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फाइल फोटो
शनिवार की दोपहर गाजियाबाद के वैशाली सेक्टर-चार के पास हिंडन नहर उस समय एक मार्मिक त्रासदी का गवाह बनी, जब एक युवती की जान बचाने की कोशिश में ट्रैफिक सिपाही अंकित तोमर ने अपनी जान गंवा दी। यह घटना न केवल एक सिपाही की वीरता और कर्तव्यनिष्ठा की कहानी है, बल्कि यह भी सवाल उठाती है कि क्या हम अपने नायकों को पर्याप्त सुरक्षा और सम्मान दे पा रहे हैं?
क्या हुआ उस दोपहर?
दोपहर के करीब 2 बजे, वैशाली सेक्टर-चार के पास हिंडन नहर के किनारे खड़े लोगों की नजर उस युवती पर पड़ी, जिसने अचानक नहर में छलांग लगा दी। वहां ड्यूटी पर तैनात दो ट्रैफिक पुलिसकर्मी, अंकित तोमर और उनके साथी, बिना पल गंवाए युवती को बचाने के लिए नहर में कूद पड़े। लेकिन हिंडन नहर की गहराई और तेज धारा ने इस मिशन को एक त्रासदी में बदल दिया।
युवती को किसी तरह बचा लिया गया, और अंकित के साथी भी मुश्किल से किनारे तक पहुंचे। लेकिन अंकित तोमर नहर की गहराई में खो गए। उनकी तलाश के लिए गोताखोरों को बुलाया गया, और करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद उन्हें नहर से निकाला गया। तुरंत उन्हें कौशांबी के एक निजी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
अंकित तोमर: एक साधारण सिपाही, असाधारण वीरता
अंकित तोमर, जिनकी उम्र महज 28 वर्ष थी, गाजियाबाद ट्रैफिक पुलिस में एक कर्तव्यनिष्ठ सिपाही थे। उनके साथी बताते हैं कि अंकित हमेशा अपनी ड्यूटी को सर्वोपरि मानते थे। चाहे भीषण गर्मी हो या कड़ाके की सर्दी, वह हमेशा मुस्कुराते हुए ट्रैफिक संभालते नजर आते थे।
लेकिन उस दिन, उन्होंने सिर्फ अपनी ड्यूटी नहीं निभाई, बल्कि एक अनजान युवती की जान बचाने के लिए अपनी जिंदगी दांव पर लगा दी।स्थानीय निवासी रमेश कुमार, जो घटना के चश्मदीद थे, बताते हैं, अंकित ने बिना सोचे नहर में छलांग लगा दी। वह युवती को बचाने के लिए तैरने की पूरी कोशिश कर रहे थे, लेकिन नहर की गहराई ने उन्हें लील लिया। ऐसा नजारा मैंने पहले कभी नहीं देखा।
सवाल जो बाकी रह गए
इस घटना ने कई सवाल खड़े किए हैं। हिंडन नहर, जो गाजियाबाद के कई इलाकों से होकर गुजरती है, पहले भी कई हादसों का गवाह रही है। क्या इस नहर के किनारे पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम हैं? क्या ट्रैफिक पुलिसकर्मियों को ऐसी आपात स्थिति के लिए प्रशिक्षण या उपकरण दिए जाते हैं? और सबसे बड़ा सवाल क्या हम अपने सिपाहियों की जान की कीमत को समझ पा रहे हैं?
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता मनीषा त्यागी कहती हैं, अंकित जैसे सिपाही हमारे समाज के असली हीरो हैं। लेकिन यह शर्मनाक है कि उन्हें न तो उचित संसाधन मिलते हैं, न ही ऐसी घटनाओं के बाद उनके परिवार को तुरंत सहायता। सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
एक परिवार का दर्द, एक शहर की श्रद्धांजलि
अंकित तोमर अपने पीछे अपनी पत्नी और दो साल की बेटी को छोड़ गए हैं। उनके परिवार का कहना है कि अंकित हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार रहते थे। वह कहता था कि उसकी ड्यूटी सिर्फ ट्रैफिक संभालना नहीं, बल्कि लोगों की जान बचाना भी है, अंकित की पत्नी ने रोते हुए बताया।
गाजियाबाद पुलिस ने अंकित तोमर को श्रद्धांजलि देते हुए उनके बलिदान को अनुकरणीय बताया। पुलिस आयुक्त जे. रविन्द्र गौड़ ने कहा, अंकित तोमर ने अपनी ड्यूटी से बढ़कर मानवता की मिसाल पेश की। हम उनके परिवार के साथ खड़े हैं और उनकी हर संभव मदद करेंगे।
आगे क्या?
इस घटना ने गाजियाबाद में हिंडन नहर के किनारे सुरक्षा व्यवस्था को लेकर बहस छेड़ दी है। स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि नहर के किनारे रेलिंग, चेतावनी बोर्ड, और आपातकालीन बचाव टीमें तैनात की जाएं। साथ ही, पुलिसकर्मियों के लिए बेहतर प्रशिक्षण और संसाधनों की मांग भी जोर पकड़ रही है।
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