गाजियाबाद, चीफ रिपोर्टर।
दिल्ली से सटे इस जिले में कब कौन और कहां कैसे अपराध या अपराधियों का शिकार बन जाए कोई नहीं जानता। ऐसा ही कुछ हुआ एक पांच वक्त की नमाज अता करने वाले नमाजी के साथ। भाईजान घर से नमाज पढ़ने के लिए ईदगाह गए। लेकिन इस धार्मिक क्रिया के दौरान कुछ क्रिमिनल ने उनके साथ कुछ ऐसा कर दिया कि उन्हें अब थाने के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। जो कुछ उनके साथ हुआ वो पुलिस चौकी के पास हुआ। लेकिन पुलिस को भनक तक नहीं लगी।
ये हैं पीड़ित नमाजी
सिटी जोन और गाजियाबाद विधानसभा क्षेत्र में आने वाले विजयनगर थाना क्षेत्र के कैला गांव निवासी आदिल पुत्र जावेद अंसारी घर से सुबह नमाज पढ़ने के लिए इलाके के सिद्धार्थ विहार में एलएनटी पुलिस चौकी के पास बनी ईदगाह में नमाज पढ़ने के लिए गए थे। इनके साथ ही वो घटना हुई जिससे न सिर्फ आदिल बल्कि उनके परिवार वाले भी सकते में हैं।
ये हुई वारदात
उन्होंने अपनी बाईक ईदगाह से कुछ दूरी पर स्थित पुलिस चौकी के पास एक फूल वाले की दुकान के पास सुरक्षा की दृष्टि से खड़ी कर दी। आदिल नमाज पढ़ने गए। वापस लौटे तो देखा उनकी मोटरसाईकिल गायब थी। आदिल ने आसपास के तमाम दुकानदारों से पूछताछ की। पुलिस को भी बताया, मगर बाइक या उसे गायब करने वालों का कोई सुराग नहीं लगा।
नमाज भूल चौकी से अफसरों तक खाए धक्के
चोरों ने जिस बाइक को गायब किया वो आदिल की अम्मी नाजरीन के नाम से रजिस्टर्ड थी। आदिल ने घटना की जानकारी होने के बाद घटना स्थल के पास गौर सिद्धार्थम के सामने बनी एलएंडटी पुलिस चौकी पर घटना की लिखित शिकायत की। कई घंटे आस-पास के लोगों से खुद पूछताछ और पड़ताल की। मगर कोई सुराग नहीं मिला। मामले की रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए आदिल लगातार चौकी से थाने और उच्चाधिकारियों के चक्कर काटने में लगा रहा। नमाज भूल ऊपर वाले की बजाय पुलिस के यहां गुहार लगाता रहा लेकिन अब तक न बाइक का कोई सुराग लग पाया है, न चोरों का।
15 दिन में दर्ज हुई FIR
पांचों वक्त के नमाजी बताए गए आदिल के साथ ये वारदात ईद की तड़के पढ़ी गई नमाज के दौरान बीती 31 मार्च को हुई थी। उस दिन से कल तक मजह एफआईआर दर्ज कराने के लिए आदिल को नमाज भूल चौकी से थाने और थाने से उच्चाधिकारियों के चक्कर काटने पड़े। तब जाकर 15 दिन बाद सोमवार को पुलिस ने घटना की रिपोर्ट दर्ज की है।
FIR में 15 दिन, तो चोर कब पड़ेगी कमिश्नरेट पुलिस?
हालाकि पुलिस कमिश्नर के हस्तक्षेप पर लगभग हर दिन केस रजिस्टर होते हैं। निचले अफसरों के निर्देश पर भी थाना-कोतवालियों में पुलिस लगभग हर दिन रिपोर्ट दर्ज करती है। मगर, सवाल दशकों पुराना है कि जब केस रजिस्टर्ड करने में 15-15 दिन लगेंगे तो चोर-लुटेरे कैसे पकड़े जाएंगे? ये हाल तब है जबकि जिले में वाहन चोरी की वारदातें ताबड़तोड़ हो रही हैं और उनकी बरामदगी लगभग ना के बराबर।