गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
दोपहर का वक्त, सड़क पर चहल-पहल, और कविनगर की गलियों में रोज की तरह जिंदगी अपनी रफ्तार में। लेकिन रश्मि चौधरी के लिए यह आम दिन एक डरावने सपने में बदल गया। शास्त्रीनगर की रहने वाली और कविनगर में ब्यूटी पॉर्लर चलाने वाली रश्मि का गले से सोने की चेन छीनकर बाइक सवार बदमाश हवा में गायब हो गए। यह वारदात न सिर्फ रश्मि के लिए, बल्कि पूरे शहर के लिए एक चेतावनी है कि गाजियाबाद की सड़कें अब उतनी सुरक्षित नहीं रहीं।क्या हुआ उस दोपहर?
बृहस्पतिवार की दोपहर, रश्मि चौधरी अपने ब्यूटी पॉर्लर के लिए ऑटो में सवार हुईं। कविनगर के एल ब्लॉक में एचडीएफसी बैंक के पास ऑटो से उतरते ही वह अपने पॉर्लर की ओर पैदल बढ़ीं। सड़क पर लोग थे, दुकानें खुली थीं, लेकिन किसी को भनक तक नहीं थी कि अगले कुछ सेकंड में क्या होने वाला है। अचानक, एक बाइक तेजी से रश्मि के पास रुकी। बाइक पर सवार दो नकाबपोश बदमाशों में से पीछे बैठे शख्स ने झपट्टा मारा और रश्मि के गले से सोने की चेन छीन ली। इससे पहले कि रश्मि कुछ समझ पातीं या कोई शोर मचाता, बदमाश बाइक की रफ्तार के साथ भीड़ में गुम हो गए।
मैं सदमे में थी
रश्मि ने बताया, "मैं तो बस अपने पॉर्लर की ओर जा रही थी। सब कुछ इतनी जल्दी हुआ कि मुझे समझ ही नहीं आया। मेरी चेन, जो मेरे लिए कीमती थी, वो पलक झपकते गायब हो गई।" सदमे और गुस्से में डूबी रश्मि ने तुरंत कविनगर थाने में शिकायत दर्ज कराई। उनकी शिकायत पर पुलिस ने अज्ञात बदमाशों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है।पुलिस का रुख और सवाल
पुलिस का बयान
एसीपी कविनगर स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया कि पुलिस ने घटनास्थल के आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगालने शुरू कर दिए हैं। "हम बदमाशों की तलाश में हैं। जल्द ही उन्हें पकड़ लिया जाएगा," उन्होंने दावा किया। लेकिन यह दावा कितना खोखला है, यह गाजियाबाद के लोग अच्छे से जानते हैं। आए दिन चेन स्नैचिंग, लूटपाट और मोबाइल छिनने की घटनाएं शहर की सड़कों पर आम हो चुकी हैं। सवाल यह है कि क्या पुलिस का "जल्द पकड़ने" का वादा सिर्फ खानापूरी है, या इस बार कोई ठोस कार्रवाई होगी?
शहर में डर का साया
यह पहली बार नहीं है जब गाजियाबाद में दिनदहाड़े ऐसी वारदात हुई हो। पिछले कुछ महीनों में चेन स्नैचिंग की घटनाओं में तेजी आई है। खासकर कविनगर, राजनगर और इंदिरापुरम जैसे इलाकों में बदमाश बेखौफ होकर वारदात को अंजाम दे रहे हैं। महिलाएं और बुजुर्ग खास निशाने पर हैं। स्थानीय निवासी रमेश शर्मा कहते हैं, "अब तो घर से निकलने में भी डर लगता है। पुलिस सिर्फ गश्त की बात करती है, लेकिन बदमाशों का डर कम क्यों नहीं हो रहा?"
क्या है असल समस्या?
गाजियाबाद जैसे तेजी से बढ़ते शहर में पुलिस बल की कमी, अपर्याप्त सीसीटीवी कवरेज और बदमाशों के हौसले बुलंद होना अपराध का ग्राफ बढ़ा रहा है। नकाबपोश बदमाशों का बाइक पर आना, वारदात करना और फरार हो जाना एक पैटर्न बन चुका है। लेकिन इस पैटर्न को तोड़ने के लिए क्या किया जा रहा है? क्या पुलिस की रणनीति में कोई बदलाव आया है? या फिर यह सब सिर्फ "चलता रहेगा" की मानसिकता का नतीजा है?
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