गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
गाजियाबाद के मुरादनगर से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जहां लगभग 500 साल पुरानी ऐतिहासिक सराय पर अवैध कब्जा कर निर्माण कार्य किया जा रहा है। यह सराय, जो शेरशाह सूरी के काल में बनी थी और सदियों से नगर की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक रही है, अब भूमाफियाओं और असामाजिक तत्वों के निशाने पर है। इस धरोहर को बचाने के लिए हेल्प एशियन फाउंडेशन ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
ऐतिहासिक सराय पर खतरा
मुरादनगर नगर पालिका क्षेत्र में स्थित यह सराय शेरशाह सूरी के समय की है और इसका ऐतिहासिक महत्व अकाट्य है। हेल्प एशियन फाउंडेशन के प्रदेश अध्यक्ष यूसुफ खान ने आरोप लगाया है कि भ्रष्ट अधिकारियों और स्थानीय रसूखदारों की मिलीभगत से इस स्थल की गुंबदें तोड़ी जा रही हैं और वहां पक्के निर्माण किए जा रहे हैं।
यूसुफ खान ने कहा,“यह 500 साल पुरानी सराय हमारी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है। भूमाफिया और असामाजिक तत्व इस पर कब्जा कर रहे हैं। हमने मुख्यमंत्री, जिलाधिकारी, एसडीएम और संबंधित विभागों को शिकायत भेजी है। अगर कार्रवाई नहीं हुई, तो हम हाईकोर्ट और जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे।”संस्था ने दावा किया है कि गूगल मैपिंग और स्थल निरीक्षण से अवैध कब्जे की पुष्टि हो सकती है। यह सराय न केवल ऐतिहासिक है, बल्कि यह क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान का भी हिस्सा है।
नगर पालिका का जवाब
इस मामले पर नगर पालिका परिषद मुरादनगर के अधिशासी अधिकारी शैलेंद्र कुमार सिंह ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा,“हम इस स्थल का निरीक्षण कर रहे हैं। इसका खसरा नंबर निकलवाया जा रहा है। यदि यह सरकारी जमीन पाई गई, तो अवैध कब्जा तुरंत हटाया जाएगा और जिम्मेदारों पर कार्रवाई की जाएगी।”
हालांकि, स्थानीय लोगों और हेल्प एशियन फाउंडेशन को प्रशासन की त्वरित कार्रवाई की उम्मीद है, क्योंकि देरी से इस ऐतिहासिक धरोहर को और नुकसान हो सकता है।
हेल्प एशियन फाउंडेशन का संकल्प
हेल्प एशियन फाउंडेशन ने स्पष्ट किया है कि अगर प्रशासन इस मामले में चुप रहा, तो वह इस सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा के लिए जन आंदोलन शुरू करने से पीछे नहीं हटेगा। संस्था ने इस मुद्दे को जनता के बीच ले जाकर व्यापक जागरूकता फैलाने की भी योजना बनाई है।
क्या बचेगी 500 साल पुरानी विरासत?
यह मामला न केवल मुरादनगर, बल्कि पूरे देश के लिए एक गंभीर सवाल खड़ा करता है। क्या हम अपनी ऐतिहासिक धरोहरों को भ्रष्टाचार और लापरवाही की भेंट चढ़ने देंगे? या फिर समय रहते इसे बचाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे? सवाल गंभीर है, और अब जवाब प्रशासन को देना है।
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