गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
गाजियाबाद के नामचीन स्कूलों पर चला प्रशासन का चाबुक, बड़े स्कूल है शिक्षा विभाग के रडार पर।
गाजियाबाद में 858 स्कूलों ने आपार आईडी बनाने का काम शुरू नहीं किया।
मंगलवार देर शाम ऐसे स्कूलों को नोटिस जारी कर सख्त हिदायत दी गई है।
''एक छात्र एक परिचय पत्र" के आधार पर जिले के सभी स्कूलों में आपार आईडी बनाने का काम तेजी से चल रहा है।
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नामी स्कूल नहीं ले रहे सुध
होली ट्रिनिडी चर्च स्कूल
सेंट पॉल अकैडमी राज नगर
माउंट कार्मेल स्कूल मुरादनगर
वनस्थली पब्लिक स्कूल मुरादनगर
सेंट मैरी स्कूल शास्त्री नगर
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निजी स्कूल नहीं कर रहे हैं सहयोग
अगर बात करें स्कूलों की तो सरकारी स्कूलों में 80% काम पूरा हो चुका है, वहीं सैकड़ो ऐसे स्कूल हैं जहां अभी तक एक भी बच्चे की आईडी नहीं बनाई जा सकी है, इस संबंध में DC रुचि त्यागी का कहना है कि जिले में आईसीएससी, सीबीएसई स्वपोषित सहित अन्य स्टेट बोर्ड के कुल 1862 स्कूल पंजीकृत है।
गाजियाबाद में स्कूलों के 56,4,422 छात्र छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
अगर आंकड़ों की बात करें तो इनमें से मात्र 170220 छात्रों की ही आईडी बन सकी है।
स्कूलों का खाता ही नहीं खुला
जिले में 858 स्कूल ऐसे हैं जिन्होंने अभी तक आपार आईडी बनाने के लिए कोई मन ही नहीं बनाया है।
नोटिस किया जारी
खंड शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से इन सभी स्कूलों को नोटिस जारी कर दिया गया है और स्कूलों को जल्दी आईडी का काम नहीं पूरा करने की सूरत में मान्यता रद्द करने की स्तुति की प्रक्रिया को अमल में लाया जाएगा।
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इन स्कूलों में 1,06,801 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, बेसिक शिक्षा अधिकारी ओपी यादव का कहना है कि सभी स्कूलों को सख्त हिदायत दे दी गई है कि यदि उन स्कूलों ने जल्द सील्ड काम नहीं शुरू किया तो कड़ी कार्रवाई शासन द्वारा करी जाएगी।
12,000 से अधिक बच्चों की आपार आईडी अभी भी नहीं बन पाई।
आपको बता दे सरकारी स्कूलों में अपार आईडी बनाने की आज अंतिम तिथि है लेकिन मंगलवार तक 73,870 बच्चों में से मात्र 61,705 बच्चों की ही अपार आईडी बनाई जा सकी है।
12165 बच्चों की अपार आईडी अभी भी अधर में लटकी हुई है,
इस संबंध में डीसी रुचि त्यागी का कहना है कि जिले में परिषदीय और जीआईसी मिलाकर कुल 459 स्कूल संचालित कर रहे हैं। दिन में 5 फरवरी तक आप पर आईडी बनाना जरूरी था।
आईडी ना बनने के मुख्य कारण
बच्चों का आधार कार्ड न होना, आधार और उदास की जानकारी का मिलन ना होना, अभिभावकों ने सहमति नहीं दी कुछ बच्चे दूसरों राज्यों में भी पंजीकृत हो चुके थे