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Ghaziabad News- हिंडन नदी: साफ पानी का सपना, नालों की गंदगी और वादों की हवा-हवाई उड़ान

हिंडन को बचाने के लिए अब सिर्फ बजट और योजनाओं की नहीं, बल्कि इच्छाशक्ति, जवाबदेही, और सामूहिक प्रयासों की जरूरत है। अगर हम आज नहीं चेते, तो हिंडन सिर्फ एक मैली नदी बनकर नहीं रहेगी,

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Kapil Mehra
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गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता

गाजियाबाद: यमुना की सहायक हिंडन नदी, जो कभी जीवनदायिनी थी, आज गंदगी और प्रदूषण का पर्याय बन चुकी है। केंद्र सरकार के राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के तहत हिंडन को स्वच्छ करने के लिए 2023 में 407.39 करोड़ रुपये की भारी-भरकम राशि मंजूर की गई थी।

चार परियोजनाओं के साथ हिंडन कायाकल्प योजना का ढोल पीटा गया, लेकिन 2025 आते-आते यह योजना कागजी शेर से ज्यादा कुछ नहीं दिखती। नाले अब भी हिंडन का गला घोंट रहे हैं, प्रशासनिक सुस्ती बरकरार है, और स्थानीय लोग सिर्फ वादों की हवा में तैर रहे हैं।

हिंडन की बदहाली: नाले हैं खलनायक या प्रशासन?

हिंडन नदी को प्रदूषित नदियों में पहली प्राथमिकता दी गई थी। 2023 में केंद्र सरकार ने यमुना की सहायक नदियों, खासकर हिंडन और इसकी सहायक कृष्णा, काली-पश्चिम, और धमोला को साफ करने के लिए बड़े-बड़े दावे किए। 407 करोड़ रुपये की परियोजनाएं शुरू हुईं, जिनका मकसद था नदियों में गंदे पानी का प्रवाह रोकना और हिंडन को फिर से नीला और स्वच्छ बनाना। लेकिन जुलाई 2024 की प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एक रिपोर्ट ने सारी पोल खोल दी।

फोटो जर्नलिस्ट सुनील कुमार

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रिपोर्ट के मुताबिक, हिंडन से जुड़े 55 नाले चिह्नित किए गए। इनमें से 26 नाले सीधे हिंडन में गंदगी उड़ेल रहे हैं, 17 नाले काली-पश्चिम के रास्ते, 5 नाले धमोला के जरिए, और 4 नाले कृष्णा के माध्यम से हिंडन को प्रदूषित कर रहे हैं। सिर्फ 3 नाले सूखे पड़े हैं, बाकी सब हिंडन की सेहत बिगाड़ने में जुटे हैं। खासकर गाजियाबाद के आठ बड़े नाले तो हिंडन के लिए काल बन चुके हैं।

इन नालों का गंदा पानी बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) और केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (सीओडी) को खतरनाक स्तर तक ले जा रहा है।कुछ नालों का पानी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से शोधित होकर हिंडन में गिरता है, लेकिन यह बूंद के सामने समंदर की तरह है। सवाल यह है कि क्या नाले ही असली खलनायक हैं, या फिर प्रशासन की लापरवाही और योजनाओं की हवा-हवाई उड़ान ने हिंडन को इस हाल में पहुंचाया?

फोटो जर्नलिस्ट सुनील कुमार

2024: हिंडन की याद तो आई, पर काम नहीं हुआ

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2024 में गाजियाबाद नगर निगम को अचानक हिंडन की बदहाली की याद आई। नगर आयुक्त ने हिंडन की सफाई के लिए आदेश जारी किए, लेकिन ये आदेश हवा में तैरते गुब्बारे की तरह थे—दिखने में सुंदर, लेकिन असल में खोखले। कोई ठोस कार्ययोजना नहीं बनी, न ही नालों को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी कदम उठाए गए। नतीजा? हिंडन और मैली होती गई, और स्थानीय लोगों का भरोसा टूटता गया।

2025: फिर जगी उम्मीद, लेकिन कितनी हकीकत?

