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इंदिरापुरम में ही क्यों चल रहे हैं अवैध स्पा सेंटर
गाजियाबाद का इंदिरापुरम, ट्रांस हिंडन का एक पॉश और हाई-प्रोफाइल इलाका, इन दिनों अवैध स्पा सेंटर और हुक्का बार के लिए चर्चा का केंद्र बना हुआ है। हैरानी की बात यह है कि इन अवैध गतिविधियों के पीछे ज्यादातर मालिक और कर्मचारी दिल्ली से आ रहे हैं। सवाल उठता है कि आखिर दिल्ली के ये लोग गाजियाबाद को क्यों अपना ठिकाना बना रहे हैं?
क्या दिल्ली पुलिस की सख्ती ने इन्हें गाजियाबाद की ओर धकेला है? और सबसे बड़ा सवाल क्या गाजियाबाद पुलिस इन अवैध गतिविधियों पर नकेल कसने में नाकाम साबित हो रही है? आइए, इस मामले की तह तक जाते हैं।
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दिल्ली से गाजियाबाद: अवैध धंधों का नया ठिकाना
पिछले कुछ वर्षों में दिल्ली में अवैध स्पा सेंटर और हुक्का बार पर दिल्ली पुलिस और दिल्ली नगर निगम (MCD) की सख्ती बढ़ी है। मार्च 2025 में दिल्ली के महापौर ने अवैध स्पा सेंटर, बिना लाइसेंस वाले OYO होटल, और हुक्का बार के खिलाफ बड़े पैमाने पर छापेमारी अभियान शुरू करने का ऐलान किया था। इसके अलावा, दिल्ली महिला आयोग (DCW) की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने 2019 में राजौरी गार्डन जैसे इलाकों में स्पा सेंटरों पर छापेमारी कर कई सेक्स रैकेट का पर्दाफाश किया था। दिल्ली में लॉकडाउन नियमों का उल्लंघन करने वाले हुक्का बार पर भी 2021 में दक्षिण-पूर्वी दिल्ली पुलिस ने 29 लोगों को गिरफ्तार किया था।
इस सख्ती का नतीजा यह हुआ कि दिल्ली में अवैध धंधे चलाने वालों ने पड़ोसी शहर गाजियाबाद, खासकर इंदिरापुरम, को अपना नया ठिकाना बनाना शुरू कर दिया। इंदिरापुरम की भौगोलिक स्थिति दिल्ली से सटे होने और एनसीआर का हिस्सा होने के कारण यह इन धंधों के लिए सुरक्षित जगह बन गई। यहाँ की हाई-प्रोफाइल सोसाइटीज़, मॉल्स, और व्यावसायिक इमारतें इन अवैध गतिविधियों को छिपाने का आसान जरिया प्रदान करती हैं।
इंदिरापुरम में अवैध स्पा और हुक्का बार: कुछ ताजा मामले
गाजियाबाद के इंदिरापुरम में अवैध स्पा सेंटर और हुक्का बार की गतिविधियाँ कोई नई बात नहीं हैं। हाल के कुछ मामलों पर नजर डालें:
दिसंबर 2024, डी-मॉल
शक्तिखंड: इंदिरापुरम पुलिस ने शक्तिखंड दो के डी-मॉल में अवैध रूप से चल रहे टीओडी क्लब हुक्का बार पर छापा मारा। पुलिस ने मालिक रौनक सिंह (वैशाली, गाजियाबाद) और मैनेजर आकाश (शक्तिखंड) को गिरफ्तार किया। मौके से तीन हुक्के, पाइप, और तंबाकू बरामद हुए।
जनवरी 2025, वसुंधरा सेक्टर-2
इंदिरापुरम पुलिस ने वसुंधरा सेक्टर-2 में एक अवैध हुक्का बार पर छापा मारकर मालिक साहिल (नोएडा) और मैनेजर नमन उर्फ प्रांजल को गिरफ्तार किया। यह बार नए साल से ठीक पहले शुरू हुआ था और 24 से अधिक युवा वहाँ हुक्का पार्टी करते पकड़े गए।
जून 2023, जयपुरिया मॉल
इंदिरापुरम के जयपुरिया मॉल में पाखी स्पा सेंटर पर छापेमारी में सात युवतियाँ, दो ग्राहक, और दो मालिक पकड़े गए। पुलिस ने आपत्तिजनक सामग्री बरामद की और देह व्यापार की शिकायत की पुष्टि की।
दिसंबर 2021, अभय खंड
इंदिरापुरम के किंग कैफे हुक्का बार पर छापेमारी में 13 लोग गिरफ्तार किए गए। पुलिस ने 20 बोतल शराब, 29 हुक्के, और अन्य नशीली सामग्री बरामद की।
इन मामलों में एक बात समान है ज्यादातर मालिक और कर्मचारी दिल्ली या दिल्ली से सटे इलाकों (जैसे नोएडा, ग्रेटर नोएडा) के रहने वाले हैं। इसका कारण दिल्ली में बढ़ती सख्ती और गाजियाबाद में अपेक्षाकृत कम निगरानी को माना जा रहा है।
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दिल्ली पुलिस की सख्ती: गाजियाबाद पर असर
दिल्ली में अवैध स्पा सेंटर और हुक्का बार पर सख्ती का असर साफ दिख रहा है। दिल्ली पुलिस ने न केवल छापेमारी बढ़ाई है, बल्कि MCD ने भी लाइसेंस और नियमों का पालन न करने वाले प्रतिष्ठानों को बंद करने की रणनीति बनाई है। उदाहरण के लिए, दिल्ली में हुक्का बार चलाने के लिए सख्त लाइसेंस नियम हैं, और तंबाकू युक्त हुक्का पर प्रतिबंध है। साथ ही, स्पा सेंटरों में देह व्यापार की शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई हो रही है।
इसके विपरीत, गाजियाबाद में पुलिस की कार्रवाई छिटपुट और प्रतिक्रियात्मक रही है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि इंदिरापुरम के मॉल्स और व्यावसायिक इमारतों में कई स्पा सेंटर और हुक्का बार बिना लाइसेंस के चल रहे हैं, लेकिन पुलिस तभी कार्रवाई करती है जब कोई शिकायत मिलती है। यह स्थिति दिल्ली के अवैध धंधेबाजों के लिए गाजियाबाद को एक सुरक्षित ठिकाना बनाती है।
गाजियाबाद पुलिस: नाकाम या लापरवाह?
