गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
गाजियाबाद नगर निगम ने इस वित्त वर्ष 2025-26 से संपत्ति कर की वसूली को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है। नई नीति के तहत, अब पुरानी संपत्तियों पर भी डीएम सर्किल रेट का डेढ़ गुना गृहकर वसूला जाएगा। इस निर्णय से शहर के हजारों संपत्ति मालिक प्रभावित होंगे, और नगर निगम को अपनी आय में वृद्धि होने की उम्मीद है। हालांकि, इस कदम से आम नागरिकों पर आर्थिक बोझ बढ़ने की आशंका भी जताई जा रही है।
नई नीति का विवरण
नगर निगम के इस फैसले के अनुसार, अब तक पुरानी संपत्तियों पर गृहकर की गणना पुराने सर्किल रेट या स्व-मूल्यांकन के आधार पर की जाती थी, जिसके कारण कर की राशि अपेक्षाकृत कम रहती थी। लेकिन अब, नई नीति के तहत डीएम सर्किल रेट को आधार बनाया जाएगा, और उसका डेढ़ गुना गृहकर के रूप में वसूला जाएगा। यह नियम न केवल नई संपत्तियों, बल्कि पुरानी इमारतों और मकानों पर भी लागू होगा।
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नगर निगम का तर्क है कि पुराने सर्किल रेट और वास्तविक बाजार मूल्य में काफी अंतर आ चुका है। कई क्षेत्रों में संपत्तियों का मूल्यांकन उनके वास्तविक मूल्य से काफी कम था, जिसके कारण नगर निगम को राजस्व का नुकसान हो रहा था। नई नीति से इस अंतर को कम करने और निगम की आय बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है।
नागरिकों पर प्रभाव
इस नीति का सबसे ज्यादा असर गाजियाबाद के उन इलाकों पर पड़ेगा, जहां पुरानी कॉलोनियां और आवासीय क्षेत्र हैं। जैसे कि कौशांबी, वैशाली, इंदिरापुरम, राजेंद्र नगर, और पुराने शहर के हिस्सों में बनी संपत्तियों पर अब ज्यादा गृहकर देना होगा। कई नागरिकों ने इस फैसले पर चिंता जताई है।
एक स्थानीय निवासी, मयंक गुप्ता ने कहा, हमारी कॉलोनी 30 साल पुरानी है, और हम पहले से ही गृहकर नियमित रूप से दे रहे हैं। अब अचानक डेढ़ गुना कर बढ़ाना हमारे लिए मुश्किल होगा। सरकार को पहले लोगों की राय लेनी चाहिए थी।
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वहीं कुछ लोगों का मानना है कि अगर इस बढ़े हुए राजस्व का उपयोग शहर की बुनियादी सुविधाओं, जैसे सड़क, सफाई, और जल निकासी व्यवस्था को बेहतर करने में किया जाए, तो यह कदम उचित ठहराया जा सकता है।
नगर निगम की स्थिति
नगर निगम के अधिकारियों के अनुसार, गाजियाबाद की बढ़ती आबादी और शहरीकरण के कारण निगम पर बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने का दबाव बढ़ रहा है। सफाई, स्ट्रीट लाइट, सड़क निर्माण, और अन्य सेवाओं के लिए अधिक धन की आवश्यकता है। गृहकर निगम की आय का एक प्रमुख स्रोत है, और पुराने सर्किल रेट के आधार पर वसूली से यह मांग पूरी नहीं हो पा रही थी।
नगर निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, हमने देखा कि कई संपत्तियों का मूल्यांकन उनके बाजार मूल्य से बहुत कम था। डीएम सर्किल रेट को आधार बनाकर और उसका डेढ़ गुना कर लागू करके हम न केवल आय बढ़ा रहे हैं, बल्कि कर प्रणाली को और पारदर्शी भी बना रहे हैं।
चुनौतियां और भविष्य
इस नीति को लागू करने में नगर निगम को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। सबसे पहले, पुरानी संपत्तियों का सही मूल्यांकन और डीएम सर्किल रेट के आधार पर गृहकर की गणना एक जटिल प्रक्रिया होगी। इसके अलावा, नागरिकों के विरोध और असंतोष को संभालना भी एक बड़ी चुनौती होगी।
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कई विशेषज्ञों का सुझाव है कि नगर निगम को इस नीति को लागू करने से पहले जनता के साथ व्यापक विचार-विमर्श करना चाहिए था। साथ ही, गृहकर में वृद्धि के साथ-साथ शहर की सेवाओं में सुधार की ठोस योजना भी पेश की जानी चाहिए, ताकि नागरिकों को लगे कि उनका पैसा सही जगह उपयोग हो रहा है।
निष्कर्ष
गाजियाबाद नगर निगम का यह फैसला निश्चित रूप से शहर की आर्थिक और प्रशासनिक व्यवस्था में बदलाव लाएगा। एक ओर जहां निगम को अपनी आय बढ़ाने में मदद मिलेगी, वहीं दूसरी ओर आम नागरिकों पर अतिरिक्त कर का बोझ बढ़ेगा। इस नीति की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि नगर निगम इसे कितनी पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ लागू करता है, और क्या वह नागरिकों को बेहतर सुविधाएं प्रदान कर पाता है।
नागरिकों से अपील की जा रही है कि वे नई गृहकर नीति की जानकारी के लिए नगर निगम की आधिकारिक वेबसाइट या कार्यालय से संपर्क करें और अपनी संपत्ति का सही मूल्यांकन करवाएं।
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