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Kantara: Chapter 1 के क्लाइमेक्स सीन पर Actor का खुलासा: सूजे हुए पैरों और थके शरीर के साथ की थी शूटिंग

कांतारा: चैप्टर 1 के निर्देशक और अभिनेता ऋषभ शेट्टी ने फिल्म के क्लाइमेक्स सीन की शूटिंग को लेकर बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि उस सीन को उन्होंने सूजे हुए पैरों और बेहद थके हुए शरीर के साथ शूट किया था।

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YBN News
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kantaracheptar1 Photograph: (IANS)

मुंबई। कांतारा: चैप्टर 1 के निर्देशक और अभिनेता ऋषभ शेट्टी ने फिल्म के क्लाइमेक्स सीन की शूटिंग को लेकर बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि उस सीन को उन्होंने सूजे हुए पैरों और बेहद थके हुए शरीर के साथ शूट किया था। ऋषभ ने कहा कि शूटिंग के दौरान वह मानसिक और शारीरिक रूप से पूरी तरह थक चुके थे, लेकिन भगवान और टीम के सहयोग से वह सीन सफलतापूर्वक पूरा हुआ। ‘कांतारा: चैप्टर 1’ फिल्म की कहानी ‘कंटारा’ की प्रीक्वल है।

क्लाइमेक्स सीन की शूटिंग

उन्होंने लिखा, “यह क्लाइमेक्स शूट के समय की बात है। सूजा हुआ पैर, थका हुआ शरीर… लेकिन आज वही क्लाइमेक्स लाखों लोगों को पसंद आ रहा है। यह सब उस दिव्य ऊर्जा की कृपा से संभव हुआ, जिस पर हम विश्वास करते हैं। सभी का दिल से धन्यवाद, जिन्होंने हमारा साथ दिया।” मालूम हो कि फिल्म ‘कांतारा: चैप्टर 1’ में ऋषभ शेट्टी का अभिनय बहुत पसंद किया, लेकिन पर्दे के पीछे उन्होंने इस फिल्म को बनाने के लिए जो कठिनाइयां झेलीं, वह बहुत कम लोग जानते हैं। सोमवार को ऋषभ ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक तस्वीर साझा की, जिसमें उनका सूजा हुआ पैर दिखाई दे रहा था। उन्होंने बताया कि उन्हें फिल्म के क्लाइमेक्स सीन की शूटिंग ऐसे ही की थी।

पटकथा दोबारा लिखनी पड़ी

इसके पहले ऋषभ ने बताया था कि ‘कांतारा: चैप्टर 1’ की पटकथा को अंतिम रूप देने में कितने प्रयास लगे। उन्होंने कहा कि इस प्रीक्वल की कहानी और हर पहलू को पूरी तरह सही बनाने के लिए करीब 15-16 बार पटकथा दोबारा लिखनी पड़ी। बातचीत में उन्होंने बताया, “पहले मैंने सोचा था 7-8 ड्राफ्ट होंगे, लेकिन असल में 15-16 बार हमें कहानी फिर से लिखनी पड़ी। हर बार नई नरेशन बनती रही, इसलिए ये सब नरेशन ड्राफ्ट थे।”

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एक पूरी बैकस्टोरी

उन्होंने आगे बताया कि पहले भाग में, हमने ज़्यादा ड्राफ्ट नहीं लिखे थे। हमने 3-4 ड्राफ्ट लिखे और 3-4 महीनों में लिखना पूरा कर लिया, और सीधे शूटिंग शुरू कर दी। यह बहुत आसान था। जब हमने प्रीक्वल बनाया, तो हमने चर्चा शुरू की। जब प्रीक्वल पर काम शुरू किया, तो हमने शिवा के पिता की कहानी से शुरुआत की। स्क्रिप्ट तैयार भी हो गई, पर बाद में लगा कि पहली फिल्म को एक ठोस पृष्ठभूमि चाहिए। तब हमने सोचा-चलो थोड़ा पीछे लौटते हैं, इसे शुरुआत की कहानी बनाते हैं, कोई दंतकथा नहीं।” ऋषभ ने बताया कि हमने इसे पूरा किया और फिर यह एक पूरी स्क्रिप्ट बन गई, तब हमें समझ आया कि हम इसे एक छोटे से हिस्से में नहीं कह सकते, यह एक पूरी बैकस्टोरी है। 

(इनपुट-आईएएनएस)

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