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Matsyasana Photograph: (IANS)
नई दिल्ली। आज की जिंदगीमें घंटों कुर्सी पर बैठकर काम करना, असमय खानपान और तनाव का असर सबसे पहले पेट पर ही दिखता है। बेली फैट आम समस्या बन गई है। कई बार लोग कई तरह के अलग- अलग उपाय करते या घंटों जिम में पसीना बहाते हैं, लेकिन इसका बेली फैट पर कोई असर नहीं पड़ता। योग इससे निपटने का सबसे आसान और प्रभावी तरीका है।
मत्स्यासन योग का एक महत्वपूर्ण आसन
मालूम हो कि मत्स्यासन योग का एक महत्वपूर्ण आसन है, जिसे करने से न सिर्फ बेली फैट कम होता है बल्कि शरीर की कई और समस्याओं से भी राहत मिलती है। इस आसन से रीढ़ की हड्डी लचीली बनती है और पीठ दर्द में आराम मिलता है। यह फेफड़ों की क्षमता बढ़ाकर सांस लेने में सुधार करता है और दमा तथा एलर्जी जैसी परेशानियों में सहायक होता है। मत्स्यासन से गर्दन और कंधों का तनाव दूर होता है तथा थायरॉइड ग्रंथि को भी संतुलित रखने में मदद मिलती है। नियमित अभ्यास से पाचन तंत्र मजबूत होता है और मानसिक शांति भी प्राप्त होती है।
बेली फैट कम करने के कई आसन
जानकारी हो कि योग में वैसे तो बेली फैट कम करने के कई आसन हैं, लेकिन 'मत्स्यासन' इस पर तेजी से काम करता है। मत्स्यासन का नाम दो संस्कृत शब्दों से मिलकर बना है, 'मत्स्य' यानी मछली और 'आसन' यानी बैठने की मुद्रा। इस आसन में शरीर की स्थिति कुछ हद तक मछली जैसी हो जाती है, जिसमें छाती को ऊपर की ओर उठाया जाता है और सिर को पीछे की तरफ झुकाया जाता है।
पेट की मांसपेशियों पर सीधा प्रभाव
आयुष मंत्रालय के मुताबिक, मत्स्यासन पेट की मांसपेशियों पर सीधा प्रभाव डालता है, जिससे वहां जमा फैट पर असर पड़ता है। जब आप इस आसन को सही तरीके से करते हैं, तो पेट की नसों और मांसपेशियों में खिंचाव आता है, जिससे ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और फैट धीरे-धीरे कम होने लगती है।
बेली फैट घटाने के अलावा मत्स्यासन शरीर की कई और समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। सबसे पहले यह रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है, जिससे पीठ दर्द और शरीर में अकड़न जैसी दिक्कतें कम होती हैं, जो लोग लंबे समय तक कंप्यूटर या मोबाइल पर काम करते हैं, उनके लिए यह आसन एक राहत देने वाला अभ्यास है।
महिलाओं के लिए भी बेहद फायदेमंद
हालांकि, महिलाओं के लिए भी यह आसन बेहद फायदेमंद माना जाता है। खासकर जो महिलाएं मासिक धर्म के दौरान पेट दर्द, ऐंठन या बेचैनी महसूस करती हैं, उनके लिए यह आसन काफी राहतकारी हो सकता है। यह गर्भाशय की मांसपेशियों पर सकारात्मक असर डालता है और हार्मोन संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
जानकारी हो कि मत्स्यासन से सीने को मजबूती मिलती है और सांस लेने की क्षमता बेहतर होती है, जिससे फेफड़ों को ताकत मिलती है। यह उन लोगों के लिए भी उपयोगी है, जो अस्थमा या सांस की तकलीफ से जूझ रहे हैं।
(इनपुट-आईएएनएस)
Disclaimer: इस लेख में प्रदान की गई जानकारी केवल सामान्य जागरूकता के लिए है। इसे किसी भी रूप में व्यावसायिक चिकित्सकीय परामर्श के विकल्प के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। कोई भी नई स्वास्थ्य-संबंधी गतिविधि, व्यायाम, शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर लें।"