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Ghaziabad News - पुलिस ने कानून-व्यवस्था और अपराध नियंत्रण के लिए शुरू की सुधारित बीट व्यवस्था

बीट पुलिस ऑफिसर और उप-निरीक्षक: प्रत्येक बीट पर मुख्य आरक्षी/आरक्षी, महिला मुख्य आरक्षी/आरक्षी (बीट पुलिस ऑफिसर) और उप-निरीक्षक/महिला उप-निरीक्षक (बीट उप-निरीक्षक) की नियुक्ति होगी।

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Kapil Mehra
फोटो जर्नलिस्ट सुनील कुमार

गाजियाबाद के नए पुलिस कमिश्नर ने लागू करी नई व्यवस्था

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गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता 

गाजियाबाद पुलिस कमिश्नरेट ने कानून-व्यवस्था को सुदृढ़ करने और अपराध पर प्रभावी नियंत्रण के लिए सुधारित बीट व्यवस्था की शुरुआत की है। पुलिस कमिश्नर जे. रविन्द्र गौड़ ने आज मीडिया को संबोधित करते हुए इस नई पहल की विस्तृत जानकारी दी।

बीट प्रणाली: सामुदायिक पुलिसिंग की नींव

पुलिसिंग में बीट प्रणाली का अर्थ है किसी विशेष भौगोलिक क्षेत्र (बीट) की जिम्मेदारी एक पुलिस अधिकारी या टीम को सौंपना। यह प्रणाली नियमित गश्त, जनता के साथ संवाद और स्थानीय स्तर पर समस्याओं के समाधान को बढ़ावा देती है। बीट प्रणाली को सामुदायिक पुलिसिंग का आधार माना जाता है, जो पुलिस और जनता के बीच विश्वास, जवाबदेही और सहयोग को मजबूत करती है।

सुधारित बीट व्यवस्था की आवश्यकता

पुलिस कमिश्नर ने बताया कि पहले बीट व्यवस्था के निर्देशों का समुचित पालन न होने के कारण अपराधियों की निगरानी, उनके खिलाफ कार्रवाई और कानून-व्यवस्था बनाए रखने में कठिनाइयां आ रही थीं। इसे और प्रभावी बनाने के लिए गाजियाबाद कमिश्नरेट में एकरूप और व्यवस्थित बीट प्रणाली लागू की जा रही है।

नई बीट व्यवस्था की विशेषताएं

बीट पुलिस ऑफिसर और उप-निरीक्षक: प्रत्येक बीट पर मुख्य आरक्षी/आरक्षी, महिला मुख्य आरक्षी/आरक्षी (बीट पुलिस ऑफिसर) और उप-निरीक्षक/महिला उप-निरीक्षक (बीट उप-निरीक्षक) की नियुक्ति होगी।

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जनसंपर्क और परिचय

थाना प्रभारी द्वारा आयोजित जनसंपर्क कार्यक्रमों में बीट पुलिस ऑफिसर और उप-निरीक्षकों को जनता से परिचित कराया जाएगा।

महिला प्रतिनिधित्व

प्रत्येक थाने की बीट में 10-15% महिला पुलिसकर्मियों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।जनसंख्या सीमा: किसी भी बीट की जनसंख्या 5,000 से अधिक नहीं होगी।

बीटों की संख्या

कमिश्नरेट में कुल 2,096 बीटों का गठन किया गया है, जिनका पर्यवेक्षण 717 बीट उप-निरीक्षक करेंगे।

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जनकेंद्रित पुलिसिंग का उद्देश्य

यह नई व्यवस्था जनकेंद्रित पुलिसिंग के सिद्धांत पर आधारित है, जिसका लक्ष्य नागरिकों की भागीदारी से सुरक्षित, पारदर्शी और उत्तरदायी पुलिस व्यवस्था का निर्माण करना है। पुलिस और जनता के बीच विश्वास को बढ़ावा देने, हर नागरिक की शिकायत को संवेदनशीलता से सुनने और समस्याओं का त्वरित समाधान करने पर जोर दिया गया है। पारदर्शिता, संवाद और तकनीक के उपयोग से पुलिस न केवल कानून लागू करने वाली संस्था होगी, बल्कि समाज के हर वर्ग की सहयोगी बनेगी।

किन अपराधों पर लगेगी लगाम?

नई बीट व्यवस्था के तहत निम्नलिखित अपराधों और समस्याओं पर विशेष ध्यान दिया जाएगा:

गोकशी, सट्टा, जुआ, देह व्यापार, अवैध शराब और मादक पदार्थों की बिक्री।

अवैध पेड़ कटाई और अन्य आपराधिक गतिविधियों पर निगरानी।

बैंक, पेट्रोल पंप, मनी ट्रांसफर केंद्र, गैस एजेंसी, सर्राफा बाजार और ज्वैलरी दुकानों की सुरक्षा।

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आपसी रंजिश, साम्प्रदायिक विवाद, जातिगत विवाद या अन्य विवादों की जानकारी तुरंत थाना प्रभारी तक पहुंचाना।

नागरिकों के लिए सुविधाएं

गाजियाबाद पुलिस ने इस व्यवस्था के तहत नागरिकों की सुविधा के लिए कई कदम उठाए हैं। बीट पुलिस ऑफिसर और उप-निरीक्षक स्थानीय समस्याओं को समझने और उनका समाधान करने के लिए जनता के साथ नियमित संपर्क में रहेंगे।

यह प्रणाली न केवल अपराध नियंत्रण में सहायक होगी, बल्कि पुलिस और जनता के बीच विश्वास का एक नया सेतु भी बनाएगी।पुलिस कमिश्नर ने कहा, “यह व्यवस्था नागरिकों के लिए और नागरिकों के साथ मिलकर कार्य करने की सच्ची भावना को दर्शाती है। हमारा लक्ष्य गाजियाबाद को एक सुरक्षित और समृद्ध शहर बनाना है।

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