गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
उच्च न्यायालय हुआ सख्त
उच्चतम न्यायालय के दखल के 7 साल बाद हो रहे हैं गाजियाबाद की प्रसिद्ध 135 साल पुरानी श्रीसुल्लामल रामलीला कमेटी के चुनाव, उच्च न्यायालय ने सख्त टिप्पणी करते हुए जिला रजिस्टार को आदेश दिया कि 3 मार्च से पहले रामलीला का चुनाव संपन्न करवाए नहीं तो मानी जाएगी कोर्ट की अवेहलना।
आपको बता दे इस वर्ष 22 सितंबर से नवरात्रों की शुरुआत हो रही है और पहले नवरात्रि को श्री राम बारात के साथ रामलीला की शुरुआत होती है। 21 दिन चलने वाली इस मेले में रामलीला देखने के लिए गाजियाबाद, नोएडा, दादरी व मेरठ जैसे शहरों से दर्शक आते हैं
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कभी लगे थे 1 हजार
1 हजार से कम बजट में शुरू हुई थी रामलीला, अब 1 करोड़ होते हैं खर्च सुल्लामल रामलीला कमेटी की रामलीला पश्चिमी यूपी की प्रमुख और प्राचीन मानी जाती है। बताया जाता है कि इसका इतिहास 135 वर्ष से भी अधिक पुराना है। घंटाघर में होने वाली इस रामलीला को देखने के लिए गाजियाबाद ही नहीं आसपास के अन्य शहरों से भी लोग आते हैं। यह रामलीला करीब 135 साल पहले एक हजार रुपये से भी कम बजट में शुरू हुई थी।
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7 साल का रहा इंतजार
गाजियाबाद शहर की सबसे पुरानी रामलीला का चुनाव आगामी 28 फरवरी को होना सुनिश्चित हुआ है। 7 साल बाद हो रहे हैं कमेटी के चुनाव, 2018 में अंतिम बार चुने गए थे कमेटी के सदस्य।
135 साल की हो गई रामलीला
गाजियाबाद में सबसे पुरानी रामलीला कमेटी श्री सुलामाल रामलीला कमेटी को माना जाता है जो लगभग 135 साल पुरानी हैं और अपने अंदर इतिहास को समेटे हुई है। श्री सुल्लामल रामलीला कमेटी द्वारा 7 साल बाद 28 फरवरी 2025 दिन शुक्रवार को रामलीला ग्राउंड घंटा घर गाजियाबाद में सुबह 10 बजे से 3 बजे तक रामलीला कमेटी का चुनाव होने जा रहा है। बता दे महाशय सुल्लामल जी ने 1890 में अपने शागिर्दों के साथ शहर में रामलीला का मंचन शुरू किया था।
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कौन होगा पैनल में
अध्यक्ष पद के लिए अजय बंसल
विनय सिंघल वरिष्ठउपाध्यक्ष
अनिल अग्रवाल कनिष्ठ उपाध्यक्ष
मुनेंद्र आर्य महामंत्री
प्रदीप मित्तल मंत्री
संदीप मित्तल कोषाध्यक्ष
सुमित गर्ग लेखा परीक्षक के लिए प्रत्याशी घोषित हुए है।
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अलग-अलग स्थानों पर होता था मंचन
महाशय सुल्लामल ने रामलीला से सबको जोड़ने के लिए अलग-अलग स्थानों पर इसका मंचन शुरू किया था। दिल्ली गेट के अलावा डासना गेट, चौपला मंदिर और रामघाट मंदिर पर रामलीला होती थी। शुरू होने के लगभग 18 वर्ष बाद रामलीला का मंचन घंटाघर में होने लगा। आज भी रामघाट मंदिर पर केवट संवाद, डासना गेट पर सुमंत विदाई और अनाज मंडी में भरत मिलाप का मंचन होता है।