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कमर दर्द सिर्फ हड्डियों का नहीं आदतों का भी मामला, इससे दर्द में मिलेगी राहत

कमर दर्द आज सिर्फ एक स्वास्थ्य समस्या नहीं, बल्कि आधुनिक जीवन की थकान का प्रतीक बन चुका है। घंटों तक कंप्यूटर पर काम करना, तनाव भरी दिनचर्या, नींद की कमी और शारीरिक गतिविधि का अभाव-ये सब मिलकर पीठ को ऐसा दर्द देते हैं।

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YBN News
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pain Photograph: (ians)

नई दिल्ली। कमर दर्द केवल हड्डियों या रीढ़ की समस्या का परिणाम नहीं होता, बल्कि हमारी दिनचर्या और जीवनशैली भी इसकी बड़ी वजह बन सकती है। लंबे समय तक बैठना, गलत मुद्रा में काम करना, भारी वस्तुएं उठाना और व्यायाम की कमी कमर दर्द बढ़ा सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सही मुद्रा में बैठना, नियमित हल्का व्यायाम, स्ट्रेचिंग और संतुलित आहार से कमर की मांसपेशियों को मजबूत रखा जा सकता है। इससे न सिर्फ दर्द में राहत मिलती है, बल्कि भविष्य में गंभीर समस्याओं से भी बचाव होता है।

एक स्वास्थ्य समस्या

मालूम हो कि कमर दर्द आज सिर्फ एक स्वास्थ्य समस्या नहीं, बल्कि आधुनिक जीवन की थकान का प्रतीक बन चुका है। घंटों तक कंप्यूटर पर काम करना, तनाव भरी दिनचर्या, नींद की कमी और शारीरिक गतिविधि का अभाव—ये सब मिलकर पीठ को ऐसा दर्द देते हैं, जो धीरे-धीरे हमारी रोजमर्रा की जिंदगी पर असर डालता है। लेकिन एक नई वैज्ञानिक रिपोर्ट उम्मीद की नई किरण लेकर आई है। जेएएमए नेटवर्क ओपन में प्रकाशित एक अध्ययन ने बताया कि राहत दवाइयों में नहीं, बल्कि हमारे मन और विचारों में छिपी हो सकती है।

माइंडफुलनेस-आधारित थेरेपी का सिद्धांत

इस अध्ययन में 770 प्रतिभागियों पर किए गए शोध पर शोधकर्ताओं ने पाया कि माइंडफुलनेस-बेस्ड थेरेपी (एमबीटी) और कोग्नेटिव बिहेवियरल थेरेपी (सीबीटी) दोनों ने ही निचले हिस्से के कमर दर्द को उल्लेखनीय रूप से कम किया। यह सुनने में भले ही अचरज लगे, लेकिन सच यह है कि कई बार शरीर का दर्द हमारे मानसिक तनाव और भावनात्मक बोझ से गहराई से जुड़ा होता है।

दर्द के प्रति हमारी सोच

माइंडफुलनेस-आधारित थेरेपी का सिद्धांत सीधा है। वर्तमान क्षण में जीना और अपने शरीर के प्रति काइंड रहना और अपनी महत्ता को महसूस करना, थेरेपी आपको सिखाती है कि दर्द को दुश्मन की तरह नहीं, बल्कि एक संकेत की तरह देखें। जब मन शांत होता है, शरीर तनाव मुक्त होने लगता है और मांसपेशियों में कसाव कम होता है। गहरी सांस, आंखें बंद कर बैठना और हर श्वास को महसूस करना-ये छोटी-छोटी क्रियाएं बड़ी राहत का कारण बन सकती हैं।

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कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (सीबीटी) दर्द पर नहीं, बल्कि दर्द के प्रति हमारी सोच पर काम करती है। यह हमें सिखाती है कि “मैं चल नहीं सकता” या “मेरा दर्द कभी ठीक नहीं होगा” जैसी नकारात्मक धारणाएं असल में तकलीफ को और बढ़ाती हैं। जब इन विचारों की जगह “मैं ठीक हो सकता हूं” और “मेरा शरीर मजबूत है” जैसे विश्वास आते हैं, तो दर्द की तीव्रता भी कम होती महसूस होती है।

इन तरीकों को अपनाने

यह अध्ययन बताता है कि जिन लोगों ने आठ सप्ताह तक एमबीटी या सीबीटी का अभ्यास किया, उन्होंने न केवल दर्द में कमी महसूस की, बल्कि बेहतर नींद, मूड और जीवन की गुणवत्ता की भी रिपोर्ट दी। सबसे खास बात-इन उपायों में दवा, इंजेक्शन या सर्जरी शामिल नहीं था। सिर्फ मन और शरीर के बीच संवाद को मजबूत करने का अभ्यास था।

महंगे उपकरण की जरूरत

इन तरीकों को अपनाने के लिए किसी महंगे उपकरण की जरूरत नहीं। दिन में 10 मिनट शांत बैठकर सांसों पर ध्यान देना या किसी प्रशिक्षित विशेषज्ञ के सीबीटी ऑडियो सत्र सुनना ही शुरुआत हो सकती है। शरीर की सीमाओं को स्वीकारते हुए हर दिन छोटे-छोटे बदलाव करना ही असली उपचार है। कमर दर्द सिर्फ हड्डियों का नहीं, आदतों का भी मामला है। जब हम अपने ख्यालों और भावनाओं को संतुलित रखते हैं, तो शरीर भी धीरे-धीरे अपनी मरम्मत शुरू कर देता है।

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इनपुट-आईएएनएस)

Disclaimer: इस लेख में प्रदान की गई जानकारी केवल सामान्य जागरूकता के लिए है। इसे किसी भी रूप में व्यावसायिक चिकित्सकीय परामर्श के विकल्प के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। कोई भी नई स्वास्थ्य-संबंधी गतिविधि, व्यायाम, शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर लें।"

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