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डॉक्टरों को समाज में भगवान का रूप माना जाता है, क्योंकि वे न केवल लोगों की जान बचाते हैं, बल्कि उनके दुख-दर्द को कम करने का भी प्रयास करते हैं। लेकिन कई बार ऐसी घटनाएं सामने आती हैं, जो इस पवित्र पेशे की गरिमा को ठेस पहुंचाती हैं और डॉक्टरों को भी असुरक्षित महसूस करवाती हैं।
ऐसा ही एक ताजा मामला उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के थाना विजय नगर क्षेत्र के प्रताप विहार इलाके से सामने आया है, जहां एक निजी नर्सिंग होम में मरीज के तीमारदारों ने डॉक्टरों के साथ बदतमीजी और मारपीट की। इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ, जिसने न केवल चिकित्सा समुदाय को झकझोर दिया, बल्कि डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल भी खड़े कर दिए।
क्या है पूरा मामला?
घटना गाजियाबाद के प्रताप विहार स्थित आस्था हॉस्पिटल की है, जहां कुछ लोगों ने, जो कथित तौर पर शराब के नशे में थे, अस्पताल में हंगामा मचाया। इन तीमारदारों ने न केवल डॉक्टरों के साथ मारपीट की, बल्कि नर्सिंग स्टाफ के साथ भी अभद्र व्यवहार किया। अस्पताल में तोड़फोड़ की गई और महिला स्टाफ के साथ बदतमीजी की गई। पूरी घटना अस्पताल के सीसीटीवी कैमरों में कैद हो गई, और इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद यह मामला सुर्खियों में आ गया।
इस घटना ने चिकित्सा समुदाय में रोष पैदा कर दिया। गाजियाबाद के इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने इस मामले को गंभीरता से लिया और डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग को लेकर एकजुट होकर कार्रवाई की।
IMA का पुलिस कमिश्नर को ज्ञापन
घटना के चार दिन बाद भी दोषियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई न होने से नाराज डॉक्टरों ने 21 मई, 2025 को गाजियाबाद के पुलिस कमिश्नर जे. रविंदर गौड़ को एक ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन में डॉक्टरों ने अपनी सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता जताई और मांग की कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं। आईएमए के प्रतिनिधियों ने कहा, डॉक्टरों को ‘धरती के भगवान’ कहा जाता है, लेकिन अगर हम खुद सुरक्षित नहीं होंगे, तो मरीजों का इलाज कैसे कर पाएंगे?
डॉक्टरों ने यह भी चेतावनी दी कि अगर उनकी सुरक्षा के लिए उचित कदम नहीं उठाए गए, तो वे धरना और आंदोलन जैसे कदम उठाने को मजबूर होंगे। उन्होंने मांग की कि अस्पतालों और नर्सिंग होम्स में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएं, ताकि चिकित्सक बिना किसी डर के अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सकें।
पुलिस कमिश्नर का आश्वासन
ज्ञापन मिलने के बाद, गाजियाबाद के पुलिस कमिश्नर जे. रविंदर गौड़ ने डॉक्टरों को आश्वासन दिया कि जिले के सभी डॉक्टरों और चिकित्सा कर्मियों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। पुलिस कमिश्नर ने यह भी बताया कि आस्था हॉस्पिटल में हुई घटना की जांच चल रही है और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर आरोपियों की पहचान की जा रही है।
पुलिस कमिश्नर ने यह भी उल्लेख किया कि गाजियाबाद पुलिस पहले से ही कई नई पहल कर रही है, जैसे कि बीट पुलिसिंग सिस्टम और शिकायतकर्ताओं को उनके घर पर ही एफआईआर की कॉपी उपलब्ध कराना, ताकि कानून व्यवस्था को और मजबूत किया जा सके।
डॉक्टरों की सुरक्षा: एक गंभीर मुद्दा
यह घटना कोई पहला मामला नहीं है, जब डॉक्टरों या चिकित्सा कर्मियों के साथ बदसलूकी या हिंसा की खबर सामने आई हो। हाल के वर्षों में, देश के विभिन्न हिस्सों में ऐसी कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। उदाहरण के लिए, मई 2024 में दिल्ली के उत्तम नगर में बीएम गुप्ता हॉस्पिटल में आग लगने की घटना के बाद भी चिकित्सा कर्मियों की सुरक्षा पर सवाल उठे थे। इसके अलावा, गुरुग्राम के मेदांता हॉस्पिटल में एक एयर होस्टेस के साथ यौन उत्पीड़न की घटना ने भी चिकित्सा संस्थानों में सुरक्षा व्यवस्था की खामियों को उजागर किया था।
ऐसी घटनाएं न केवल चिकित्सकों के मनोबल को तोड़ती हैं, बल्कि मरीजों के इलाज की गुणवत्ता पर भी असर डालती हैं। एक सुरक्षित कार्यस्थल न केवल डॉक्टरों के लिए, बल्कि मरीजों और उनके परिजनों के लिए भी जरूरी है।
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