अब 2025 में सरकार को एक बार फिर हिंडन की सुध आई है। इस बार नगर निगम और सिंचाई विभाग मिलकर हिंडन को साफ करने और संवारने के लिए 1,000 करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी कार्ययोजना तैयार कर रहे हैं। इस बजट का 75% केंद्र सरकार और 25% राज्य सरकार वहन करेगी। योजना में नालों का प्रदूषण रोकना, नदी के किनारों का सौंदर्यीकरण, और हिंडन को फिर से जीवंत करने की बातें शामिल हैं।

फोटो जर्नलिस्ट सुनील कुमार

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लेकिन सवाल वही है क्या यह योजना भी 2023 की तरह कागजों तक सीमित रह जाएगी? 407 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का क्या हुआ? नालों की गंदगी को रोकने के लिए क्या ठोस कदम उठाए गए? स्थानीय लोग पूछ रहे हैं कि जब 55 नालों की गंदगी को रोकने में प्रशासन नाकाम रहा, तो 1,000 करोड़ रुपये की योजना कैसे चमत्कार करेगी?

हिंडन की पुकार: अब तो सुन लो!

हिंडन सिर्फ एक नदी नहीं, बल्कि गाजियाबाद और आसपास के लाखों लोगों की जीवनरेखा है। इसके प्रदूषण ने न सिर्फ पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया, बल्कि स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य और आजीविका पर भी असर डाला है। नालों का गंदा पानी, औद्योगिक कचरा, और अनियंत्रित शहरीकरण ने हिंडन को मरणासन्न कर दिया है।

हालांकि, कुछ उम्मीद की किरणें भी दिख रही हैं। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स की शुरुआत और नालों के पानी को शोधित करने के प्रयास सकारात्मक हैं, लेकिन इनकी गति और प्रभावशीलता को बढ़ाने की जरूरत है। हिंडन को बचाने के लिए सिर्फ बजट और योजनाएं काफी नहीं, बल्कि स्थानीय प्रशासन, नागरिकों, और सरकार के बीच एकजुट प्रयासों की जरूरत है।

फोटो जर्नलिस्ट सुनील कुमार

नाले बंद करो, हिंडन को जिंदा करो!

हिंडन की बदहाली की कहानी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमारी नदियों का भविष्य सिर्फ कागजी योजनाओं और सरकारी फाइलों में सिमटकर रह जाएगा? गाजियाबाद के आठ बड़े नालों को अगर समय रहते नियंत्रित कर लिया जाए, तो हिंडन की सेहत में सुधार संभव है।

नालों का शोधन: सभी 55 नालों को चिह्नित कर उनके पानी को एसटीपी के जरिए शोधित किया जाए।

औद्योगिक कचरे पर रोक: हिंडन में डालने वाले औद्योगिक कचरे पर सख्त निगरानी और दंड की व्यवस्था हो।

जन जागरूकता: स्थानीय लोगों को हिंडन की सफाई में भागीदार बनाया जाए, ताकि वे नदी में कूड़ा डालने से बचें।

प्रशासनिक जवाबदेही: योजनाओं के अमल में पारदर्शिता और समयबद्धता सुनिश्चित की जाए।

फोटो जर्नलिस्ट सुनील कुमार

हिंडन का भविष्य हमारे हाथ में

हिंडन नदी की कहानी सिर्फ गंदगी और प्रदूषण की नहीं, बल्कि हमारी नाकामी और आधे-अधूरे वादों की भी है। 2023 में 407 करोड़ रुपये की परियोजनाएं शुरू हुईं, 2024 में नगर निगम ने हवा-हवाई आदेश दिए, और अब 2025 में 1,000 करोड़ की नई कार्ययोजना बन रही है। लेकिन असली सवाल यह है कि क्या हिंडन का पानी सचमुच साफ होगा? क्या नाले उसका गला घोंटना बंद करेंगे?

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