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Welcome - क्या आम क्या खास, महोदय ये है जिला गाजियाबाद का ट्रैफिक जाम

गाजियाबाद जिला कलेक्ट्रेट परिसर में कभी फसती है फायर ब्रिगेड की गाड़ी तो कभी फसते हैं जिलाधिकारी महोदय आज तो हद तब हो गई जब खुद फस गए खुद एडीएम महोदय।

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Kapil Mehra
ट्रैफिक जाम

जिलाधिकारी गाजियाबाद फंसे ट्रैफिक जाम में

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गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता 

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साहब यह गाजियाबाद का जाम है कहीं भी कभी भी लग सकता है, क्या जिला प्रशासनिक कार्यालय परिसर हो, क्या शहर का कोई चौराहा हो।

जाम लगाना अब आम बात

जी हां हम बात कर रहे हैं गाजियाबाद की VIP रोड पर स्थित जिला कलेक्ट्रेट परिसर की जहां कार्यालय है अडिशनल पुलिस कमिश्नर का, जहां कार्यालय है जिला अधिकारी महोदय का, जहां कोर्ट है जिला जज महोदय गाजियाबाद की, और जहां पर मौजूद है गाजियाबाद की कचहरी, नो पार्किंग जोन होने के बाद भी बाहर सर्विस रोड पर अवैध पार्किंग लगाई जाती है।

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ट्रैफिक जाम का सामना करते हैं IAS, PCS 

जिला कलेक्ट्रेट परिसर में अभी कुछ दिन ही पूर्व फायर ब्रिगेड की गाड़ी फस गई थी जिसको बड़ी मशक्कत के बाद वहां मौजूद पुलिस कर्मियों ने निकाला था,क्योंकि जिला कलेक्टर परिसर के अंदर भी आने वाले फरियादी या वीआईपी सज्जन अपनी गाड़ियां वहीं पर पार्क कर देते हैं।

जिलाधिकारी गाजियाबाद फंसे जाम में

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आलम यह है की पिछले सप्ताह जाम का शिकार गाजियाबाद के नए डीएम दीपक मीणा बने थे, दीपक मीणा जब अपने कार्यालय से निकलकर जिला जज के कार्यालय की तरफ जा रहे थे तब वह इस जाम में फंस गए थे, इसके बाद देखा गया था कि वहां मौजूद खड़े पुलिस कर्मियों के पसीने छूट गए थे बड़ी मशक्कत के बाद डीएम साहब जिला जज साहब के कार्यालय की तरफ प्रस्थान कर पाए थे।

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क्या आपात स्थिति में पुलिस तैयार है ?

जिले के डीएम के जाम में फंसने की घटना के बाद भी शायद जिला प्रशासन या पुलिस प्रशासन ने इसका संज्ञान गंभीरता से नहीं लिया होगा क्योंकि इसका परिणाम आज फिर जिला कलेक्ट्रेट परिसर में देखने को मिला जिसमें एडीएम साहब जब बाहर निकालने के लिए गाड़ी में बैठे तो उनकी गाड़ी इस जाम में फस गई। 

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कौन अधिकारी कौन आम आदमी "मैं जाम हूं"

अब देखने वाली बात है जब शहर में नियुक्त पीसीएस या आईपीएस अधिकारी जाम में फंस सकते हैं तो आम आदमी का शहर के जाम में क्या हाल होता होगा ?

पुलिस सिर्फ करती है चालान 

ट्रैफिक पुलिस कांस्टेबल या अधिकारी सिर्फ करते हैं चालान भरने की खानापूर्ति, जाम क्यों लग रहा है किस लिए लग रहा है, क्या उसका समाधान है उन्हें मतलब नहीं,  सिर्फ उन्हें तो चाहिए एक फोटो जो चालान की कार्रवाई अमल में ला सके।

बहरहाल, जहां गाजियाबाद में इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम को लागू करने के लिए कमर कसी जा रही है, वही क्या ट्रैफिक पुलिस शहर में लगने वाले लंबे जाम से शहर वासियों को छुटकारा दिला पाएगी, 

VIP रोड पर ई-रिक्शा किया गया था प्रतिबंधित

गाजियाबाद पुलिस कमिश्नर अजय मिश्र द्वारा पुराने बस स्टैंड से डासना फ्लाईओवर तक ई-रिक्शा को प्रतिबंधित किया था, जिससे रोड पर लगने वाले जाम में काफी कमी आई थी।

बरहाल VIP रोड का जाम थोड़ा तो काम हुआ, लेकिन शहर का जाम नियमित रूप से एक नए कृतिमान को रोज स्थापित कर रहा है। 

पुराने शहर को ट्रैफिक जाम से कौन निकाले ?

शहर के मुख्य चौराहे जैसे पुराना बस स्टैंड, चौक मालीवाडा चौक, सेठ मुकंदलाल चौक, हापुड़ मोड़ तिराहा, मेरठ तिराहा, शहीद स्थल मेट्रो स्टेशन, चौधरी मोड़, रमतेराम राम रोड, दिल्ली गेट, जस्सीपुरा आदि बहुत से उदाहरण है जहां नियमित रूप से बड़े जाम देखे जा सकते हैं।

हर शाख पर उल्लू बैठा है, अंजाम ए गुलिस्ता क्या होगा ? 

अब देखना है इस भयानक जाम वाली महामारी से गाजियाबाद ट्रैफिक पुलिस, गाजियाबाद पुलिस कमिश्नर साहब कैसे आम जनता को छुटकारा दिला पाएंगे

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