गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
गाजियाबाद में शराब की दुकानों पर ओवर रेटिंग की शिकायतें अब कोई नई बात नहीं रही। ग्राहक आए दिन ठेके वालों की मनमानी का शिकार हो रहे हैं, जहां बोतल की कीमत से ज्यादा पैसे वसूले जाते हैं।
लेकिन इस बार कहानी में ट्विस्ट तब आया, जब जिला आबकारी अधिकारी संजय सिंह ने इस मुद्दे पर खुलकर बात की और नई दुकानों के आवंटन के नियमों का भी जिक्र किया। उनका कहना है कि यह सब सिर्फ़ सिस्टम में छिपी खामियों का नतीजा है।इस बार जरा हटकर अंदाज में जानते हैं कि गाजियाबाद में शराब का यह 'रेट वाला ड्रामा' क्या है और नई दुकानें खोलने की सरकारी नियमावली क्या कहती है।
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ओवर रेटिंग
संजय सिंह ने हाल ही में एक अनौपचारिक बातचीत में कहा, "दुकानदारों की हिम्मत देखिए, पांच रुपये ज्यादा वसूलने के चक्कर में ग्राहक को पचास रुपये की चपत लगा देते हैं। ओवर रेटिंग की शिकायतें हमारे पास हर हफ्ते आती हैं, लेकिन असली मजा तब शुरू होता है जब हम छापा मारते हैं।
सेल्समैन या तो गायब हो जाता है या फिर कहता है, 'साहब, गलती से हो गया। उन्होंने आगे बताया कि गाजियाबाद में पिछले साल 50 से ज्यादा ठेकों पर ओवर रेटिंग की शिकायतें दर्ज हुईं, जिनमें से 20 के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई जुर्माना लगाया गया और कुछ का लाइसेंस भी निलंबित हुआ।
संजय सिंह का कहना है कि ओवर रेटिंग रोकने के लिए सरकार ने साफ नियम बनाए हैं। हर दुकान पर रेट लिस्ट और टोल-फ्री नंबर प्रदर्शित करना अनिवार्य है। लेकिन दुकानदार इसे सजावट का सामान समझते हैं, उन्होंने तंज कसते हुए कहा। उनका मानना है कि ग्राहकों को भी जागरूक होना पड़ेगा। अगर आप बिल मांगेंगे और शिकायत करेंगे, तो ये खेल अपने आप बंद हो जाएगा।
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नई दुकानें
1 अप्रैल 2025 से गाजियाबाद में शराब की दुकानों का नया सिस्टम शुरू हो चुका है। अब पुरानी 268 दुकानों की जगह 192 'कंपोजिट शॉप्स' ने ले ली है, जहां बीयर से लेकर विदेशी शराब तक सब एक ही छत के नीचे मिलेगा। संजय सिंह ने इसे एक "गेम चेंजर" बताया। पहले लोग बीयर के लिए एक दुकान, व्हिस्की के लिए दूसरी दुकान ढूंढते थे।
सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा उनका दावा है कि इससे ओवर रेटिंग पर भी लगाम लगेगी, क्योंकि कम दुकानों की वजह से निगरानी आसान हो जाएगी।
लेकिन नई दुकानें खोलने की नियमावली में भी एक ट्विस्ट है। संजय सिंह ने खुलासा किया, कुछ कारोबारी अपने पूरे खानदान को लाइसेंस दिलाने की जुगत में थे मां, बीवी, बहन, यहां तक कि सास-ससुर तक के नाम पर आवेदन डाल दिए। लेकिन हमने नियम सख्त कर दिए। अब एक शख्स पूरे प्रदेश में सिर्फ दो दुकानें ले सकता है। यह नियम इसलिए लाया गया ताकि शराब का कारोबार कुछ गिने-चुने लोगों के हाथ में न सिमट जाए। आवंटन की प्रक्रिया भी ई-लॉटरी से हुई, जिसे संजय सिंह ने "पारदर्शिता की गारंटी" करार दिया।
सरकार का प्लान
संजय सिंह ने बताया कि नई नीति का मकसद सिर्फ सुविधा नहीं, बल्कि राजस्व बढ़ाना भी है।दुकानों की संख्या कम हुई, लेकिन हर दुकान अब पहले से ज्यादा बिक्री करेगी। पिछले साल गाजियाबाद से 800 करोड़ का राजस्व आया था, इस बार 10 फीसदी बढ़ोतरी का लक्ष्य है। ओवर रेटिंग रोकने के लिए आबकारी विभाग ने टेस्ट परचेजिंग शुरू की है, जिसमें अधिकारी सादे कपड़ों में ग्राहक बनकर दुकानों पर जाते हैं। पकड़े गए तो लाइसेंस गया,संजय सिंह ने चेतावनी भरे लहजे में कहा।
क्या बदलेगा हाल?
संजय सिंह का मानना है कि ओवर रेटिंग और नई दुकानों का खेल तभी रुकेगा, जब ग्राहक और सरकार मिलकर काम करें। "हम सख्ती कर रहे हैं, लेकिन जनता को भी साथ देना होगा। शिकायत करिए, बिल लीजिए, और टोल-फ्री नंबर का इस्तेमाल करिए। उन्होंने हंसते हुए कहा, शराब पीने का शौक है तो ठीक है, लेकिन जेब ढीली करने का नहीं।
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तो गाजियाबाद में शराब का यह नया सिस्टम और ओवर रेटिंग पर लगाम कितनी कामयाब होगी, यह तो वक्त बताएगा। लेकिन संजय सिंह की बातों से एक बात साफ हैआबकारी विभाग अब सिर्फ कागजों पर नहीं, जमीन पर भी कुछ हटकर करने की कोशिश में है। अब देखते हैं, क्या यह 'कंपोजिट क्रांति' सचमुच गाजियाबाद के शराब प्रेमियों के लिए राहत लाती है या फिर वही पुराना ढर्रा नया चेहरा लेकर सामने आता है!
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