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महिलाओं की मजबूत कहानियों से गुजराती सिनेमा को नई पहचान देने में मेरा योगदान- मानसी पारेख

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेत्री मानसी पारेख अपनी आने वाली गुजराती डार्क कॉमेडी थ्रिलर 'शुभचिंतक' को लेकर चर्चा में हैं। वह इस फिल्म में मुख्य भूमिका निभा रही हैं। उन्होंने रीजनल सिनेमा के बदलते स्वरूप के बारे में बात की।

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YBN News
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ManasiParekh Photograph: (ians)

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मुंबई, आईएएनएस। राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेत्री मानसी पारेख अपनी आने वाली गुजराती डार्ककॉमेडी थ्रिलर 'शुभचिंतक' को लेकर चर्चा में हैं। वह इस फिल्म में मुख्य भूमिका निभा रही हैं। उन्होंने रीजनल सिनेमा के बदलते स्वरूप के बारे में बात की। उनका मानना है कि उन्होंने ऐसी फिल्मों में काम किया है जो महिलाओं की मजबूत भूमिकाएं दिखाती हैं और इस तरह उन्होंने गुजराती सिनेमा का स्तर ऊंचा उठाने में योगदान दिया है। 

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गुजराती सिनेमा का स्तर ऊंचा उठाने में योगदान

अपनी नई फिल्म 'शुभचिंतक' में अपने किरदार को लेकर बात करते हुए मानसी ने कहा कि उन्होंने अब तक कई तरह के अलग-अलग किरदार निभाए हैं।

मानसी ने कहा, " 'कच्छ एक्सप्रेस' में मैंने एक बहुत सीधी-सादी और शांत स्वभाव वाली पत्नी का किरदार निभाया था। 'झमकुड़ी' में मैं चुड़ैल बनी थी जो गांव में डर फैलाती है। 'डियर फादर' में मैंने एक जिद्दी बहू का किरदार निभाया था, जो अपने ससुर की बातों को नहीं मानती। लेकिन 'शुभचिंतक' में मेरा किरदार पहले से बिल्कुल अलग है। इसमें मैं एक ऐसी लड़की बनी हूं जो अपने भाई की मौत का बदला लेने के लिए एक अमीर लड़के को प्यार के जाल में फंसाती है। मैंने अब तक जितने भी किरदार निभाए हैं, वे सब एक-दूसरे से अलग थे, लेकिन ऐसा किरदार मैंने पहले कभी नहीं किया।"

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रीजनल सिनेमा के बदलाव

उन्होंने बताया कि इस फिल्म में उन्होंने कई ऐसे एक्शन सीन किए हैं जो उन्होंने पहले कभी नहीं किए थे। एक्ट्रेस ने कहा, "यह किरदार मेरे लिए एक कलाकार के तौर पर नई चुनौती थी। मेघना का किरदार निभाना मेरे लिए बहुत खास और शानदार अनुभव रहा, और मैं इस मौके के लिए बहुत आभारी हूं।"

रीजनल सिनेमा के बदलाव को लेकर मानसी ने कहा, "अब ज्यादा से ज्यादा लोग क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्में देख रहे हैं। गुजराती सिनेमा में भी कई नई फिल्में बन रही हैं। मुझे लगता है कि मेरा योगदान ये रहा है कि मैंने ऐसी फिल्में चुनीं जिनमें महिलाएं मुख्य और मजबूत किरदार निभाएं। मैंने कोशिश की है कि औरतों को केंद्र में रखकर अच्छी कहानियां बनाई जाएं।"

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महिलाओं का किरदार सबसे ज्यादा मायने

उन्होंने आगे कहा कि पहले फिल्मों में महिलाओं को ज्यादा अच्छी भूमिकाएं नहीं मिलती थीं। आज भी कुछ दिक्कतें हैं, लेकिन वह चाहती हैं कि औरतों को मजबूत और अहम किरदार मिलें, इसलिए वह ऐसी फिल्में चुनती हैं जिनमें महिलाओं का किरदार सबसे ज्यादा मायने रखता हो।

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