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Ghaziabad- Ai के माध्यम से इस्लाम की जानकारी: 6 मई को डासना मंदिर में शीर्ष इस्लामिक धर्मगुरुओं को आमंत्रण

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आज के युग में तकनीकी क्रांति का पर्याय बन चुका है। यह न केवल विज्ञान और उद्योगों में बदलाव ला रहा है, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक क्षेत्रों में भी अपनी उपयोगिता सिद्ध कर रहा है। इसी कड़ी में एक अनूठा

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Kapil Mehra
AI

Photograph: (File)

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गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता 

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जब बात तकनीक और धर्म की हो, तो दिमाग में एक अनोखा तालमेल बनता है कभी जिज्ञासा, कभी आश्चर्य, और कभी विवाद। लेकिन महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी इस तालमेल को एक साहसिक और बिल्कुल हटकर अंदाज में सामने ला रहे हैं। 6 मई 2025 को गाजियाबाद के शिवशक्ति धाम डासना में एक ऐसा आयोजन होने जा रहा है, जो न सिर्फ धार्मिक चर्चाओं को नई दिशा देगा, बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की ताकत को भी एक अनछुए क्षेत्र में आजमाएगा। 

इस दिन, यति नरसिंहानंद शीर्ष इस्लामिक धर्मगुरुओं को आमंत्रित करेंगे, ताकि एआई के जरिए इस्लाम की सच्चाई को खोजा जाए बिना किसी लाग-लपेट, बिना किसी डर, और बिल्कुल निष्पक्षता के साथ। 

फोटो जर्नलिस्ट सुनील कुमार

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AI और इस्लाम: एक अनोखा मिश्रण

सुनने में अटपटा लगता है ना? एक तरफ एआई, जो कोड, डेटा और अल्गोरिदम का खेल है, और दूसरी तरफ इस्लाम, जो आस्था, परंपरा और इतिहास का गहरा समंदर। लेकिन यति नरसिंहानंद का मानना है कि अगर तकनीक चांद तक पहुंच सकती है, तो धर्म के जटिल सवालों को सुलझाने में भी मददगार हो सकती है। उनका कहना है, सच्चाई को खोजने के लिए हर रास्ता अपनाना चाहिए। अगर मशीनें हमें तथ्यों तक पहुंचा सकती हैं, तो क्यों न उनका इस्तेमाल करें?

 इस आयोजन में AI का उपयोग न सिर्फ इस्लाम के ग्रंथों कुरान, हदीस और तारीखी दस्तावेजों को स्कैन करने के लिए होगा, बल्कि यह उनके अर्थ, संदर्भ और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को भी सामने लाएगा। यति नरसिंहानंद का दावा है कि यह प्रयोग न तो किसी को नीचा दिखाने के लिए है, न ही किसी की आस्था पर चोट करने के लिए। यह एक खुली खोज है जो सवालों को तथ्यों की कसौटी पर कसेगी और जवाबों को दुनिया के सामने रखेगी।

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6 मई 2025: एक ऐतिहासिक दिन

शिवशक्ति धाम डासना, जो पहले से ही धार्मिक और सामाजिक चर्चाओं का केंद्र रहा है, इस बार एक अनोखे संवाद का गवाह बनेगा। इस दिन शीर्ष इस्लामिक धर्मगुरुओं को आमंत्रित किया गया है, जिन्हें यति नरसिंहानंद ने चुनौती दी है कि वे एआई द्वारा पेश किए गए तथ्यों पर खुलकर बहस करें। यह कोई साधारण सभा नहीं होगी। मंच पर एक तरफ होंगे धर्मगुरु अपनी विद्वता और आस्था के साथ, और दूसरी तरफ होगी मशीन ठंडी, तटस्थ और बिना किसी पक्षपात के।  

यति नरसिंहानंद कहते हैं,  हम न तो इस्लाम को गलत ठहराने आए हैं, न ही किसी को बुरा-भला कहने। हम बस सच चाहते हैं। अगर कुरान में कुछ लिखा है, तो उसका मतलब क्या है? अगर हदीस में कुछ कहा गया है, तो उसका संदर्भ क्या था? और अगर इतिहास में कुछ हुआ, तो उसके पीछे की सच्चाई क्या थी? एआई हमें ये जवाब देगा, और धर्मगुरु हमें उसका मतलब समझाएंगे।

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AI DEEPFAKE SCAM
AI DEEPFAKE IN INDAI

AI कैसे बदलेगा खेल?

