Advertisment

Ghaziabad- मोहन नगर का मोहन मंदिर, एक अनोखा आध्यात्मिक ठिकाना

गाजियाबाद, दिल्ली के पड़ोस में बसा यह शहर, अपनी औद्योगिक पहचान और तेज़ रफ्तार ज़िंदगी के लिए जाना जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि इस शहरी भागदौड़।

author-image
Kapil Mehra
फोटो जर्नलिस्ट सुनील कुमार

मोहन नगर मंदिर

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता 

Advertisment

गाजियाबाद, दिल्ली के पड़ोस में बसा यह शहर, अपनी औद्योगिक पहचान और तेज़ रफ्तार ज़िंदगी के लिए जाना जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि इस शहरी भागदौड़ के बीच एक ऐसी जगह भी हो सकती है, जो न सिर्फ़ शांति देती हो, बल्कि अपने अनोखे अंदाज़ से आपको हैरान भी कर दे? हम बात कर रहे हैं मोहन नगर के "मोहन मंदिर" की, जो गाजियाबाद की भीड़भाड़ में एक छिपा हुआ रत्न है।

यह मंदिर न सिर्फ़ धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि अपनी खासियतों और थोड़े से रहस्यमयी इतिहास के साथ हर किसी का ध्यान खींचता है। तो चलिए, इस मंदिर की सैर पर चलते हैं, ज़रा हटके अंदाज़ में! 

यह भी पढ़ें - मोदीनगर का मोदी मंदिर क्या है, मान्यता और इतिहास

Advertisment

मंदिर का नाम ही है कहानी

सबसे पहले तो यह नाम "मोहन मंदिर" सुनने में लगता है जैसे किसी ने जल्दबाज़ी में नाम रख दिया हो, लेकिन इसके पीछे की कहानी बड़ी दिलचस्प है। मोहन नगर का नाम पड़ा था उद्योगपति एन.एन. मोहन के नाम पर, जिन्होंने इस इलाके को औद्योगिक नगरी में तब्दील किया और मंदिर? यहाँ स्थानीय लोग बताते हैं कि यह मंदिर भगवान शिव और माँ दुर्गा को समर्पित है, लेकिन इसे "मोहन मंदिर" कहकर बुलाया जाता है, शायद इसलिए कि यहाँ की शक्ति और शांति हर किसी को मोह लेती है। 

एक मंदिर, कई देवता

Advertisment

अब बात करते हैं इस मंदिर की सबसे हटके खासियत की। आमतौर पर मंदिर किसी एक देवता को समर्पित होते हैं, यहाँ मुख्य परिसर में माँ दुर्गा की भव्य मूर्ति विराजमान है, जो अपनी शक्ति और सौम्यता से हर भक्त को मंत्रमुग्ध कर देती है। इसके नीचे आपको माँ काली और सरस्वती की मूर्तियाँ भी मिलेंगी, जो इस मंदिर को त्रिदेवियों का संगम बनाती हैं। बाहर निकलें तो हनुमान जी और भैरों बाबा आपका स्वागत करते हैं।बगीचे में गणेश जी और शिवलिंग भी हैं।

रहस्यमयी इतिहास

मोहन मंदिर का इतिहास भी कम मज़ेदार नहीं है। कहा जाता है कि इसका इतिहास गाजियाबाद के जिला बनने से भी पुराना है। कुछ लोग इसे सैकड़ों साल पुराना बताते हैं, तो कुछ का मानना है कि इसका मौजूदा स्वरूप 1978 में तैयार हुआ। लेकिन एक बात जो इसे रहस्यमयी बनाती है, वो है यहाँ की पुरानी मान्यताएँ। पहले यहाँ शादी से पहले लड़के-लड़कियों को दिखाने की परंपरा थी, मानो मंदिर में माँ दुर्गा से "हाँ" या "ना" की मुहर लगवानी हो। हालाँकि अब यह प्रथा बंद हो चुकी है, लेकिन इस कहानी ने मंदिर को एक अलग पहचान दी है। क्या यह सच है या लोककथाओं का कमाल, यह तो वक्त ही बताएगा!

Advertisment

यह भी पढ़ें - देवी नाइट में घमासान, कई के सिर फूटे, FIR

सावन में जल चढ़ाने की परंपरा 

अगर आप सावन के महीने में यहाँ आएँ, तो तैयार हो जाइए एक अलग ही नज़ारे के लिए। हर सोमवार को यहाँ दो से तीन हज़ार शिवभक्त जलाभिषेक के लिए उमड़ पड़ते हैं। मंदिर का प्रांगण भक्तों की भीड़ से गूँज उठता है, और शिवलिंग पर चढ़ने वाला जल मानो सारी नकारात्मकता को बहा ले जाता है। यहाँ का माहौल ऐसा होता है कि आप खुद को भक्ति के रंग में डूबा हुआ पाते हैं। और नवरात्रि में माँ दुर्गा का श्रृंगार और भजन-कीर्तन इसे किसी उत्सव से कम नहीं बनाते।

थोड़ा सख्ती, थोड़ा प्यार

मोहन मंदिर में कुछ नियम भी हैं, जो इसे अनुशासित और शांत बनाते हैं। मसलन, स्कूल ड्रेस में आने की मनाही है, और अविवाहित लड़के-लड़कियों को पार्क में बैठने की इजाज़त नहीं। सुरक्षा के लिए CCTV कैमरे लगे हैं, और मंदिर का विशाल दरबार 400 से ज़्यादा भक्तों को एक साथ जगह दे सकता है। यहाँ की व्यवस्था देखकर लगता है कि माँ दुर्गा खुद अपने भक्तों की देखभाल कर रही हैं।

कैसे पहुँचें इस अनोखे ठिकाने?

मोहन मंदिर की लोकेशन भी कमाल की है। जीटी रोड पर मोहन नगर चौराहे से बस 200 मीटर की दूरी पर यह मंदिर खड़ा है। दिल्ली-NCR से कहीं से भी आसानी से पहुँचा जा सकता है। नज़दीकी मेट्रो स्टेशन है मोहन नगर मेट्रो, जो रेड लाइन पर है। वहाँ से ऑटो या पैदल, 5 मिनट में आप मंदिर के दरवाज़े पर होंगे।

यह भी पढ़ें - डासना देवी मंदिर में होगा 21 दिवसीय शिवशक्ति महोत्सव

क्यों है यह हटके?

तो क्या बनाता है मोहन मंदिर को इतना खास? यहाँ का हर कोना कुछ नया कहता है - चाहे वो कई देवताओं का एक साथ होना हो, पुरानी परंपराओं का मज़ेदार इतिहास हो, या फिर भीड़ के बीच मिलने वाली शांति। यह मंदिर सिर्फ़ पूजा का स्थान नहीं, बल्कि एक अनुभव है - जहाँ आप भक्ति में डूबते हैं, इतिहास को महसूस करते हैं, और थोड़ा ठहरकर ज़िंदगी की भागदौड़ से राहत पाते हैं। 

 

Navratri chaitra navratri 2025 Navratri 2025 shardiya navratri 2025
Advertisment
Advertisment