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Dowry-मोदीनगर में ससुराल के बाहर रेनू का धरना, दहेज की भूख ने तोड़ा रिश्ता, पुलिस बनी मूकदर्शक

गाजियाबाद क्राइम रेनू अभी भी ससुराल के बाहर अपने हक की लड़ाई लड़ रही है। पुलिस की कार्रवाई का इंतज़ार है, लेकिन सवाल ये है कि क्या रेनू को उसका घर और सम्मान वापस मिलेगा? या फिर दहेज की भूख एक और रिश्ते को निगल जाएगी?

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Kapil Mehra
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दहेज की रकम न मिलने पर विवाहिता को घर में नहीं दिया घुसने

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गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता 

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मोदीनगर की गोविंदपुरी कॉलोनी में ऐसा मामला सामने आया है, एक विवाहिता रेनू, अपने मायके वालों के साथ ससुराल के बाहर धरने पर बैठ गई।

वजह?

ससुराल वालों की दहेज की भूख, जो न सिर्फ रेनू को ताने मारती थी, बल्कि उसे अपने ही घर में घुसने से रोक रही थी। ये कहानी सिर्फ एक औरत की नहीं, बल्कि उस समाज की है, जहां दहेज जैसी कुप्रथा आज भी रिश्तों को तार-तार कर रही है। 

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रेनू की शादी और दहेज का दर्द

लोनी के बेहटा हाजीपुर निवासी अमीरूद्दीन ने अपनी बेटी रेनू का निकाह 14 दिसंबर 2023 को गोविंदपुरी के एक युवक के साथ बड़े धूमधाम से किया था। लेकिन ये खुशी ज्यादा दिन नहीं टिकी। रेनू का आरोप है कि ससुराल वाले निकाह में मिले दहेज से खुश नहीं थे। वो उसे ताने मारते और अतिरिक्त दहेज की मांग करते। गवने की रस्म के बाद ससुराल वालों ने रेनू को लेने से इनकार कर दिया, और तब से रेनू अपने मायके में ही रह रही थी।

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ईद का वादा और फिर धोखा

रेनू के परिवार ने ससुराल वालों को मनाने की कोशिश की। आखिरकार, ससुराल वालों ने ईद पर रेनू को लाने का वादा किया। लेकिन ईद आई और चली गई, ससुराल वाले नहीं आए। इतना ही नहीं, उन्होंने अपने मोबाइल फोन तक बंद कर लिए। रेनू और उसके परिवार के लिए ये धोखा बर्दाश्त से बाहर था। हारकर रेनू ने फैसला किया कि वो अपने हक के लिए लड़ेगी और वो ससुराल के बाहर धरने पर बैठ गई। 

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धरने पर रेनू, मूकदर्शक पुलिस

रेनू ने साफ कहा कि जब तक उसकी मांग पूरी नहीं होगी, वो धरने से नहीं हटेगी। बृहस्पतिवार दोपहर को सूचना मिलने पर पुलिस गोविंदपुरी कॉलोनी पहुंची। लेकिन हैरानी की बात ये कि ससुराल वालों ने दरवाजा तक नहीं खोला। पुलिस ने कुछ देर इंतज़ार किया और फिर बिना कोई कार्रवाई किए वापस लौट गई। रेनू और उसके परिवार का गुस्सा और बढ़ गया। क्या एक औरत का अपने घर में हक मांगना इतना बड़ा गुनाह है कि पुलिस भी उसका साथ नहीं देती?

एसीपी का बयान, लेकिन सवाल बाकी

एसीपी मोदीनगर ज्ञानप्रकाश राय ने कहा कि नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। लेकिन सवाल ये है कि 'नियमानुसार' कार्रवाई कब होगी? रेनू ससुराल के बाहर धरने पर बैठी है, ससुराल वाले दरवाजा बंद किए हुए हैं, और पुलिस खाली हाथ लौट रही है। क्या ये सिस्टम की नाकामी नहीं? क्या रेनू को इंसाफ के लिए और कितना इंतज़ार करना होगा? 

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रेनू की हिम्मत, समाज के लिए सबक

रेनू ने धरने पर बैठकर ये साबित कर दिया कि वो अपने हक के लिए चुप नहीं रहेगी। उसकी हिम्मत उन तमाम औरतों के लिए मिसाल है, जो दहेज के नाम पर प्रताड़ित होती हैं। लेकिन समाज और सिस्टम को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। पुलिस को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि ससुराल वालों को सबक मिले। साथ ही, हमें दहेज जैसी कुप्रथा को जड़ से उखाड़ने के लिए मिलकर काम करना होगा।

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