गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
उत्तर प्रदेश में 1 अप्रैल 2025 से शराब के ठेकों का नया अध्याय शुरू हो चुका है। इस बार सरकार ने नई आबकारी नीति के तहत ठेकों के आवंटन को एक अनोखे अंदाज में अंजाम दिया है, जिसने न सिर्फ कारोबारियों बल्कि आम लोगों के बीच भी चर्चा का बाजार गर्म कर दिया है। गाजियाबाद के जिला आबकारी अधिकारी संजय सिंह ने इस मौके पर अपनी बात रखते हुए कुछ ऐसे पहलुओं को उजागर किया, जो इस बार की नीति को पहले से बिल्कुल हटकर बनाते हैं।
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क्या कहा संजय सिंह ने
संजय सिंह ने बताया, "इस बार हमने शराब के ठेकों को सिर्फ राजस्व बढ़ाने का जरिया नहीं बनाया, बल्कि इसे एक सामाजिक और आर्थिक प्रयोग के तौर पर देखा है। 1 अप्रैल से शुरू हुए नए ठेकों का आवंटन पूरी तरह ई-लॉटरी सिस्टम से हुआ है, जिसमें पारदर्शिता और निष्पक्षता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई। गाजियाबाद में पहले जहां 268 दुकानें थीं, अब उनकी संख्या घटाकर 192 कर दी गई है, लेकिन खास बात यह है कि हर दुकान अब 'कंपोजिट शॉप' होगी। यानी, आपको एक ही छत के नीचे विदेशी शराब से लेकर बीयर तक सब मिलेगा।
बदलाव जरूरी था
उन्होंने आगे कहा, "यह कोई साधारण बदलाव नहीं है। हमने देखा कि पहले लोग अलग-अलग दुकानों के चक्कर काटते थे, जिससे समय और संसाधनों की बर्बादी होती थी। अब एक दुकान पर सारी सुविधा मिलेगी, और इससे न सिर्फ ग्राहकों का अनुभव बेहतर होगा, बल्कि सरकार का राजस्व भी पिछले साल की तुलना में 10 फीसदी तक बढ़ने की उम्मीद है।
संजय सिंह का यह बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि सरकार ने इस बार कारोबार को आसान बनाने के साथ-साथ सिस्टम को चुस्त-दुरुस्त करने की कोशिश की है लेकिन बात यहीं खत्म नहीं होती।
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संजय सिंह ने एक और रोचक पहलू पर प्रकाश डाला। "हमने इस बार ठेकों के आवंटन में कारोबारियों की तरकीबों को भी ध्यान में रखा। कुछ लोग अपने रिश्तेदारों मां, पत्नी, बहू, दामाद तक के नाम पर लाइसेंस लेने की जुगत में थे। लेकिन नए नियमों के तहत एक व्यक्ति पूरे प्रदेश में सिर्फ दो दुकानों तक सीमित है।
इस बार सख्ती से जांच हुई, और जो भी नियमों से खिलवाड़ करने की कोशिश में पाए गए, उनके आवेदन खारिज कर दिए गए।
हर इलाके में अब एक संयुक्त दुकान होगी, जो नई नीति का असली मकसद है कम में ज्यादा। उनका यह बयान नई नीति के पीछे की सोच को साफ करता है कि सरकार न सिर्फ राजस्व पर नजर रख रही है, बल्कि शराब के कारोबार को एक आधुनिक और व्यवस्थित रूप देना चाहती है।
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सवाल ज़बाब
तो क्या यह नई नीति वाकई गाजियाबाद और पूरे उत्तर प्रदेश में शराब के कारोबार को बदल देगी?
संजय सिंह का जवाब है, "समय बताएगा, लेकिन हमारा लक्ष्य साफ है—निष्पक्षता, सुविधा और समृद्धि।
अब देखना यह है कि यह हटकर प्रयोग जनता और कारोबारियों को कितना भाता है। तब तक, 1 अप्रैल से शुरू हुआ यह नया सिलसिला चर्चा का विषय बना रहेगा।
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