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Ghaziabad Crime - बेटे के कैरियर की खातिर चुप रही मां, गंवाए 56 लाख

यह घटना साइबर अपराधों की बढ़ती चुनौतियों को दर्शाती है, जहां ठग तकनीकी उपकरणों का इस्तेमाल करके लोगों को डराकर ठगी करते हैं। गाजियाबाद जैसे क्षेत्रों में इस तरह के मामले बढ़ रहे हैं।

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Kapil Mehra
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गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता 

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यह कहानी गाजियाबाद की एक बुजुर्ग महिला, अर्चना खरे, की है।

जिन्हें साइबर ठगों ने 56 लाख रुपये की ठगी का शिकार बनाया।

ठगों ने 28 दिन तक "डिजिटल अरेस्ट" में रखकर धमकी दी और पैसे ट्रांसफर करवाए।

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पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है, लेकिन ठगों की पहचान अभी तक स्पष्ट नहीं है।

गाजियाबाद के वैशाली सेक्टर छह की रहने वाली अर्चना खरे को साइबर ठगों ने फोन करके खुद को टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी और सीबीआई का अधिकारी बताया। उन्होंने दावा किया कि उनके फोन और आधार नंबर से अवैध गतिविधियां, जैसे हवाला और अश्लील संदेश, जुड़ी हैं। ठगों ने उनकी और उनके बेटे के करियर को नुकसान पहुंचाने की धमकी दी, जिसके कारण महिला ने चुप रहना उचित समझा और 56 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए।

ठगी का तरीका

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ठगों ने रोज शाम को वाट्सएप वीडियो कॉल के जरिए महिला को "डिजिटल अरेस्ट" में रखा। उन्होंने कहा कि उनके बेटे को यूके में बुलाया जा सकता है और उन्हें घर पर ही नजरबंद रखा गया। इस दौरान, उन्होंने महिला को डराकर पैसे ट्रांसफर करवाए।

पुलिस की कार्रवाई

साइबर थाना पुलिस ने इस मामले में रिपोर्ट दर्ज कर ली है और जांच शुरू कर दी है। अभी तक ठगों की पहचान नहीं हो पाई है, लेकिन पुलिस प्रयास कर रही है।

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ऑपरेशन सवेरा की निकली हवा

यह लेख गाजियाबाद में हुई एक साइबर ठगी की घटना पर आधारित है, जहां एक बुजुर्ग महिला, अर्चना खरे, को 56 लाख रुपये की ठगी का शिकार बनाया गया। इस घटना ने साइबर अपराधों की बढ़ती चुनौतियों को उजागर किया है, खासकर डिजिटल अरेस्ट स्कैम के संदर्भ में। नीचे दी गई जानकारी इस मामले की विस्तृत पड़ताल और समान घटनाओं के संदर्भ में दी गई है।

क्या हुआ था

अर्चना खरे, जो गाजियाबाद के वैशाली सेक्टर छह में रहती हैं, को 1 अप्रैल, 2025 को एक फोन कॉल प्राप्त हुआ, जिसमें ठग ने खुद को टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी का अधिकारी बताया। उन्होंने दावा किया कि उनके फोन का गलत इस्तेमाल हो रहा है और उन्हें दिल्ली मुख्यालय आकर रिपोर्ट दर्ज करानी होगी। बाद में, एक अन्य व्यक्ति ने वीडियो कॉल पर संपर्क किया और कहा कि उनके मोबाइल नंबर से अश्लील संदेश भेजे गए हैं।

इसके बाद, ठगों ने केस को सीबीआई में ट्रांसफर करने का दावा करते हुए कहा कि उनके आधार नंबर से कनाट प्लेस, दिल्ली के एक बैंक में सिम खरीदा गया है और 100 से ज्यादा खाते खोले गए हैं, जिनमें हवाला के पैसे आते हैं।

उन्होंने धमकी दी कि उनके बेटे के करियर को नुकसान पहुंचाया जा सकता है और वरिष्ठ नागरिक होने के कारण उन्हें घर पर ही "डिजिटल अरेस्ट" में रखा गया।ठगों ने रोज शाम 5:30 से 6:00 बजे तक वाट्सएप वीडियो कॉल पर महिला को रखा और 28 दिन तक इस तरह का दबाव बनाए रखा। इस दौरान, उन्होंने 56 लाख रुपये उनके खातों से ट्रांसफर करवाए।

पुलिस की कार्रवाई और जांच

मामले की शिकायत मिलने के बाद, साइबर थाना पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की और जांच शुरू कर दी। हालांकि, अभी तक ठगों की पहचान नहीं हो पाई है, लेकिन पुलिस प्रयासरत है। इस तरह के मामलों में अक्सर ठग विदेशी सर्वर का इस्तेमाल करते हैं, जिससे उनकी ट्रैकिंग मुश्किल हो जाती है।

समान घटनाओं का विश्लेषण

इस घटना के समान कई अन्य मामले भी सामने आए हैं, विशेष रूप से गाजियाबाद और आसपास के क्षेत्रों में। उदाहरण के लिए, 21 अक्टूबर, 2024 को गाजियाबाद के एक सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी, प्रीतम सिंह चौहान, को भी डिजिटल अरेस्ट स्कैम में 60 लाख रुपये की ठगी का शिकार बनाया गया।

ठगों ने उन्हें भी सीबीआई के अधिकारी बनकर फोन किया और मनी लॉन्ड्रिंग और बाल तस्करी के आरोप लगाए।इस मामले में, ठगों ने 6 दिन तक वीडियो कॉल पर दबाव बनाया और अतिरिक्त 50 लाख रुपये की मांग की।

यह घटना उपयोगकर्ता द्वारा दी गई कहानी से मिलती-जुलती है, हालांकि नाम और राशि में थोड़ा अंतर है। यह संभावना है कि उपयोगकर्ता ने वास्तविक घटना का हवाला दिया हो, लेकिन कुछ विवरण गलत याद किए हों।

डिजिटल अरेस्ट स्कैम

डिजिटल अरेस्ट स्कैम पूरे भारत में तेजी से बढ़ रहे हैं। India Today की रिपोर्ट के अनुसार, 2024 की पहली चार महीनों में ही लोगों ने इस स्कैम में 120 करोड़ रुपये गंवाए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने "मन की बात" कार्यक्रम में इस स्कैम के बारे में चेतावनी दी थी, जिसमें उन्होंने कहा कि कोई भी जांच एजेंसी फोन या वीडियो कॉल पर पूछताछ नहीं करती।

इस तरह के स्कैम में ठग अक्सर वाट्सएप, स्काइप या अन्य वीडियो कॉल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हैं और पीड़ित को कानूनी कार्रवाई की धमकी देकर पैसे ट्रांसफर करवाते हैं। विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिक और कम तकनीकी जानकारी वाले लोग इन स्कैम्स का आसान शिकार बनते हैं।

सावधानी बरतने के उपाय

इस तरह की ठगी से बचने के लिए निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए:

किसी अज्ञात नंबर से आने वाले कॉल पर विश्वास न करें, खासकर यदि वे सरकारी अधिकारी बनकर बात कर रहे हों।

किसी भी तरह के धमकी या दबाव में आकर पैसे ट्रांसफर न करें।ऐसे मामलों में तुरंत पुलिस को सूचित करें और राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर शिकायत दर्ज करें।

अपने बैंक खातों और व्यक्तिगत जानकारियों को सुरक्षित रखें और किसी को भी ओटीपी या पासवर्ड शेयर न करें।

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