गाजियाबाद पुलिस पर सवाल उठ रहे हैं कि क्या वह इन अवैध गतिविधियों पर नकेल कसने में नाकाम रही है? हाल के वर्षों में पुलिस ने कई छापेमारियाँ की हैं, लेकिन ये कार्रवाइयाँ ज्यादातर मुखबिरों की सूचना या स्थानीय शिकायतों के आधार पर हुई हैं। कोई दीर्घकालिक रणनीति या सघन निगरानी का अभाव दिखता है।
क्या है कारण
लाइसेंस की जाँच में ढिलाई
गाजियाबाद में कई स्पा सेंटर और हुक्का बार बिना वैध लाइसेंस के चल रहे हैं। उदाहरण के लिए, डी-मॉल के टीओडी क्लब के मालिक कोई एनओसी नहीं दिखा पाए।
पुनरावृत्ति की समस्या
एक बार छापेमारी के बाद कई बार वही प्रतिष्ठान नए नाम से फिर शुरू हो जाते हैं। 2018 में कविनगर के राजनगर डिस्ट्रिक्ट सेंटर में छापेमारी के बाद भी अवैध स्पा और हुक्का बार फिर से खुल गए।
स्थानीय सहयोग
कुछ स्थानीय लोग आरोप लगाते हैं कि पुलिस और प्रशासन की मिलीभगत के कारण ये धंधे फल-फूल रहे हैं, हालाँकि इसकी कोई ठोस पुष्टि नहीं है।
पूर्व में ट्रांस हिंडन के एसीपी इंदिरापुरम स्वतंत्र कुमार सिंह ने अपने एक बयान में कहा था “हम अवैध गतिविधियों पर लगातार नजर रख रहे हैं और शिकायत मिलने पर तुरंत कार्रवाई करते हैं।” लेकिन स्थानीय निवासियों का कहना है कि पुलिस की कार्रवाई सतही है और बार-बार होने वाली घटनाएँ प्रशासन की नाकामी को दर्शाती हैं।
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स्वास्थ्य और सामाजिक खतरे
अवैध हुक्का बार और स्पा सेंटर न केवल कानूनी उल्लंघन हैं, बल्कि ये स्वास्थ्य और सामाजिक खतरे भी पैदा कर रहे हैं। हुक्का पीने से फेफड़ों, हृदय, और श्वसन तंत्र को नुकसान पहुँचता है, और इसमें मौजूद तंबाकू और रसायन कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बन सकते हैं। दूसरी ओर, स्पा सेंटरों में देह व्यापार की शिकायतें सामाजिक और नैतिक मुद्दों को जन्म दे रही हैं। इंदिरापुरम जैसे पॉश इलाके में ऐसी गतिविधियाँ स्थानीय निवासियों, खासकर परिवारों, के लिए चिंता का विषय बन रही हैं।
निष्कर्ष: जरूरत है सख्त और दीर्घकालिक रणनीति की
इंदिरापुरम में अवैध स्पा सेंटर और हुक्का बार की बढ़ती गतिविधियाँ दिल्ली पुलिस की सख्ती का परिणाम हो सकती हैं, लेकिन गाजियाबाद पुलिस की निष्क्रियता ने इसे और बढ़ावा दिया है। गाजियाबाद पुलिस को चाहिए कि वह दिल्ली की तर्ज पर एक सघन निगरानी और छापेमारी अभियान शुरू करे। इसके लिए कुछ सुझाव:
लाइसेंस की नियमित जाँच:
सभी स्पा सेंटर और हुक्का बार के लाइसेंस की नियमित जाँच हो, और बिना लाइसेंस वाले प्रतिष्ठानों को तुरंत बंद किया जाए।
खुफिया नेटवर्क
स्थानीय खुफिया नेटवर्क को मजबूत कर अवैध गतिविधियों की पहले से जानकारी जुटाई जाए।
जागरूकता अभियान
स्थानीय निवासियों को अवैध गतिविधियों की शिकायत करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
इंदिरापुरम जैसे पॉश इलाके को अवैध धंधों का अड्डा बनने से रोकने के लिए गाजियाबाद पुलिस को अब और सतर्क और सक्रिय होने की जरूरत है। अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो यह समस्या और गंभीर रूप ले सकती है, जो न केवल गाजियाबाद की छवि को खराब करेगी, बल्कि सामाजिक सौहार्द को भी प्रभावित कर सकती है।
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