ट्रांस हिंडन, बाईबीएन संवाददाता। आवास विकास परिषद की मंडोला योजना में 14 वर्ष बाद भी तीन हजार से अधिक फ्लैट खाली हैं। खाली फ्लैटों को बेचने के उद्देश्य से गत दो वर्ष में 15 से 35 प्रतिशत की छूट देकर कई बार पंजीकरण खोला गया। सबसे बड़ा कारण यहां सुरक्षा समेत विभिन्न इंतजामों का नहीं होना है।।
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योजना में छह हजार से अधिक फ्लैट बने हुए हैं। वर्ष 2011 में इस योजना की शुरुआत आवास विकास परिषद ने किया था। इसके तहत दुर्बल आय वर्ग के साथ ही आसरा, सपना और गुलमोहर सोसायटी बनाई। इनमें अधिकतर दो से चार कमरों का फ्लैट है, जिनकी कीमत 15 लाख से लेकर एक करोड़ तक के बीच है। बावजूद इसके परिषद को अपनी इस योजना के लिए खरीदार नहीं मिल पा रहे। वहीं, इस मामले में वसुंधरा के संपत्ति कर प्रबंधक नृपेंद्र बहादुर सिंह का कहना है कि योजना के तहत थाने के लिए जमीन चिह्नित की गई है। उन्होंने बताया कि खाली फ्लैटों को बेचने के लिए जल्द ही आवास आयुक्त के दिशा-निर्देश पर नई नीति तैयार की जाएगी।
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सुरक्षा और अन्य सुविधाओं के अभाव में नहीं बिक रहे फ्लैट
परिषद की यह योजना मुख्य मार्ग से करीब पांच किमी. की दूरी पर है। यहां योजना तक जाने के लिए न तो कोई पब्लिक ट्रांसपोर्ट है और न ही इस मार्ग पर सुरक्षा की दृष्टि से कोई पुलिस चौकी या थाना है। वहीं, रोड के दोनों ओर खेत एवं खाली प्लॉट के साथ जंगल भी है। योजना के तहत बसाई गई सोसायटी को चार दिवारी से भी नहीं घेरा गया है। ऐसे में यहां जिन लोगों ने फ्लैट बुक भी कराए उनमें से बहुत से लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने अब तक पूरा पैसा जमा नहीं किया है।
योजना में 450 आवंटी को डिफाल्टर घोषित किया
एक वर्ष पूर्व आवास विकास परिषद ने मंडोला योजना में करीब 450 आवंटी को डिफाल्टर घोषित कर दिया था। इन आवंटियों ने अपने फ्लैट बुक कराकर एक से दो लाख रुपये जमा कर दिए और इसके बाद से इनका पता नहींं चल रहा है। इन्होंने न तो दूसरी किश्त आवास विकास में जमा की और न ही अपने फ्लैट पर कब्जा लेने पहुंचे। विभागीय अधिकारी का कहना है कि ऐसे लोगों की वजह से विभाग के 450 फ्लैट घिरे हुए हैं, इन्हें विभाग दूसरे व्यक्ति को बेच भी नहीं सकता। ऐसे में विभाग को करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है। दरअसल यह 450 आवंटी आसरा, सपना, गुलमोहर सभी योजनाओं में बुक हैं। जिनकी कीमत 15 लाख से एक करोड़ तक की है।