गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
नवयुग मार्केट की सजी-धजी गलियां, हनुमान जी की भक्ति में डूबी भीड़, और कढ़ी-चावल की महक—यह नजारा था हनुमान जी की छठी के पावन अवसर का, जब आस्था और सेवा एक साथ गले मिले। इस खास दिन पर स्थानीय लोगों ने मिलकर कढ़ी-चावल का प्रसाद वितरण किया, जिसमें राजू गुप्ता, अमित गुप्ता, मनीष, सुनील, कपिल और अन्य स्वयंसेवकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। यह आयोजन सिर्फ प्रसाद वितरण तक सीमित नहीं था, बल्कि यह नवयुग मार्केट की एकता और भक्ति का जीवंत प्रतीक बन गया।हनुमान जी की छठी का उत्सव
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हनुमान जी की छठी
भगवान हनुमान के जन्मोत्सव के छठे दिन मनाई जाती है, भक्तों के लिए विशेष महत्व रखती है। इस दिन हनुमान जी की पूजा-अर्चना के साथ-साथ दान और सेवा के कार्य किए जाते हैं। नवयुग मार्केट में इस परंपरा को निभाते हुए स्थानीय व्यापारियों और निवासियों ने मिलकर एक भव्य प्रसाद वितरण का आयोजन किया। सुबह से ही मार्केट में भक्ति भजनों की गूंज शुरू हो गई थी, और हनुमान चालीसा के पाठ ने माहौल को और पवित्र बना दिया।
कढ़ी-चावल: सादगी में स्वाद और भक्ति
प्रसाद के रूप में कढ़ी-चावल का चयन इस आयोजन की सादगी और समावेशिता को दर्शाता है। कढ़ी की खुशबू और चावल की सादगी ने न सिर्फ भक्तों का मन मोहा, बल्कि हर वर्ग के लोगों को एक साथ जोड़ा। प्रसाद वितरण का काम सुबह 10 बजे से शुरू हुआ और देर दोपहर तक चला। बच्चे, बुजुर्ग, और युवा—सभी ने लाइन में लगकर प्रसाद ग्रहण किया और हनुमान जी का आशीर्वाद मांगा।
स्वयंसेवकों का जज्बा
इस आयोजन की रीढ़ रहे राजू गुप्ता, अमित गुप्ता, मनीष, सुनील, और कपिल जैसे स्वयंसेवक, जिन्होंने न सिर्फ प्रसाद तैयार करने में मदद की, बल्कि इसे वितरित करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। राजू गुप्ता, जो स्थानीय व्यापारी हैं, ने बताया, "हनुमान जी की कृपा से ही हमारा व्यापार और जीवन चल रहा है। प्रसाद वितरण हमारे लिए सेवा का अवसर है, जिससे मन को सुकून मिलता है।" मनीष और कपिल ने भी कहा कि इस तरह के आयोजन से न सिर्फ आस्था मजबूत होती है, बल्कि समुदाय में आपसी भाईचारा भी बढ़ता है।
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नवयुग मार्केट की एकता
नवयुग मार्केट, जो गाजियाबाद का एक व्यस्त व्यापारिक केंद्र है, इस दिन सिर्फ दुकानों और खरीदारी का गढ़ नहीं रहा। यह एक ऐसा मंच बन गया, जहां लोग धर्म, जाति, और वर्ग से ऊपर उठकर एक साथ आए। स्थानीय निवासी शांति देवी ने कहा, "ऐसे आयोजन हमें याद दिलाते हैं कि हम सब एक हैं। कढ़ी-चावल का प्रसाद खाकर मन को ठंडक मिली।" बच्चों की टोली भी प्रसाद लेने में पीछे नहीं रही, और उनकी हंसी-खुशी ने माहौल को और जीवंत कर दिया।
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