तो आखिर AI करेगा क्या? यह कोई जादू की छड़ी तो है नहीं, लेकिन इसकी ताकत कम भी नहीं। इस आयोजन में एआई का इस्तेमाल कुछ इस तरह होगा:

ग्रंथों की गहराई में: कुरान और हदीस की आयतों को स्कैन कर उनके मूल अरबी पाठ, अनुवाद और टीकाओं को एक साथ पेश किया जाएगा। AI यह भी बताएगा कि किसी आयत की अलग-अलग विद्वानों ने क्या व्याख्या की। इतिहास का पुनर्लेखन नहीं, पुनरावलोकन इस्लाम के शुरुआती दौर से लेकर आधुनिक समय तक की घटनाओं को डेटा के आधार पर समयरेखा में ढाला जाएगा। चाहे वह इस्लाम का प्रसार हो या जंगें, सब कुछ तथ्यों के साथ।

सवालों का जवाब

आयोजन में एक खास सत्र होगा, जहां लोग अपने सवाल पूछ सकेंगे। एआई इन सवालों के जवाब ग्रंथों, इतिहास और विद्वानों के लेखों से तुरंत खोजकर देगा।  

निष्पक्षता की गारंटी

इंसान पक्षपात कर सकता है, लेकिन मशीन नहीं। एआई का डेटा और विश्लेषण पूरी तरह तथ्य आधारित होगा, जिसे कोई भी चुनौती दे सकता है। 

सुलभ भाषा

अरबी और उर्दू के जटिल ग्रंथों को हिंदी और अंग्रेजी में अनुवाद कर आम लोगों तक पहुंचाया जाएगा, ताकि हर कोई समझ सके। 

हटकर क्यों है यह आयोजन?

यह आयोजन इसलिए खास है, क्योंकि यह धर्म को तकनीक की कसौटी पर कसने की हिम्मत दिखाता है। यति नरसिंहानंद का यह प्रयोग न तो पारंपरिक धार्मिक प्रवचनों जैसा है, न ही कोई वैज्ञानिक सेमिनार। यह दोनों का मेल है एक ऐसा मेल, जो शायद पहली बार इतने बड़े स्तर पर हो रहा है।  

यहां न कोई जजमेंट होगा, न कोई फतवा। बस एक खुला मंच होगा, जहां सवाल पूछे जाएंगे और जवाब तलाशे जाएंगे। यति नरसिंहानंद का कहना है, अगर हम सच्चाई से डरते हैं, तो हमारी आस्था कितनी मजबूत है? और अगर हम सवालों से भागते हैं, तो हमारा ज्ञान कितना गहरा है?

क्या होगी चुनौतियां?

ऐसा आयोजन बिना विवाद के हो, यह मुश्किल है। धार्मिक संवेदनाएं आहत होने का डर, गलत व्याख्या का जोखिम, और तकनीक पर अति-निर्भरता ये सारी चुनौतियां सामने हैं। लेकिन यति नरसिंहानंद और उनकी टीम ने इसके लिए पहले से तैयारी की है।  

विशेषज्ञों की एक टीम एआई के डेटा को सत्यापित करेगी, ताकि कोई गलती न हो।

धर्मगुरुओं को पूरा सम्मान दिया जाएगा, और उनकी बात को सुना जाएगा।

आयोजन को लाइव स्ट्रीम किया जाएगा, ताकि दुनिया भर के लोग इसे देख सकें और अपनी राय बना सकें।

अंत में: सच्चाई की खोज

6 मई 2025 का यह दिन शायद इतिहास में दर्ज हो जाए न सिर्फ इसलिए कि यह धर्म और तकनीक का संगम है, बल्कि इसलिए कि यह साहस की मिसाल है। यति नरसिंहानंद का यह प्रयास न तो किसी को हराने की जिद है, न ही किसी को नीचा दिखाने की साजिश। यह एक खोज है सच्चाई की खोज, जो शायद हमें अपने ही विश्वासों को नए सिरे से समझने का मौका दे।तो तैयार हो जाइए एक ऐसी जंग के लिए, जहां हथियार होंगे तथ्य, मैदान होगा डासना, और योद्धा होंगे एआई और आस्था। कौन जीतेगा? शायद सच्चाई।

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