गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
अयोध्या में किए दर्शन लखनऊ में हुई हलचल
लोनी से बीजेपी विधायक नंदकिशोर गुर्जर एक अनोखे रूप में रामलला के दरबार में हाजिरी लगाने पहुँचे। फटा हुआ कुर्ता, नंगे पाँव, और चेहरे पर एक अजीब सा संकल्प लिए हुए नंदकिशोर ने न सिर्फ श्रद्धालुओं का ध्यान खींचा, बल्कि एक नई चर्चा को भी जन्म दिया।
फटे कुर्ते का राज़
नंदकिशोर गुर्जर पिछले कुछ दिनों से अपने फटे कुर्ते और नंगे पाँव चलने की वजह से सुर्खियों में हैं। यह सब तब शुरू हुआ जब 20 मार्च को लोनी में उनकी राम कथा की कलश यात्रा को पुलिस ने कथित तौर पर रोका। इस दौरान उनके साथ धक्का-मुक्की हुई, कपड़े फट गए, और उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया। तब से वो फटे कुर्ते में ही रहने और अन्न-जल त्यागने का संकल्प लेकर विरोध जता रहे हैं।
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उनका कहना है कि जब तक दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होती, वे इसी तरह रहेंगे। अयोध्या पहुँचकर उन्होंने रामलला के सामने यह संकल्प दोहराया और कहा, "मैं अपने आराध्य से न्याय माँगने आया हूँ।"
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एक विधायक का अनोखा अंदाज़
नंदकिशोर का यह अंदाज़ नया नहीं है। वे पहले भी अपने बेबाक बयानों और काम से चर्चा में रहे हैं। कभी जूस की दुकानों पर लाइसेंस चेक करने तो कभी बकरीद पर पशु कुर्बानी रोकने की माँग, उनका हर कदम सुर्खियाँ बटोरता रहा है। लेकिन फटे कुर्ते में अयोध्या पहुँचना एक अलग ही कहानी बया करता है।
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यह न सिर्फ उनकी नाराज़गी को दर्शाता है, बल्कि एक सांकेतिक संदेश भी देता है—शायद वे खुद को उस राम भक्त के रूप में पेश करना चाहते हैं जो अन्याय के खिलाफ लड़ रहा है।
रामलला के दरबार में क्या माँगा?
राम मंदिर में दर्शन के बाद नंदकिशोर ने कहा, "रामराज में बहन-बेटियाँ सुरक्षित नहीं, राम कथा रोकी जा रही है—यह कैसा न्याय?"
उनके इस बयान से साफ है कि वे अपनी बात को धार्मिक और नैतिक आधार देना चाहते हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह सिर्फ व्यक्तिगत संघर्ष है, या इसके पीछे कोई बड़ा राजनीतिक दाँव छिपा है? कुछ लोगों का मानना है कि यह उनकी पार्टी के भीतर चल रही अंदरूनी खींचतान का हिस्सा हो सकता है, खासकर तब जब प्रदेश अध्यक्ष ने उन्हें हाल ही में कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
श्रद्धा या संदेश?
नंदकिशोर का यह कदम जहाँ एक ओर श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक लगता है, वहीं दूसरी ओर यह एक सियासी चाल भी हो सकती है। फटे कुर्ते और नंगे पाँव का यह प्रदर्शन असलियत कम नाटकीय ज्यादा लग रहा हे, साथ ही यह जनता और समर्थकों के बीच सहानुभूति जगाने का तरीका भी हो सकता है ?अयोध्या, जो अब सिर्फ धार्मिक नगरी नहीं, बल्कि राजनीतिक केंद्र भी बन चुकी है, वहाँ यह कदम उनकी छवि को एक सनातनी योद्धा के रूप में मज़बूत करने का प्रयास कहा जा सकता है।
एक अलग नज़रिया
जहाँ ज्यादातर लोग इसे धार्मिक आस्था या राजनीति से जोड़कर देख रहे हैं, वहीं कुछ इसे व्यक्तिगत संकट का परिणाम भी मानते हैं। क्या यह विधायक वाकई अन्याय से त्रस्त हैं, या यह उनकी पहचान को फिर से स्थापित करने की कोशिश है?
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एक ओर विधायक पुलिस और प्रशासन पर सवाल उठा रहे हैं, तो दूसरी ओर अपनी ही सरकार और पार्टी से नाराज़गी ज़ाहिर कर रहे हैं। यह दोहरी लड़ाई उनके लिए कितनी कारगर होगी, यह वक्त बताएगा।
राम लला से क्या मिलेगा आने वाले समय में
नंदकिशोर गुर्जर का फटे कुर्ते में रामलला के दर्शन करना निस्संदेह एक हटकर घटना है। यह न सिर्फ उनकी आस्था को दर्शाता है, बल्कि एक विधायक के तौर पर उनके जुझारू स्वभाव को भी सामने लाता है। चाहे यह न्याय की गुहार हो या जनता का ध्यान खींचने की कोशिश, एक बात तो साफ है—नंदकिशोर गुर्जर ने फिर से साबित कर दिया कि वे भीड़ से अलग चलना जानते हैं। अब देखना यह है कि रामलला के दरबार से उन्हें क्या मिलता है—न्याय, समर्थन, या कुछ और?