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Ghaziabad- केशव प्रसाद मौर्य के दौरे से पहले वार्ड 95 की पार्षद को किया नजर बंद

केशव प्रसाद मौर्य के गाजियाबाद दौरे से ठीक पहले एक नया सियासी विवाद खड़ा हो गया है। जानकारी के मुताबिक, मौर्य के आज घंटाघर रामलीला मैदान में महर्षि कश्यप जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने से पहले

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Kapil Mehra
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फोटो जर्नलिस्ट सुनील कुमार

गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता 

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उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के गाजियाबाद दौरे से ठीक पहले एक नया सियासी विवाद खड़ा हो गया है। जानकारी के मुताबिक, मौर्य के आज घंटाघर रामलीला मैदान में महर्षि कश्यप जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने से पहले वार्ड 95 की पार्षद रुखसाना सैफी को नजरबंद कर दिया गया। इस कदम से सूबे की सियासत में तनाव बढ़ गया है और विपक्ष ने इसे लोकतंत्र पर हमला करार दिया है। 

पार्षद को किया नजरबंद 

सूत्रों के अनुसार, पार्षद को उनके आवास पर ही नजरबंद किया गया, ताकि वह डिप्टी सीएम के दौरे के दौरान किसी तरह का विरोध प्रदर्शन या हंगामा न कर सकें। पुलिस ने उनके घर के बाहर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था तैनात की है और उन्हें बाहर निकलने से रोका जा रहा है। इस घटना को लेकर सपा नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, यह सरकार की तानाशाही का नमूना है। विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए इस तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं, जो लोकतंत्र के लिए शर्मनाक है।

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पुलिस के पास थे खुफिया इनपुट्स 

वहीं, प्रशासन का कहना है कि यह कदम कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए उठाया गया है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, हमें खुफिया जानकारी मिली थी कि कुछ लोग डिप्टी सीएम के दौरे के दौरान शांति भंग करने की योजना बना रहे थे। इसे देखते हुए एहतियातन यह कार्रवाई की गई। हालांकि अधिकारी ने यह स्पष्ट नहीं किया कि सपा पार्षद को विशेष रूप से क्यों निशाना बनाया गया।

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केशव प्रसाद मौर्य का यह दौरा पहले से ही चर्चा में था, क्योंकि उन्होंने कार्यक्रम में समाजवादी पार्टी पर तीखा हमला बोला और उसे समाप्त पार्टी करार दिया। मौर्य ने सपा के 'पीडीए' (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) नारे को फर्जी बताते हुए कहा कि यह एक एजेंसी है, जिसके अध्यक्ष अखिलेश यादव और डायरेक्टर डिंपल यादव, गोपाल यादव व शिवपाल यादव हैं, और इसके शेयरहोल्डर अपराधी, माफिया और गुंडे हैं। इस बयान के बाद सपा और भाजपा के बीच जुबानी जंग और तेज हो गई है।

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सपा पार्षद को नजरबंद करने की घटना ने इस सियासी टकराव को और हवा दे दी है।पार्षद समर्थकों का आरोप है कि यह कार्रवाई मौर्य के बयान के खिलाफ संभावित विरोध को कुचलने की कोशिश है। दूसरी ओर, भाजपा नेताओं ने इसे प्रशासन का नियमित कदम बताया और कहा कि विपक्ष बेवजह मुद्दा बना रहा है।

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यह घटना उत्तर प्रदेश में बढ़ते राजनीतिक ध्रुवीकरण को दर्शाती है, जहां सत्तारूढ़ दल और विपक्ष के बीच तनातनी लगातार बढ़ रही है। आने वाले दिनों में इस मामले पर सपा की ओर से क्या कदम उठाया जाता है और प्रशासन इसका जवाब कैसे देता है, यह देखना दिलचस्प होगा। फिलहाल, गाजियाबाद में सियासी माहौल गरमाया हुआ है और सभी की नजर इस विवाद के अगले घटनाक्रम पर टिकी है। 

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