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दक्षिण-पूर्व एशिया में बढ़ रहे कोविड-19 के मामले, एक्सपर्ट बोले - फ्लू का सीजनल ट्रेंड

जानलेवा महामारी का रूप लेकर पूरी दुनिया को आतंकित करने वाली बीमारी कोविड-19 ने फिर से सिर उठाना शुरू कर दिया है। सिंगापुर में इस महीने के पहले सप्‍ताह में ही 14 हजार से ज्‍यादा मामले मिल चुके थे। हांगकांग में 31 लोगों की जान जा चुकी है।

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Narendra Aniket
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नई दिल्ली, आईएएनएस । दक्षिण-पूर्व एशिया में कोविड-19 संक्रमण के मामलों में वृद्धि को लेकर मीडिया रिपोर्ट्स ने फिर से लोगों को डरा दिया है। लाखों लोगों और वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाली इस बीमारी ने नई आशंकाएं पैदा कर दी है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने मंगलवार को कहा ये बदलते मौसम में होने वाले फ्लू का ट्रेंड है।

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सिंगापुर में अस्‍पताल में भर्ती होने वालों की संख्‍या 30 प्रतशित बढ़ी

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, सिंगापुर में साप्ताहिक कोविड-19 संक्रमण अप्रैल के अंत में 11,100 से 28 प्रतिशत बढ़कर मई के पहले सप्ताह में 14,200 हो गया, साथ ही अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या में भी 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

हांगकांग में 31 मौतें और संक्रमण बढ़कर 1,042 हुआ

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हांगकांग में 3 मई तक वायरस से संबंधित 31 मौतें दर्ज की गईं, जो एक साल में शहर का सबसे अधिक साप्‍ताहिक टोल है। 10 मई को समाप्त सप्ताह में हांगकांग में नए संक्रमण बढ़कर 1,042 हो गए, जो पिछले सप्ताह 972 थे।

एम्‍स के प्रोफेसर ने कहा, हल्‍के मामलों में अस्‍पताल जाना जरूरी नहीं

नई दिल्ली स्थित एम्स के सेंटर फॉर कम्युनिटी मेडिसिन के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. हर्षल आर साल्वे ने आईएएनएस को बताया, 'दक्षिण-पूर्व एशिया में कोविड के बढ़ते मामलों का कारण मौसमी फ्लू हैं। अधिकांश मामले हल्के होते हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती।'

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भारत में 19 मई तक 257 सक्रिय मामले सामने आए

भारत में भी मामलों में मामूली वृद्धि देखी जा रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा सोमवार को आयोजित समीक्षा में निष्कर्ष निकाला गया कि भारत में वर्तमान स्थिति 'नियंत्रण में' है, 19 मई तक देश भर में केवल 257 सक्रिय मामले सामने आए हैं।

केरल आइएमए ने कहा, अधिकांश मामले बहुत हल्‍के

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केरल राज्य आईएमए के अनुसंधान प्रकोष्ठ के संयोजक डॉ. राजीव जयदेवन ने कहा, 'कोविड-19 एक साइक्लिकल डिजीज (चक्रीय बीमारी) है, जिसका अर्थ है कि हर कुछ महीनों में मामले बढ़ेंगे। अंतराल छह से नौ महीने तक हो सकता है। अन्य एशियाई देशों की तरह, हम भारत में भी कोविड के मामले देख रहे हैं। लेकिन वे अस्पतालों को परेशान नहीं कर रहे हैं और पहले की तुलना में अधिक गंभीर नहीं हैं। वास्तव में, अधिकांश मामले इतने हल्के हैं कि उनका उपचार आउट पेशेंट के रूप में किया जा रहा है।'

व्‍यापक प्रतिरक्षा के कारण विनाशकारी नहीं रहा कोविड-19

उन्होंने कहा, 'पिछले टीकाकरण और पिछले संक्रमणों से बचने के कारण व्यापक प्रतिरक्षा के कारण, कोविड-19 अब वह विनाशकारी शक्ति नहीं है जो पहले हुआ करती थी। वायरस में किसी बड़े आनुवंशिक बदलाव का कोई संकेत नहीं है जो इसके कारण होने वाली बीमारी के चरित्र को बदल सकता है।'

नए सब-वेरिएंट के कारण चीन, थाईलैंड में बढ़े मामले

चीन और थाईलैंड ने भी नए संक्रमणों में उल्लेखनीय वृद्धि की सूचना दी है। इस उछाल को मुख्य रूप से नए ओमिक्रॉन सब-वेरिएंट के प्रसार के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, जिसमें जेएन.1 और इससे संबंधित - एलएफ.7 और एनबी.1.8 वेरिएंट शामिल हैं। मामलों में वृद्धि का संबंध कमजोर इम्युनिटी से है। जबकि अब तक रिपोर्ट किए गए मामले आम तौर पर हल्के हैं।

वायरस से लड़ने के लिए स्‍वच्‍छता पर ध्‍यान देने की जरूरत

जयदेवन ने कहा, 'परिणाम मेजबान पर भी निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, एक कमजोर बुजुर्ग व्यक्ति में संक्रमण अधिक गंभीर परिणामों को जन्म दे सकता है।'
विशेषज्ञों ने वायरस से लड़ने के लिए स्वच्छता और सफाई का ध्यान देने को कहा है। जयदेवन ने कहा, 'जब मामले बढ़ते हैं, तो सामान्य से ज्यादा सावधानी बरतना जरूरी है। भीड़-भाड़ वाली बंद जगहों पर मास्क पहनना मददगार होगा। जिन लोगों को बुखार है, उन्हें घर पर रहना चाहिए और दूसरों से घुलने-मिलने से बचना चाहिए।'
इस बीच, स्वास्थ्य मंत्रालय ने आश्वासन दिया कि देश में कोविड समेत श्वसन वायरल बीमारियों की निगरानी के लिए एक मजबूत प्रणाली है, जो एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) और आईसीएमआर के जरिए देश में मौजूद है।

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