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नए पुलिस कमिश्नर गाजियाबाद ने दिए अधिकारियों को सख्त निर्देश
गाजियाबाद पुलिस कमिश्नरेट में आयोजित समीक्षा बैठक में जे० रवींद्र गौड़ ने डीसीपी, एसीपी, और सभी थाना प्रभारियों के साथ सख्त लहजे में बात की।
नई पुलिस कमिश्नर गौड़ जो अपनी तेज-तर्रार छवि और अपराध पर जीरो टॉलरेंस नीति के लिए जाने जाते हैं, ने पहली ही मीटिंग में साफ कर दिया कि गाजियाबाद में अवैध गतिविधियों को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।उन्होंने थाना प्रभारियों को चेतावनी दी कि अगर उनके क्षेत्र में अवैध शराब, जुआ, सट्टा, खनन, या भूमि कब्जे से जुड़ी कोई शिकायत मिलती है, तो संबंधित थाना प्रभारी पर सीधे कार्रवाई होगी।
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जीरो टॉलरेंस नीति
गौड़ ने कहा, "मैं हर थाने की निगरानी करूंगा" कोई भी गैरकानूनी गतिविधि बख्शी नहीं जाएगी। जवाबदेही तय होगी, और लापरवाही की कीमत चुकानी पड़ेगी। इसके अलावा, गौड़ ने पुलिस सिस्टम में कई सुधारों की घोषणा की, जो न केवल आम जनता के लिए राहत की बात है, बल्कि पुलिस की कार्यशैली में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम है।
पहली बैठक में गरजे "सिंघम"
सख्ती और सुधार का एजेंडा 2005 बैच के आईपीएस अधिकारी जे. रविंदर गौड़, जो इससे पहले आगरा के पुलिस कमिश्नर रह चुके हैं, गाजियाबाद में अपनी पहली समीक्षा बैठक में डीसीपी, एसीपी और सभी थाना प्रभारियों को सख्त संदेश दिया। बैठक में उन्होंने स्पष्ट किया कि गाजियाबाद में अवैध गतिविधियों के लिए कोई जगह नहीं होगी।
उनके प्रमुख निर्देश इस प्रकार हैं
अवैध गतिविधियों पर जीरो टॉलरेंस
गौड़ ने साफ शब्दों में कहा कि अगर किसी थाना क्षेत्र में अवैध शराब, जुआ, सट्टा, खनन, या भूमि कब्जे से जुड़ी शिकायतें सामने आती हैं, तो संबंधित थाना प्रभारी को सीधे जिम्मेदार माना जाएगा। ऐसी स्थिति में कठोर कार्रवाई तय है
FIR की कॉपी घर तक पहुंचेगी
कमिश्नर ने एक अभिनव कदम उठाते हुए निर्देश दिया कि थाने पर दर्ज होने वाली हर FIR की एक कॉपी प्रतिवादी के घर पर पहुंचाई जाएगी। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और आम जनता का पुलिस पर भरोसा मजबूत होगा।
विवेचना में पारदर्शिता
जांच के दौरान धारा, नाम हटाने या बढ़ाने जैसे किसी भी बदलाव के लिए अधिकारियों से लिखित अनुमति लेना अनिवार्य होगा। यह कदम भ्रष्टाचार और पक्षपात की शिकायतों को कम करने के लिए उठाया गया है।
फरियादियों के साथ मधुर व्यवहार
गौड़ ने थाना प्रभारियों को निर्देश दिया कि थाने पर आने वाले फरियादियों के साथ सम्मानजनक व्यवहार किया जाए। उन्हें बैठने की जगह, पानी, और उनकी समस्या सुनने का पूरा समय दिया जाए। समस्याओं का त्वरित समाधान सुनिश्चित करना होगा।
कमजोर वर्गों के प्रति विशेष संवेदनशीलता
वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं, बच्चों, दिव्यांगजनों, और गरीब व्यक्तियों के साथ किसी भी प्रकार का दुरव्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ऐसा करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ तत्काल और कठोर कार्रवाई की जाएगी।
जनसुनवाई का सख्त शेड्यूल
सभी थाना प्रभारी हर दिन सुबह 10:00 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक अपने थाने में मौजूद रहकर जनसुनवाई करेंगे। इस दौरान वे लोगों की समस्याएं सुनेंगे और उनका समाधान करेंगे। गौड़ ने जनसुनवाई में लापरवाही पर भी कार्रवाई की चेतावनी दी है।
भ्रष्टाचार पर नकेल
कमिश्नर ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि अगर कोई पुलिसकर्मी भ्रष्टाचार में लिप्त पाया गया या उसकी शिकायत मिली, तो उसे तुरंत निलंबित किया जाएगा।
पत्रकारों पर दबाव और FIR
अनुत्तरित सवाल बैठक में गौड़ ने पुलिस सुधार और जनता के प्रति जवाबदेही पर जोर दिया, लेकिन एक मुद्दा जो चर्चा में रहा, वह था पत्रकारों पर अनुचित राजनीतिक दबाव के कारण हाल के दिनों में हुई FIR, गिरफ्तारियां, और जेल भेजने की घटनाएं। गाजियाबाद में पिछले कुछ समय से पत्रकारों के खिलाफ कार्रवाइयां विवादों में रही हैं। कुछ मामलों में स्थानीय नेताओं और प्रभावशाली लोगों के दबाव में पत्रकारों पर मुकदमे दर्ज किए गए थे जिससे प्रेस की स्वतंत्रता पर सवाल उठे हैं।
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हालांकि, गौड़ की इस पहली बैठक में इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट निष्कर्ष या बयान सामने नहीं आया। सूत्रों के मुताबिक, कमिश्नर ने इस संवेदनशील मामले को फिलहाल टाल दिया, शायद इसलिए कि वे पहले पुलिस महकमे को दुरुस्त करने और शहर की कानून-व्यवस्था को पटरी पर लाने पर ध्यान देना चाहते हैं। लेकिन पत्रकारों और स्थानीय मीडिया में इस बात को लेकर चर्चा गर्म है कि क्या गौड़ इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाएंगे या यह मुद्दा अनसुलझा ही रहेगा।
कौन हैं गाजियाबाद के नए ‘सिंघम’?
