गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
नई दिल्ली रेल हादसे की स्थिति अभी पूरी तरह से साफ भी नहीं हो पा रही है कि आखिरकार हादसे की मुख्य वजह क्या रही।
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रेलवे पुलिस कब लेगी सबक
क्या रेलवे पुलिस को इस तरह के घटनाक्रम से सबक नहीं लेना चाहिए ? गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता ने जब गाजियाबाद रेलवे स्टेशन का मुआयना किया तो पाया की स्थिति जस की तस बनी हुई है जब प्लेटफार्म नंबर 2 पर नई दिल्ली की तरफ से लखनऊ के रास्ते प्रयागराज को जाने वाली स्पेशल ट्रेन गोमती एक्सप्रेस पहुंची तो स्थिति बद से बदतर देखी गई। एक के ऊपर एक यात्री चढ़ा जा रहे थे, जिसको जहां से रास्ता मिला वो वही से ट्रेन में दाखिल हो गया।
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हादसे के बाद जागी पुलिस
शनिवार रात जब नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ के मौतों की खबर जैसे ही स्टेशन से बाहर निकली तो गाजियाबाद रेलवे स्टेशन की पुलिस की भी नींद टूटी और आनन फानन में प्लेटफार्म की सुरक्षा की समीक्षा करी गई।
पुलिस के छुटे पसीने
जैसे ही प्लेटफार्म नंबर 2 पर स्पेशल ट्रेन गोमती एक्सप्रेस प्लेटफॉर्म पर आई तो भीड़ की स्थिति बेकाबू हो गई पर प्लेटफार्म पर मौजूद रेलवे पुलिस फोर्स व उत्तर प्रदेश पुलिस के अधिकारी व जवानों ने स्थिति को संभालते हुए स्पेशल ट्रेन गोमती को सकुशल रवाना करा, पर क्या जो हर समय स्टेशन प्लेटफार्म पर भीड़ का दबाव बनता है क्या उसके लिए रेलवे पुलिस कोई ठोस कदम उठा रही है ?
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हादसे के बाद ही क्यों जागती है पुलिस ?
रात को ही GRP पुलिस हुई थीं सतर्क गाजियाबाद रेलवे पुलिस के CO सुदेश गुप्ता ने बताया कि जब रात को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ की सूचना मिली तो तभी तत्काल प्रभाव से इंस्पेक्टर GRP नवरत्न गौतम व उनकी टीम को आदेश दिया गया और रात में ही पुरी पुलिस फोर्स ने गाजियाबाद रेलवे स्टेशन के सभी प्लेटफार्म पर स्थिति संभाली, कोई अप्रिय घटना ना हो इसके लिए स्वयं रेलवे स्टेशन के हर प्लेटफार्म पर CO सुदेश गुप्ता लगातार मॉनीटरिंग कर रहे थे। पर सतर्कता के आदेश नियमित रूप से क्यों नहीं दिए जाते हैं ये भी एक बड़ा सवाल है।
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प्लेटफार्म नंबर 2
प्लेटफार्म नंबर 2 पर मोर्चा संभाले हुए सब इंस्पेक्टर जीआरपी लक्ष्मीकांत ने बताया कि रात से ही उनकी टीम के सदस्य लगातार प्लेटफार्म पर गश्त कर रहे हैं किसी भी ट्रेन के आते ही भगदड़ की स्थिति ना बने उसके लिए लगातार यात्रियों को सूचित कर रहे हैं।
सवाल
आखरीकार जब GRP पुलिस को पता है की गाजियाबाद रेलवे स्टेशन से रोज़ लाखों यात्री सफ़र पर निकलते है और भीड़ की स्थिति बनी रहती है तो क्या सुरक्षा के लिए उठाएं जाने वाले महत्वपूर्ण कदम पहले ही क्यों नहीं उठाएं जाते है, क्या गाजियाबाद स्टेशन भी नई दिल्ली जैसे किसी हादसे का इंतजार कर रहा है ?
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क्या कोई तालमेल की रहती है कमी ?
जहां प्रयागराज में महाकुंभ को लेकर रोज एक नया रिकॉर्ड बन रहा है वही भारतीय रेलवे जिसे सफर का सबसे सस्ता साथी माना जाता है उस रेलवे में ट्रेन की रहती है कमी, रेलवे ने प्रयागराज जहां नियमित रूप से लाखों लोग पहुंच रहे हैं उसके लिए कोई सटीक व्यवस्था नहीं बनाई हुई है, स्टेशन पर मौजूद एक यात्री से बातचीत में पता लगा कि ट्रेन में रिजर्वेशन होने के बाद भी वह ट्रेन के कोच में चढ़ नहीं पाए क्योंकि भीड़ इतनी अधिक थी तो यात्री ने अपने में अपने परिवार की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ट्रेन को ही छोड़ दिया।
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बरहाल हादसा हो गया लोग मर गए, पर जवाब देही किसकी होगी, वही जवाब नहीं मिल पा रहा है इस तरह के हादसों को रोकने के लिए भारतीय रेल आखिर कैसे ठोस कदम उठा रही है यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
हादसों की बात करें तो 2024 से लेकर 2025 की शुरुआत हो चुकी है पर रेल हादसों में कोई कमी नहीं आ रही है जहां सरकार ने रेल बजट को हटाकर रेल को सामान्य बजट में ही जगह तो दे दी है पर वही लगता है सरकारी तंत्र का रेलवे से ध्यान हट गया है ?
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