Advertisment

एम्स के डॉक्टर डॉ. पीयूष रंजन ने बताया, पपीते का जूस पीने से प्लेटलेट्स नहीं बढ़ता

एम्स के डॉक्टर डॉ. पीयूष रंजन ने उन दावों को झूठा बताया, जिसमें दावा किया जाता है कि डेंगू के दौरान प्लेटलेट बढ़ाने के लिए पपीते का या उसके पत्ते का जूस कारगर होता है। डेंगू के दौरान प्लेटलेट तेजी से घटता है, जिसे लेकर कई बार मरीज चिंतित हो जाते हैं।

author-image
YBN News
papaya

Photograph: (File)

Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

नई दिल्ली,आईएएनएस।एम्स के डॉक्टर डॉ. पीयूष रंजन ने सोशल मीडिया पर चल रहे उन दावों को झूठा बताया, जिसमें दावा किया जाता है कि डेंगू के दौरान प्लेटलेट बढ़ाने के लिए पपीते का या उसके पत्ते का जूस कारगर होता है। डेंगू के दौरान प्लेटलेट तेजी से घटता है, जिसे लेकर कई बार मरीज चिंतित हो जाते हैं और डॉक्टरों की सलाह के बिना खुद से उपचार करते हैं। मरीज अक्सर प्लेटलेट बढ़ाने के लिए पपीते का या उसके पत्ते का जूस और पपीते की छाल का इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा बकरी का दूध, हर्बल और डाइटरी सप्लीमेंट लेते हैं।  

Advertisment

डॉक्टरों की सलाह के बिना खुद से उपचार

डॉ. ने कहा कि 10 हजार से कम प्लेटलेट होने पर इसे बढ़ाने की जरूरत होती है। बातचीत के दौरान अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. पीयूष रंजन ने जलजनित बीमारियों से बचाव के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि बरसात के मौसम में संक्रमण से बचाव के लिए जरूरी है कि भोजन और स्वच्छ जल का ही सेवन करें। हमेशा सुनिश्चित करें कि आप जो पानी पी रहे हैं, वह साफ हो। अगर आपको इसकी शुद्धता पर कोई संदेह है, तो इसे उबालकर ठंडा करके पीएं।

बरसात के मौसम में संक्रमण से बचाव

Advertisment

उन्होंने कहा कि मॉनसून के दौरान फ्लू होता है। जिसमें बुखार, बदन दर्द की समस्या होती है। इसके अलावा अगर बुखार काफी तेज है और सिर में दर्द लगातार जारी है तो आपको डेंगू की संभावना है। इसके अलावा चार से पांच घंटे में बुखार दवाई लेने से उतर रहा है तो आपको मलेरिया होने की संभावना बढ़ जाती है।

डॉक्टर के अनुसार, जलजनित बीमारियों (जैसे टाइफाइड, डायरिया, डेंगू, मलेरिया ) से बचाव के लिए यह उपाय अपनाएं। पीने के लिए हमेशा उबाला हुआ, फिल्टर किया हुआ या बोतलबंद पानी इस्तेमाल करें। पानी को ढंककर साफ बर्तन में रखें, ताकि पानी दूषित न हो। खाना खाने, शौच के बाद और पानी छूने से पहले साबुन से अच्छी तरह हाथ धोएं। बच्चों को भी नियमित हाथ धोने की आदत डालें। खाना अच्छी तरह पकाकर खाएं और कच्चे या अधपके भोजन से बचें। फल-सब्जियों को साफ पानी से धोकर उपयोग करें। बाहर का खुला या बासी खाना न खाएं। कुओं, नदियों या तालाबों के पास शौच न करें। पानी के स्रोतों को नियमित साफ करें और क्लोरीन टैबलेट का उपयोग करें। घर के आसपास पानी जमा न होने दें, क्योंकि यह मच्छरों और बैक्टीरिया के पनपने का कारण बनता है। नालियों को ढंककर रखें और नियमित सफाई करें।

जलजनित बीमारियों से बचाव के उपाय

Advertisment

इसके अलावा स्थानीय स्वास्थ्य केंद्रों से जलजनित बीमारियों की जानकारी लें। खुले में शौच न करें, स्वच्छ शौचालय का उपयोग करें। शौचालय को नियमित साफ और कीटाणुरहित करें। इन उपायों को अपनाकर जलजनित बीमारियों से काफी हद तक बचा जा सकता है। यदि लक्षण (जैसे दस्त, उल्टी, बुखार) दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

Advertisment
Advertisment