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Netanyahu's US visit: बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले, ट्रंप ने इसरायल को नहीं दी तवज्जो

नेतन्याहू का अमेरिकी दौरा भले सफल बताया गया हो, लेकिन असलियत यही है कि कूटनीतिक रूप से यह दौरा उनकी अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरा। कई मुद्दों पर ट्रंप और नेतन्याहू का रुख जुदा दिखा।

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Dhiraj Dhillon
डोनाल्ड ट्रंप और नेतन्याहू

Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।

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America News: इसरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अचानक अमेरिका दौरे पर पहुंचे, जहां उन्होंने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से व्हाइट हाउस में मुलाकात की। इस बैठक का मकसद कई अहम मुद्दों पर चर्चा करना था। इनमें ईरान का परमाणु कार्यक्रम, अमेरिकी टैरिफ नीति, सीरिया में तुर्की की दखलअंदाजी और गाजा में पिछले 18 महीनों से चल रहा संघर्ष प्रमुख मुद्दे थे। लेकिन इस मुलाकात के बाद नेतन्याहू को उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिली और वे लगभग खाली हाथ लौटे।

पिछली जीत, इस बार ठंडी प्रतिक्रिया

करीब दो महीने पहले जब नेतन्याहू ट्रंप से मिले थे, तो उस दौरे को इसरायल के लिए बड़ी कूटनीतिक जीत बताया गया था। लेकिन इस बार तस्वीर कुछ और रही। हालांकि मंगलवार को नेतन्याहू ने इस दौरे को "बेहद सफल" करार दिया और दावा किया कि सभी प्रमुख मुद्दों पर चर्चा सकारात्मक रही, लेकिन असल में वैसा हुआ नहीं। कहा कुछ भी जा रहा हो, लेकिन इजराइली प्रतिनिधिमंडल इस बैठक को "कठिन और उम्मीद से उलट" मानता है। विश्लेषकों का भी कहना है कि नेतन्याहू को इस बार वो आश्वासन नहीं मिला, जिसकी उन्हें अपेक्षा थी।

ईरान के मुद्दे पर मतभेद

2018 में नेतन्याहू की सलाह पर ट्रंप ने ईरान के साथ हुआ परमाणु समझौता रद्द कर दिया था। अब नेतन्याहू चाहते हैं कि ईरान पर सैन्य दबाव बरकरार रखा जाए। लेकिन ट्रंप ने बैठक में यह साफ किया कि अमेरिका ईरान के साथ बातचीत की तैयारी कर रहा है, और यह बात नेतन्याहू की कड़ी नीति से मेल नहीं खाती। नेतन्याहू चाहते हैं कि अगर ज़रूरत पड़ी तो अमेरिका ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करे, लेकिन ट्रंप फिलहाल कूटनीतिक रास्ता चुनना चाहते हैं।

टैरिफ विवाद में भी असहमति

एक दिन पहले ही इसरायल ने अमेरिका से आने वाले सभी उत्पादों पर शुल्क हटाने की घोषणा की थी, लेकिन इसके बावजूद अमेरिका ने इजराइली वस्तुओं पर 17 प्रतिशत शुल्क लगा दिया, हांलाकि अन्य देशों के मुकाबले यह कम ही है, लेकिन नेतन्याहू इस फैसले को पलटवाने की कोशिश में ही आनन-फानन में वॉशिंगटन पहुंचे थे। इस मामले में ट्रंप ने सख्त लहजे में कहा- “हम इजराइल को हर साल 4 अरब डॉलर की मदद देते हैं, वही काफी है।”
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