जे. रविंदर गौड़ एक अनुभवी आईपीएस अधिकारी हैं, जिनका जन्म 1 दिसंबर 1973 को तेलंगाना में हुआ था। पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में एमए करने वाले गौड़ ने गोरखपुर, मेरठ, लखनऊ, मुरादाबाद, और अलीगढ़ जैसे जिलों में कप्तान के रूप में अपनी सेवाएं दी हैं।
आगरा में उनके 15 महीने के कार्यकाल में उन्होंने कई बड़े मामलों का खुलासा किया और निष्पक्ष जांच के लिए पहचाने गए।
लेकिन गौड़ ने हर बार अपने काम से अपनी छवि को मजबूत किया। गाजियाबाद में उनकी नियुक्ति को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उस रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जो शहर में अपराध पर लगाम कसने और पुलिस की कार्यशैली में सुधार लाने पर केंद्रित है।
शराबियों पर अभियान: क्या होगा भविष्य ?
हमारे पिछले लेख में उल्लेखित शराबियों के खिलाफ विशेष अभियान, जो पूर्व कमिश्नर अजय मिश्रा ने शुरू किया था, गौड़ के कार्यकाल में फिर से चर्चा में है। मिश्रा के तबादले के बाद यह अभियान ठंडा पड़ गया था, और शहर में शराब के ठेकों के आसपास फिर से भीड़ जमा होने की शिकायतें बढ़ रही थीं।
गौड़ ने अपनी बैठक में अवैध शराब के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही है, जिससे उम्मीद जताई जा रही है कि यह अभियान फिर से गति पकड़ेगा।सूत्रों के मुताबिक, गौड़ ने सभी थाना प्रभारियों को अपने क्षेत्रों में शराब के अवैध कारोबार और सार्वजनिक स्थानों पर शराब पीने वालों पर नजर रखने के लिए कहा है। हालांकि, अभी यह देखना बाकी है कि क्या वे मिश्रा की तरह तीन घंटे के सघन अभियान को फिर से शुरू करेंगे या कोई नई रणनीति अपनाएंगे।
शहर की जनता की उम्मीदें
गौड़ की इस ‘सिंघम’ वाली शुरुआत ने गाजियाबाद की जनता में एक नई उम्मीद जगाई है। स्थानीय निवासी रमेश चौधरी कहते हैं, “पहले कमिश्नर साहब ने शराबियों पर नकेल कसी थी, लेकिन उनके जाने के बाद फिर वही हाल हो गया। नए कमिश्नर के तेवर देखकर लगता है कि कुछ बदलाव जरूर होगा।
वहीं, एक महिला निवासी, (बदला हुआ नाम) प्रीति ने जनसुनवाई और महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता के निर्देश की सराहना की। उन्होंने कहा, अगर पुलिस थानों में हमारी बात सुनी जाए और सम्मान मिले, तो यह बहुत बड़ा बदलाव होगा।
लेकिन कुछ लोग इस बात को लेकर चिंतित हैं कि क्या गौड़ स्थानीय नेताओं और प्रभावशाली लोगों के दबाव का सामना कर पाएंगे, जैसा कि मिश्रा के कार्यकाल में देखा गया था। खासकर पत्रकारों पर हुई कार्रवाइयों ने इस आशंका को और बढ़ाया है।
चुनौतियां और भविष्य
जे. रविंदर गौड़ के सामने गाजियाबाद में कई चुनौतियां हैं। शहर में साइबर क्राइम, चेन स्नैचिंग, और संगठित अपराध की घटनाएं बढ़ रही हैं। इसके अलावा, पुलिस महकमे में भ्रष्टाचार और लापरवाही की शिकायतें भी समय-समय पर सामने आती रही हैं। गौड़ की सख्ती और सुधारों की नीति इन समस्याओं से निपटने में कितनी कारगर होगी, यह उनके कार्यकाल के अगले कुछ महीनों में साफ हो जाएगा।पत्रकारों के मुद्दे पर उनकी चुप्पी भले ही अभी चर्चा का विषय हो, लेकिन सूत्रों का कहना है कि गौड़ इस मामले में जल्दबाजी के बजाय सतर्कता के साथ कदम उठाएंगे। वे पहले पुलिस की कार्यशैली को दुरुस्त करना चाहते हैं, ताकि भविष्य में ऐसी शिकायतें कम हों।
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