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गाजियाबाद में अखिल भारतीय हिंदू महासभा, परमार्थ सेवा ट्रस्ट और विश्व ब्रह्मऋषि ब्राह्मण महासभा के तत्वाधान में पश्चिम बंगाल की स्थिति को लेकर गहरा आक्रोश व्यक्त किया गया। संगठनों ने ममता बनर्जी की सरकार पर हिंदुओं के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए उनकी प्रतीकात्मक शव यात्रा निकाली और उसे आग के हवाले किया। इस अवसर पर ब्रह्मऋषि विभूति बीके शर्मा हनुमान ने कहा कि बंगाल में हिंदुओं की स्थिति अत्यंत दयनीय हो चुकी है। उन्होंने मुर्शिदाबाद में हिंदुओं पर हुए हमलों का जिक्र करते हुए कहा कि यह हिंसा सुनियोजित और सांप्रदायिक घृणा से प्रेरित है।
मुर्शिदाबाद में हिंदुओं पर हमले और पलायन
मुर्शिदाबाद में वक्फ (संशोधन) कानून के विरोध के नाम पर हिंसा ने भयावह रूप ले लिया है। हिंदुओं के घरों, दुकानों और मंदिरों पर हमले किए गए, जिसके चलते सैकड़ों परिवार अपने घर छोड़कर पड़ोसी जिलों और झारखंड तक पलायन करने को मजबूर हुए। बीके शर्मा ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी की सरकार और पुलिस न केवल निष्क्रिय रही, बल्कि हिंसा करने वालों को खुला संरक्षण दे रही है। उन्होंने कहा कि हिंसक तत्व इतने दुस्साहसी हो चुके हैं कि वे सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) पर भी हमला करने से नहीं हिचक रहे।
यह स्थिति बंगाल में कानून-व्यवस्था के पूरी तरह चरमराने का संकेत देती है। बीके शर्मा ने इसे शर्मनाक बताते हुए कहा कि अपने ही देश में लोग शरणार्थी बनने को मजबूर हैं। उन्होंने मई 2021 की घटनाओं का भी उल्लेख किया, जब विधानसभा चुनावों के बाद तृणमूल कांग्रेस के समर्थकों ने कथित तौर पर विरोधियों को आतंकित किया था, जिससे लोग असम में शरण लेने को बाध्य हुए थे।
बंगाल पुलिस की निष्क्रियता और तृणमूल का रवैया
परमार्थ सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष वीके अग्रवाल ने बंगाल पुलिस की नाकामी पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि मुर्शिदाबाद के साथ-साथ मालदा, हुगली और अन्य क्षेत्रों में हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है, लेकिन पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के नेताओं पर हिंसा के लिए बीएसएफ को दोष देने का आरोप लगाया और इसे गैर-जिम्मेदाराना बयानबाजी करार दिया।
अग्रवाल ने कहा कि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने हिंसा को नियंत्रित करने के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दिया, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। राज्य सरकार बार-बार दावा कर रही है कि स्थिति नियंत्रण में है, जो वास्तविकता से कोसों दूर है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि उपद्रवियों पर लगाम नहीं लगाई गई, तो पलायन करने वाले लोग शायद कभी अपने घर न लौट पाएं।
केंद्र और सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग
संगठनों ने केंद्र सरकार से बंगाल में तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि ममता बनर्जी की सरकार कानून-व्यवस्था बनाए रखने में पूरी तरह विफल रही है, इसलिए राष्ट्रपति शासन लागू करना अब अनिवार्य हो गया है। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया गया कि वह बंगाल की स्थिति का स्वत संज्ञान ले और ममता सरकार को हिंसा के लिए जवाबदेह ठहराए।
बीके शर्मा ने हिंदू समाज से एकजुट होने का आह्वान करते हुए कहा कि यह उनकी मातृभूमि की रक्षा का समय है। उन्होंने जोर देकर कहा कि समाज का प्रत्येक व्यक्ति सुखी और सुरक्षित हो, यह हिंदू संगठनों का दायित्व है।
कार्यक्रम में शामिल प्रमुख लोग
इस अवसर पर भारतीय जनता पार्टी के नेता विजय मोहन, वीरेंद्र कंडेरा, श्रीकांत मलिक, रंजीत पोद्दार, अभिजीत दत्ता, विनीत कुमार शर्मा, मिलन मंडल, अर्जुन मंडल, अमल विश्वास, एन एस तोमर, पार्थो दास, छोटेलाल कनौजिया, ऋषि पाल शर्मा, अरुण गुप्ता और ब्रंजन विश्वास सहित कई लोग उपस्थित थे।
निष्कर्ष
बंगाल में हिंदुओं पर हो रही हिंसा और ममता बनर्जी सरकार की कथित निष्क्रियता ने गंभीर सवाल खड़े किए हैं। गाजियाबाद में हुए इस प्रदर्शन ने न केवल बंगाल की स्थिति को राष्ट्रीय स्तर पर उजागर किया, बल्कि केंद्र सरकार और न्यायपालिका से त्वरित कार्रवाई की मांग को भी मजबूती दी। यह स्पष्ट है कि बंगाल में शांति और कानून-व्यवस्था की बहाली के लिए कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि कोई भी नागरिक अपनी मातृभूमि पर असुरक्षित महसूस न करे।
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