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एक वीडियो ने मचाया हंगामा
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के सिरौली गांव से एक वीडियो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल रहा है। इस वीडियो में कुछ लोग मुस्लिम सब्जी और फेरी वालों को गांव से भगाते हुए नजर आ रहे हैं। वीडियो में कुछ युवा यह ऐलान करते दिख रहे हैं कि किसी भी मुस्लिम को गांव में सामान बेचने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
यह घटना कथित तौर पर जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद हुई, जिसने देशभर में तनाव का माहौल पैदा कर दिया। लेकिन क्या यह वीडियो पूरी कहानी बयां करता है, या इसके पीछे कुछ और सच छिपा है?
पहलगाम हमले का असर?
पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने देश में कई जगहों पर सामुदायिक तनाव को हवा दी। सिरौली गांव में कुछ असामाजिक तत्वों ने इस मौके का फायदा उठाकर माहौल बिगाड़ने की कोशिश की। वायरल वीडियो में दिख रहे लोग मुस्लिम फेरी वालों से उनका नाम पूछकर उन्हें अपमानित करते और गांव छोड़ने के लिए मजबूर करते नजर आए।
सोशल मीडिया पर इस वीडियो को लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कुछ ने इसे इस्लामोफोबिया का चरम बताया, तो कुछ ने इसे आतंकी हमले के बाद गुस्से की स्वाभाविक प्रतिक्रिया करार दिया। लेकिन सवाल यह है कि क्या गुस्से का यह तरीका जायज है, और क्या यह समाज को और बांटने का काम नहीं कर रहा?
पुलिस की त्वरित कार्रवाई
वीडियो के वायरल होने के बाद गाजियाबाद पुलिस ने तुरंत एक्शन लिया। डीसीपी देहात सुरेंद्र नाथ तिवारी ने बताया कि वायरल वीडियो के आधार पर आरोपियों की पहचान की जा रही है, और उनके खिलाफ सख्त धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया कि इस तरह की घटनाएं सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाती हैं, और दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। पुलिस की इस त्वरित प्रतिक्रिया ने कई लोगों को राहत दी, लेकिन यह सवाल अभी भी बाकी है कि ऐसी घटनाएं बार-बार क्यों हो रही हैं?
सोशल मीडिया: आग में घी का काम
सोशल मीडिया ने इस घटना को और हवा दी। कुछ लोगों ने वीडियो को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की, तो कुछ ने इसे आतंकवाद के खिलाफ गुस्से का प्रतीक बताया। लेकिन हकीकत यह है कि सोशल मीडिया पर बिना तथ्यों की जांच के वीडियो और दावे वायरल करना समाज में नफरत और अविश्वास को ही बढ़ाता है। गाजियाबाद में पहले भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं, जैसे रोटी पर थूकने के वायरल वीडियो, जिन्हें बाद में गलत सांप्रदायिक दावों के साथ प्रचारित किया गया। क्या हमें हर वायरल वीडियो पर आंख मूंदकर भरोसा करना चाहिए, या इसके पीछे की सच्चाई को समझने की कोशिश करनी चाहिए?
समाज के सामने चुनौती
यह घटना सिर्फ सिरौली गांव की नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है। आतंकी हमले जैसी घटनाएं निश्चित रूप से दुखद और निंदनीय हैं, लेकिन इनका गुस्सा निर्दोष लोगों पर निकालना कितना सही है? सिरौली गांव के फेरी वाले, जो रोजी-रोटी के लिए मेहनत कर रहे हैं, क्या आतंकवाद के लिए जिम्मेदार हैं? समाज को यह समझना होगा कि नफरत और हिंसा का जवाब नफरत और हिंसा नहीं हो सकता। इसके बजाय, हमें संवाद, जागरूकता और एकजुटता के रास्ते पर चलना होगा।
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