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केशव प्रसाद मौर्य को दिखाए गए बैनर
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के दौरे के दौरान एक अनोखा नजारा देखने को मिला। शहर के कुछ इलाकों में जनता द्वारा लगाई गई होर्डिंग्स ने सबका ध्यान खींचा। इन होर्डिंग्स पर लिखा था, "मंदिर मस्जिद हमारी आस्था है, पर शिक्षा हमारे बच्चों का अधिकार है, कृपया हमारी मदद कीजिए।" यह संदेश न केवल भावनात्मक था, बल्कि समाज की एक गहरी चिंता को भी उजागर कर रहा था।
होर्डिंग्स का मकसद और संदर्भ
गाजियाबाद, जो उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख औद्योगिक और शहरी केंद्र है, लंबे समय से शिक्षा और बुनियादी सुविधाओं के मुद्दों से जूझ रहा है। इन होर्डिंग्स के जरिए स्थानीय लोगों ने उपमुख्यमंत्री से बच्चों की शिक्षा को प्राथमिकता देने की अपील की है। संदेश में मंदिर-मस्जिद का जिक्र धार्मिक आस्था के प्रति सम्मान दर्शाता है, लेकिन साथ ही यह भी जोर देता है कि शिक्षा जैसा मौलिक अधिकार उससे कहीं अधिक जरूरी है। यह होर्डिंग्स जनता की उस भावना को प्रतिबिंबित करती हैं, जिसमें वे धार्मिक मुद्दों से ऊपर उठकर अपने बच्चों के भविष्य की चिंता कर रहे हैं।
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केशव प्रसाद मौर्य का दौरा
केशव प्रसाद मौर्य आज गाजियाबाद में एक सरकारी कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए थे। उनके दौरे के दौरान ये होर्डिंग्स शहर के प्रमुख चौराहों और सड़कों पर नजर आईं। मौर्य जो बीजेपी के एक प्रभावशाली नेता और ओबीसी समुदाय के बड़े चेहरे माने जाते हैं, जनता के बीच अपनी जमीनी छवि के लिए जाने जाते हैं। ऐसे में इन होर्डिंग्स को उनकी नजर में लाना स्थानीय लोगों का एक सोचा-समझा कदम माना जा रहा है।
जनता की उम्मीदें
होर्डिंग्स में की गई अपील से साफ है कि गाजियाबाद के लोग शिक्षा के क्षेत्र में सुधार चाहते हैं। सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी, बुनियादी ढांचे का अभाव और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच न होना जैसे मुद्दे लंबे समय से चर्चा में हैं। अभिभावकों का मानना है कि धार्मिक और राजनीतिक बहसों के बीच बच्चों का भविष्य दांव पर नहीं लगना चाहिए। एक स्थानीय निवासी ने कहा, हमारी आस्था अपनी जगह है, लेकिन अगर हमारे बच्चे पढ़-लिखकर आगे नहीं बढ़ेंगे, तो समाज कैसे तरक्की करेगा?
राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
यह होर्डिंग्स न केवल एक मांग को उजागर करती हैं, बल्कि राजनीतिक दलों के लिए भी एक संदेश हैं। उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी और अन्य पार्टियां जनता की नब्ज टटोल रही हैं। ऐसे में शिक्षा जैसे मुद्दे को उठाना सरकार पर दबाव बना सकता है। केशव प्रसाद मौर्य, जो ग्रामीण विकास जैसे महत्वपूर्ण विभाग संभालते हैं, से लोगों को उम्मीद है कि वह इस अपील पर ध्यान देंगे और ठोस कदम उठाएंगे।
आगे की राह
हालांकि, अभी तक मौर्य या उनकी टीम की ओर से इन होर्डिंग्स पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन यह घटना दर्शाती है कि जनता अब अपनी मांगों को सीधे और सृजनात्मक तरीके से सामने ला रही है। अगर सरकार इस मुद्दे पर संज्ञान लेती है, तो यह गाजियाबाद ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव की शुरुआत हो सकती है।
निष्कर्ष
गाजियाबाद में आज दिखाई गई ये होर्डिंग्स सिर्फ शब्दों का समूह नहीं, बल्कि एक मूक क्रंदन हैं, जो बच्चों के बेहतर भविष्य की उम्मीद लिए खड़ा है। "मंदिर मस्जिद हमारी आस्था है, पर शिक्षा हमारे बच्चों का अधिकार है यह नारा अब केवल होर्डिंग तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि नीति-निर्माताओं के लिए एक मार्गदर्शक बनना चाहिए। केशव प्रसाद मौर्य और उनकी सरकार इस पुकार को कितना सुनती है, यह आने वाला वक्त ही बताएगा।
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