गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
वेव सिटी, जो कभी आधुनिक टाउनशिप का सपना लेकर उभरी थी, आज एक अलग ही जंग का मैदान बन चुकी है। थाना वेव सिटी क्षेत्र में किसानों और वेव सिटी प्रबंधन के बीच लंबे समय से चल रहा विवाद अब खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है। 17 मार्च 2025 से शुरू हुआ किसानों का धरना अब उग्र आंदोलन की शक्ल ले चुका है, जहां आत्मदाह जैसी चरम चेतावनी ने प्रशासन और स्थानीय लोगों को सकते में डाल दिया है।
धरना स्थल पर रात का हमला
बुधवार देर रात एक चौंकाने वाली घटना ने इस आंदोलन को और भड़का दिया। जानकारी के मुताबिक, वेव सिटी की कुछ महिलाओं और अन्य लोगों ने धरना स्थल पर पहुंचकर वहां लगे तंबुओं और सामानों को क्षतिग्रस्त कर दिया। यह हरकत किसानों के लिए आग में घी डालने जैसी साबित हुई। बृहस्पतिवार सुबह जब किसान अपने धरना स्थल पर पहुंचे तो टूटे-फूटे सामान और बिखरे हुए तंबुओं को देखकर उनका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। आक्रोशित किसानों ने इसे अपनी लड़ाई पर सीधा हमला करार दिया।
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आत्मदाह की कोशिश और पुलिस का हस्तक्षेप
सुबह का माहौल तब और गंभीर हो गया जब मौके पर पहुंची पुलिस ने धरना हटाने की कोशिश की। किसानों ने इसे बर्दाश्त नहीं किया और अपने ऊपर तेल छिड़ककर आत्मदाह करने की कोशिश शुरू कर दी। यह दृश्य देखकर वहां मौजूद हर शख्स की सांसें थम गईं। हालांकि, पुलिस ने तुरंत हरकत में आते हुए स्थिति को काबू में किया और किसी बड़े हादसे को टाल दिया। लेकिन इस घटना ने साफ कर दिया कि किसान अपनी मांगों को लेकर कितने गंभीर और हताश हैं।
किसानों का दावा
किसानों का कहना है कि उनकी जमीन पर वेव सिटी के निर्माण के लिए किए गए वादे आज तक पूरे नहीं हुए। मुआवजे से लेकर पुनर्वास तक, कई मांगें अधूरी पड़ी हैं। एक किसान नेता ने गुस्से में कहा, हमारी जमीन छीनी गई, वादे तोड़े गए, और अब हमारा धरना भी तोड़ने की कोशिश हो रही है। हम पीछे नहीं हटेंगे। जरूरत पड़ी तो आत्मदाह करेंगे, लेकिन हक लेकर रहेंगे। उनका यह बयान इस आंदोलन की गंभीरता को और उजागर करता है।
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वेव सिटी और प्रशासन की चुप्पी
दूसरी ओर, वेव सिटी प्रबंधन और स्थानीय प्रशासन इस मामले पर फिलहाल खामोश हैं। धरना स्थल पर हुए हमले की जिम्मेदारी कोई लेने को तैयार नहीं। वेव सिटी के अधिकारियों का कहना है कि यह मामला प्रशासन और किसानों के बीच का है, जबकि प्रशासन इसे कानून-व्यवस्था की समस्या बताकर पल्ला झाड़ रहा है। लेकिन इस तनातनी में सबसे ज्यादा परेशानी आम लोगों को हो रही है, जो इस क्षेत्र में रोजाना आवागमन करते हैं।
एक अनोखा आंदोलन
यह आंदोलन कई मायनों में हटकर है। जहां एक तरफ आधुनिकता का सपना बेचने वाली वेव सिटी अपनी चमक बिखेरना चाहती है, वहीं दूसरी ओर किसान अपनी जमीन और हक की लड़ाई को पुराने तरीके से, लेकिन नए जोश के साथ लड़ रहे हैं। आत्मदाह की चेतावनी इस बात का सबूत है कि यह सिर्फ धरना नहीं, बल्कि अस्तित्व की जंग बन चुकी है।
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आगे क्या ?
अब सवाल यह है कि क्या प्रशासन इस मामले को सुलझाने के लिए कोई ठोस कदम उठाएगा, या यह विवाद और गहराता जाएगा? किसानों की चेतावनी और बढ़ता तनाव बता रहा है कि अगर जल्द कोई हल नहीं निकला, तो वेव सिटी का यह सपना कहीं धुएं में न उड़ जाए। गाजियाबाद की इस जंग पर अब सबकी नजरें टिकी हैं।
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