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Ayurveda: भारत की 39 खास प्रजातियों में से एक, जानें- चोपचीनी के हैरान कर देने वाले फायदे

आयुर्वेद में कई ऐसी जड़ी-बूटियां मौजूद हैं जो शरीर से कई समओं को दूर करने में उपयोगी मानी गई हैं। ऐसी ही एक जड़ी बूटी चोबचीनी है। आयुर्वेदिक दवाओं में इसके जड़ से बने चूर्ण का इस्तेमाल किया जाता है। सेवन करते वक्त विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।

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YBN News
Chobchini

Chobchini Photograph: (ians)

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नई दिल्ली, आईएएनएस।आयुर्वेद में कई ऐसी जड़ी-बूटियां मौजूद हैं जो शरीर से कई समस्याओं को दूर करने में उपयोगी मानी गई हैं। ऐसी ही एक जड़ी बूटी चोपचीनी/चोबचीनी है। आयुर्वेदिक दवाओं में इसके जड़ से बने चूर्ण का इस्तेमाल किया जाता है। तासीर गर्म होती है इसलिए सेवन करते वक्त विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।

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भारत में 39 प्रजातियां

भारत सरकार विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के मुताबिक, दुनिया भर में इसकी लगभग 262 अलग-अलग प्रजातियां मौजूद हैं, जबकि भारत में 39 प्रजातियां हैं। 39 में से, स्मिलैक्स टर्बन, पहली बार 20वीं सदी की शुरुआत में आया था। यह पौधा चीन, कोरिया, ताइवान, जापान, फिलीपींस, वियतनाम, थाईलैंड, म्यांमार और भारत में पाया जाता है।

एक बारहमासी पौधा

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चोपचीनी 'चाइना रूट' (चीनी जड़) के नाम से भी जाना जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम स्मिलैक्स चाइना है। यह एक बारहमासी पौधा है जो पूर्वी एशिया का मूल निवासी है और पारंपरिक चिकित्सा में इसके उपयोग का एक लंबा इतिहास है। चोबचीनी स्मिलैकेसी परिवार से संबंधित है, जिसे रक्त को शुद्ध करने, हानिकारक पदार्थों को खत्म करने, सूजन संबंधी बीमारियों का इलाज करने में मदद करता है।

नेश्नल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसन की एक रिपोर्ट के अनुसार, चोपचीनी की जड़ के अर्क में क्वेसरटिन, रेस्वेराट्रोल और ऑक्सीरेस्वेराट्रोल जैसे तत्व पाए जाते हैं। जो मुहांसों को ठीक करने के लिए उपयोगी होते हैं। जोड़ों के दर्द को दूर करने में भी चोपचीनी तेल कारगर है।

आयुर्वेद के अनुसार

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आयुर्वेद के अनुसार, यूरिक एसिड की समस्या को दूर करने में यह लाभदायक है। कुछ दिनों तक नियमित रूप से चोपचीनी के चूर्ण को आधा चम्मच सुबह खाली पेट और आधा चम्मच रात को सोते समय सादे पानी से लेने से यूरिक एसिड की समस्या कम होने लगती है।

चिकित्सीय परामर्श

चरक संहिता में चोपचीनी का उल्लेख एक महत्वपूर्ण औषधि के रूप में किया गया है। चरक संहिता में इसे कुष्ठघ्न महाकाषाय (त्वचा रोगों को ठीक करने वाली जड़ी-बूटियों का समूह) के तौर पर शामिल किया गया है। क्योंकि तासीर गर्म होती है इसलिए गर्भवती महिलाओं और पेट संबंधी दिक्कतों से जूझ रहे लोगों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। बिना चिकित्सीय परामर्श के सेवन नहीं करना चाहिए।

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