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Mahashivratri-इस महाशिवरात्रि कैसे करें महादेव को प्रसन्न पढ़िए इस खास लेख में

कल महाशिवरात्रि का महापर्व पूरे देश में महादेव को जल अर्पित करके मनाया जाएगा कल कैसे करें महादेव को प्रसन्न क्या है पूजा अर्चना की विधि और किस समय का है शुभ मुहूर्त।

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Kapil Mehra
फोटो जर्नलिस्ट सुनील कुमार

दूधेश्वर नाथ मंदिर

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गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता 

महाशिवरात्रि पर्व पर भगवान दूधेश्वर का जलाभिषेक करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैंः महंत नारायण गिरि महाराज।

महाशिवरात्रि पर्व का आध्यात्मिक ही नहीं वैज्ञानिक दृष्टि से भी बहुत अधिक तहत्व है

श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर के पीठाधीश्वर महंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि पर्व का बहुत अधिक महत्व है। इस पर्व भगवान शिव का व्रत रखकर, उनकी पूजा-अर्चना करने व जलाभिषेक करने से हर प्रकार के कष्ट दूर होते हैं और भगवान शिव की कृपा से सुख-समृद्धि व खुशहाली की प्राप्ति होती है।

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महाशिवरात्रि का महायोग 

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महंत नारायण गिरी ने बताया कि इस बार चतुर्दशी दो दिन है, मगर महाशिवरात्रि का पर्व 26 फरवरी को ही मनाया जाएगा। चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी को सुबह 11 बजकर 08 मिनट पर शुरू होगी और उसका समापन 27 फरवरी को सुबह 8 बजकर 54 मिनट पर होगा।

हिंदू धर्म में व्रत-त्योहार को उदया तिथि के आधार पर मनाने की परंपरा है, मगर महाशिवरात्रि पर्व पर भगवान शिव का जलाभिषेक व पूजा-अर्चना रात्रि में होती है।

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इसी कारण महाशिवरात्रि पर्व 26 फरवरी को ही मनाया जाएगा। महाशिवरात्रि पर्व पर ऐतिहासिक श्री दूधेश्वर नाथ मंदिर मेंजलाभिषेक करने का अहुत अधिक महत्व है।

महादेव होते है खुश

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महाशिवरात्रि पर्व पर भगवान दूधेश्वर नाथ का जलाभिषेक करने व पूजा-अर्चना करने से भगवान दूधेश्वर की कृपा से सभी संकट व कष्ट दूर होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

इसी कारण महाशिवरात्रि पर्व पर मंदिर में लाखों भक्तों का सैलाब उमडता है। पूरे देशसे भक्त भगवान के जलाभिषेक के लिए आते हैं। इस बार भी देश भर के लाखों भक्त मंदिर पहुचकर भगवान का जलाभिषेक करेंगे और इसके लिए सभी सरकारी विभागों व अधिकारियों-कर्मचारियों के सहयोग से ऐसी व्यवस्थाएं की जा रही हैं कि जलाभिषेक के दौरान किसी भी भक्त को कोई परेशानी ना हो।

महाशिवरात्रि का है वैज्ञानिक महत्व 

महंत नारायण गिरि महाराज ने बताया कि महाशिवरात्रि पर्व का आध्यात्मिक ही नहीं वैज्ञानिक दृष्टि से भी बहुत अधिक तहत्व है। महाशिवरात्रि पर्व की रात उत्तरी गोलार्द्ध इस प्रकार से अवस्थित होता है कि मनुष्‍य के शरीर के भीतर की ऊर्जा प्राकृतिक रूप से ऊपर ब्रह्मांड की ओर जाने लगती है।

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ऐसा लगता है कि मनुष्य को उसके आध्यात्मिक शिखर तक पहुंचाने में खुद प्रकृति भी मदद कर रही है। महाशिवरात्रि की रात को रीढ़ सीधी करके ध्‍यान मुद्रा में बैठने या मंत्रोच्‍चारण आदि करने से व्‍यक्ति को इस प्राकृतिक स्थिति का ज्‍यादा से ज्‍यादा फायदा मिलता है जिससे उसका बल व आत्मविश्वास बढता है।

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