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Ghaziabad- पिछले 3 माह में पुलिस ने कसा 50 हज़ार लोगों पर शिकंजा

जब बात शराब और शरारत की आती है, तो गाजियाबाद के शराबियों ने सोचा होगा कि वे सड़कों पर अपनी बोतलें लेकर बेफिक्र घूम सकते हैं। लेकिन पुलिस कमिश्नरेट गाजियाबाद ने जनवरी 2025 से ऐसा खेल शुरू किया कि शराबियों के हाथ से बोतल छूट गई और पैर थरथराने लगे।

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Kapil Mehra
फोटो जर्नलिस्ट सुनील कुमार

पिछले तीन माह में पुलिस ने 50 हज़ार लोगों पर की कार्रवाई

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गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता 

जब बात शराब और शरारत की आती है, तो गाजियाबाद के शराबियों ने सोचा होगा कि वे सड़कों पर अपनी बोतलें लेकर बेफिक्र घूम सकते हैं। लेकिन पुलिस कमिश्नरेट गाजियाबाद ने जनवरी 2025 से ऐसा खेल शुरू किया कि शराबियों के हाथ से बोतल छूट गई और पैर थरथराने लगे! "ऑपरेशन नशा-मुक्ति" नाम से शुरू हुए इस विशेष अभियान ने जनवरी से मार्च तक पूरे 50 हज़ार शराबियों को अपनी चपेट में लिया। यह कोई साधारण अभियान नहीं था, बल्कि एक ऐसी जंग थी, जिसमें पुलिस ने सड़क के किनारे, गाड़ियों में, ठेकों के पास हर उस जगह को निशाना बनाया, जहां शराब की चुस्की लेते हुए लोग  शराब की मस्ती में डूबे थे। 

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शराबियों की दुनिया में हड़कंप

सुबह का सूरज उगता नहीं था कि गाजियाबाद की सड़कों पर पुलिस की गाड़ियां सायरन बजाती नज़र आने लगीं। जनवरी में शुरू हुआ यह अभियान मार्च तक चला, और इस दौरान पुलिस ने ऐसा जाल बिछाया कि शराबी चाहकर भी नहीं बच पाए। आंकड़े चौंकाने वाले हैं 50 हज़ार लोग! यानी हर दिन औसतन 555 शराबियों को पुलिस ने पकड़ा, उनका मेडिकल कराया और फिर चालान की सौगात दी। शहर के कौशांबी से लेकर लोनी तक, ट्रांस हिंडन से देहात तक, हर जोन में पुलिस की पैनी नज़र थी।  

शराबियों के बहाने और पुलिस का जवाब

शराबियों की तरफ से बहाने भी कम मज़ेदार नहीं थे। कोई कहता, साहब, बस दो घूंट लिए थे, मूड खराब था, तो कोई गिड़गिड़ाता, ये मेरी आखिरी बोतल थी, वादा करता हूं अब नहीं पीऊंगा। लेकिन पुलिस ने सबकी एक न सुनी। सड़क पर बोतल लेकर बैठने वाले, गाड़ी में पार्टी करने वाले, और ठेके के बाहर जाम छलकाने वाले सबके खिलाफ पुलिस एक्ट की धारा 34 के तहत कार्रवाई हुई।  

शहर की सूरत बदलने की कोशिश

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यह अभियान सिर्फ शराबियों को सबक सिखाने के लिए नहीं था। इसके पीछे पुलिस कमिश्नरेट का मकसद था गाजियाबाद को एक सुरक्षित और साफ-सुथरा शहर बनाना। सड़कों पर शराब पीकर हंगामा करने वाले, राहगीरों को तंग करने वाले, और रात में शोर मचाने वाले ये सब शहर की छवि को धूमिल कर रहे थे। जनवरी से मार्च तक चले इस अभियान ने न सिर्फ शराबियों की कमर तोड़ी, बल्कि आम लोगों में भी एक भरोसा जगाया कि पुलिस अब हर गलत हरकत पर नज़र रख रही है।  

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शराबियों का नया प्लान, पुलिस की नई तैयारी

50 हज़ार शराबियों पर कार्रवाई के बाद भी पुलिस का कहना है कि यह बस शुरुआत है। सूत्रों की मानें, तो कुछ शराबी अब नए-नए तरीके आजमा रहे हैं कोई घर की छत पर चढ़कर पी रहा है, तो कोई पार्क के कोने में छिपकर। लेकिन पुलिस कमिश्नरेट ने साफ कर दिया है कि अभियान अभी खत्म नहीं हुआ। अप्रैल से और सख्ती बरती जाएगी, और ड्रोन से लेकर नाइट पेट्रोलिंग तक का सहारा लिया जाएगा।  

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सहायक पुलिस आयुक्त ने एक बयान में कहा, गाजियाबाद को नशे से मुक्त करना हमारा लक्ष्य है। जो शराबी सुधरना चाहते हैं, उनके लिए जागरूकता शिविर होंगे। जो नहीं सुधरेंगे, उनके लिए थाना तैयार है।

एक अलग नज़रिया

यह अभियान सिर्फ सजा देने की कहानी नहीं है। इसके पीछे एक मज़ेदार सच भी छिपा है शराबियों ने पुलिस को गाजियाबाद की हर गली, हर ठेके, हर छिपने की जगह का नक्शा बना दिया! 50 हज़ार की संख्या कोई छोटी बात नहीं। यह दिखाता है कि पुलिस ने कितने बड़े पैमाने पर काम किया और शराबियों ने अनजाने में कितना सहयोग किया।  

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तो अगली बार अगर आप गाजियाबाद में सड़क पर बोतल लेकर "चीयर्स" करने की सोच रहे हों, तो याद रखिएगा पुलिस का "स्पेशल ऑपरेशन" आपका इंतज़ार कर रहा है। शराब छोड़िए, पानी पीजिए, और सड़क पर मस्ती कीजिए—बिना चालान के! 

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