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गाजियाबाद के थाना साइबर क्राइम पुलिस कमिश्नरेट ने ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग के नाम पर ठगी करने वाले एक शातिर अभियुक्त को गिरफ्तार कर साइबर अपराध के खिलाफ बड़ी सफलता हासिल की है। इस कार्रवाई में न केवल ठगी के 61,08,000 रुपये पीड़ितों को रिफंड कराए गए, बल्कि थाना साइबर क्राइम के दो अभियोगों के साथ-साथ अन्य राज्यों की दो घटनाओं का भी खुलासा हुआ। यह कार्रवाई साइबर ठगों के बढ़ते हौसलों पर नकेल कसने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग के नाम पर ठगी का जाल
पुलिस के अनुसार, गिरफ्तार अभियुक्त फर्जी शेयर ट्रेडिंग ऐप्स और व्हाट्सएप ग्रुप्स के जरिए लोगों को मोटे मुनाफे का लालच देकर ठगी का शिकार बनाता था। अभियुक्त सोशल मीडिया और मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल कर भोले-भाले लोगों को अपने जाल में फंसाता था। पीड़ितों को फर्जी ऐप्स पर अकाउंट खुलवाकर और झूठा मुनाफा दिखाकर लाखों रुपये ट्रांसफर करवाए जाते थे। गाजियाबाद में इस तरह की ठगी की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं, जिसके चलते साइबर क्राइम पुलिस ने विशेष अभियान शुरू किया है।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई और रिफंड
थाना साइबर क्राइम पुलिस ने शिकायत मिलते ही तत्काल जांच शुरू की और अभियुक्त की तलाश में जुट गई। गहन तकनीकी जांच और सूचना के आधार पर अभियुक्त को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने ठगी की रकम को ट्रेस कर 61,08,000 रुपये पीड़ितों के खातों में वापस करवाए। इसके साथ ही, इस मामले में थाना साइबर क्राइम के दो मुकदमों का खुलासा हुआ, जिसमें अभियुक्त की संलिप्तता पाई गई। इतना ही नहीं, अन्य राज्यों में हुई दो साइबर ठगी की घटनाओं के तार भी इस अभियुक्त से जुड़े पाए गए, जिससे इस गिरफ्तारी की अहमियत और बढ़ गई।
एडीसीपी क्राइम का बयान
एडीसीपी क्राइम पीयूष ने बताया,“शेयर ट्रेडिंग के नाम पर साइबर ठगी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। हमारी टीम ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई कर अभियुक्त को गिरफ्तार किया और पीड़ितों को उनकी रकम वापस दिलाई। लोगों से अपील है कि अनजान लिंक्स पर क्लिक करने और बिना जांच के निवेश करने से बचें।”उन्होंने यह भी बताया कि अभियुक्त से पूछताछ जारी है, जिससे इस ठगी के नेटवर्क के अन्य सदस्यों और घटनाओं का खुलासा होने की संभावना है।
कैसे काम करता था ठगी का गिरोह?
पुलिस जांच में सामने आया कि अभियुक्त फर्जी वेबसाइट्स और ऐप्स बनाकर लोगों को शेयर ट्रेडिंग में निवेश का लालच देता था। व्हाट्सएप ग्रुप्स में पीड़ितों को जोड़ा जाता था, जहां फर्जी ट्रेडिंग टिप्स और मुनाफे के स्क्रीनशॉट्स दिखाए जाते थे। इसके बाद पीड़ितों से अलग-अलग बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर करवाए जाते थे। कई बार पीड़ितों को छोटी रकम वापस दी जाती थी ताकि उनका भरोसा जीता जा सके, लेकिन बाद में पूरी रकम गायब कर दी जाती थी।
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