर मुकाबलों में वे कभी नहीं हारे।
3 दशक तक पहलवानी की दुनिया में सक्रिय
लगभग 3 दशक तक पहलवानी की दुनिया में सक्रिय रहे दारा सिंह को रुस्तम-ए-हिंद, रुस्तम-ए-पंजाब और विश्व के अजेय पहलवान के रूप में जाना जाता था। 55 साल की उम्र में 1983 में उन्होंने पहलवानी को अलविदा कह दिया।
उनकी पहली फिल्म संगदिल
पहलवानी को अलविदा कहने के साथ ही उन्होंने अभिनय की दुनिया में कदम रखा। उनकी पहली फिल्म संगदिल थी, जो 1952 में रिलीज हुई थी। बतौर अभिनेता सशक्त पहचान उन्हें 1962 में रिलीज किंगकांग से मिली। इसके बाद फौलाद, समसोन, वीर भीमसेन जैसी अनेक फिल्मों में वे नजर आए। उन्होंने 150 से अधिक फिल्मों में काम किया।
दारा सिंह को फिल्मों में बड़ी और अमिट पहचान
अभिनय की दुनिया में दारा सिंह को बड़ी और अमिट पहचान छोटे पर्दे पर आई रामायण में निभाए बजरंगबली के किरदार से मिली। रामानंद सागर द्वारा निर्मित और निर्देशित इस पौराणिक सीरियल में भगवान हनुमान के किरदार को दारा सिंह ने जिस तरह अपनी मजबूत कदकाठी और अभिनय क्षमता से जीवंत किया है, उसका कोई सानी नहीं है। अभिनय के उस स्तर को उसके बाद भगवान हनुमान का किरदार निभाने वाला कोई अभिनेता नहीं छू पाया। जब भी भगवान हनुमान के किरदार की चर्चा होती है, दारा सिंह का चेहरा सामने आ जाता है। यह उनकी सफलता है।
2003 से 2009 तक राज्यसभा सांसद रहे
पहलवानी और सिनेमा के बाद दारा सिंह राजनीति के क्षेत्र में भी आए और 2003 से 2009 तक राज्यसभा सांसद रहे। दारा सिंह की आखिरी हिंदी फिल्म 2007 में रिलीज हुई 'जब वी मेट' थी। 12 जुलाई 2012 को 83 वर्ष की उम्र में मुंबई में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया।आईएएनएस
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