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Digital Froud - लोनी में ठगों का नया खेल: पेटीएम कर्मचारी बनकर दुकानदारों को ठगा

अगर कोई "पेटीएम कर्मचारी" बनकर आपकी दुकान पर आए, तो ज़रा ठहरिए, सोचिए, और फिर कदम उठाइए। क्योंकि आजकल ठग सिर्फ जेब नहीं, आपके डिजिटल वॉलेट पर भी नज़र रखते हैं!

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Kapil Mehra
Photo sources by Google

पेटीएम कर्मचारी बनाकर दुकानदार को ठगा

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गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता 

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गाजियाबाद के लोनी कोतवाली क्षेत्र के मुख्य बाजार में ठगों ने ऐसा जाल बुना कि देखते ही देखते दुकानदारों के 13,800 रुपये हवा हो गए। ये कहानी कोई साधारण चोरी की नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजी और ठगी के कॉकटेल की है, जो दुकानदारों को हैरान और पुलिस को जांच में उलझा रही है। 

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पेटीएम कर्मचारी बनकर बिछाया जाल

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दो युवक, चेहरे पर मुस्कान और बातों में चिकनाहट लिए, लोनी के मेन बाजार में दुकानों पर पहुंचे। खुद को पेटीएम का कर्मचारी बताते हुए उन्होंने दुकानदारों को एक स्कीम का लालच दिया। दुकानदार, जो रोज़मर्रा के कारोबार में व्यस्त रहते हैं, इनकी बातों में आ गए। ठगों ने चालाकी से दुकानों में रखे पेटीएम बिजनेस अकाउंट का एक्सेस हासिल कर लिया। पहली मुलाकात में सब कुछ सामान्य लगा और युवक चुपके से वहां से चले गए। 

खरीदारी और रिफंड का खेल 

कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। ये युवक दोबारा दुकानों पर लौटे, इस बार ग्राहक बनकर। एक दुकान से उन्होंने करीब 11,000 रुपये के कपड़े खरीदे।

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पेमेंट बिल्कुल, पेटीएम से

दुकानदार को स्कैनर पर पैसे मिलने की पुष्टि हुई, और युवक बड़े आराम से कपड़े लेकर निकल गए। लेकिन असली खेल तो अब शुरू हुआ। दस मिनट बाद ही दुकानदारों के अकाउंट में आए पैसे उनके खाते से गायब! जांच करने पर पता चला कि पेमेंट रिफंड के जरिए ठगों के अकाउंट में वापस चला गया। 

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टेक्नोलॉजी ने ठगी को बनाया आसान

ये कोई जादू नहीं, बल्कि डिजिटल ठगी का नया नमूना है। पेटीएम बिजनेस अकाउंट का एक्सेस लेकर ठगों ने सिस्टम में ऐसी सेंध लगाई कि दुकानदारों को भनक तक नहीं लगी। रिफंड का ये खेल इतना तेज़ था कि दुकानदार कुछ समझ पाते, उससे पहले ही ठग अपनी मंजिल पार कर चुके थे।

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पुलिस की जांच और दुकानदारों की सतर्कता

एसीपी लोनी सिद्धार्थ गौतम ने बताया कि मामला उनके संज्ञान में है और पुलिस इसकी तह तक जाने के लिए जांच कर रही है। लेकिन सवाल ये है कि क्या जांच पूरी होने तक ठग पकड़े जाएंगे, या वो अगले बाजार में अपना जाल बिछाने को तैयार हैं? दुकानदार अब सतर्क हो रहे हैं, लेकिन नुकसान तो हो चुका है।

क्या है सबक?

लोनी की इस घटना ने एक बार फिर साबित किया कि डिजिटल युग में ठगी भी हाई-टेक हो चुकी है। अनजान लोगों पर भरोसा करने से पहले दुकानदारों को अब अपने डिजिटल अकाउंट्स की सुरक्षा पर ज्यादा ध्यान देना होगा। पेटीएम या किसी भी डिजिटल पेमेंट सिस्टम का इस्तेमाल करते वक्त दो बार जांच, पासवर्ड की गोपनीयता, और अनजान स्कीम्स से दूरी ही इस तरह की ठगी से बचा सकती है।

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