गर्मी के मौसम में एसिडिटी (अम्लपित्त) की समस्या आम है, क्योंकि इस दौरान शरीर में पित्त दोष बढ़ता है, जो पाचन तंत्र को प्रभावित करता है। आयुर्वेद में एसिडिटी को पित्त असंतुलन से जोड़ा जाता है, और इसके उपचार में प्राकृतिक उपाय, आहार परिवर्तन और जीवनशैली में बदलाव शामिल हैं। जानें गर्मी के मौसममें एसिडिटी से राहत पाने के आयुर्वेदिक उपचार, और आहार संबंधी सुझाव।
आयुर्वेद में एसिडिटी के उपचार
आयुर्वेद के अनुसार, एसिडिटी का इलाज पित्त को शांत करने और पाचन को संतुलित करने पर केंद्रित है। निम्नलिखित उपाय प्रभावी हैं:
आंवला: आंवला पित्त को शांत करने वाला और पाचन सुधारने वाला होता है। रोज सुबह एक चम्मच आंवला चूर्ण को पानी या शहद के साथ लें। ताजा आंवला जूस भी लाभकारी है।
एलोवेरा जूस: एलोवेरा पेट की जलन को कम करता है और पाचन तंत्र को ठंडक देता है। रोज सुबह खाली पेट 20-30 मिलीलीटर एलोवेरा जूस पिएं।
सौंफ: सौंफ चबाने या सौंफ का पानी पीने से पाचन बेहतर होता है और एसिडिटी में राहत मिलती है। भोजन के बाद एक चम्मच सौंफ चबाएं या सौंफ को पानी में उबालकर ठंडा करके पिएं।
नारियल पानी: यह प्राकृतिक रूप से पित्त को शांत करता है और शरीर को हाइड्रेट रखता है। दिन में 1-2 गिलास नारियल पानी पिएं।
हर्बल चाय: अदरक, पुदीना या कैमोमाइल से बनी हर्बल चाय पाचन को सुधारती है और पेट की जलन को कम करती है।
त्रिफला: त्रिफला चूर्ण रात को सोने से पहले गुनगुने पानी के साथ लेने से पाचन तंत्र मजबूत होता है और एसिडिटी नियंत्रित रहती है।
घी और दूध: गाय का घी और ठंडा दूध पित्त को शांत करते हैं। रात को एक गिलास ठंडे दूध में एक चम्मच घी मिलाकर पीना लाभकारी है।
एसिडिटी से बचने के उपाय
- तनाव से बचें: तनाव पित्त को बढ़ाता है। योग, ध्यान और प्राणायाम जैसे अनुलोम-विलोम करें।
- खानपान का समय: अनियमित भोजन या देर रात खाना एसिडिटी को बढ़ाता है। समय पर भोजन करें और रात का खाना सोने से 2-3 घंटे पहले खाएं।
- अधिक पानी पिएं: गर्मी में डिहाइड्रेशन एसिडिटी को बढ़ा सकता है। दिन में 8-10 गिलास पानी पिएं, लेकिन भोजन के तुरंत बाद पानी पीने से बचें।
- तंग कपड़े न पहनें: तंग कपड़े पेट पर दबाव डाल सकते हैं, जिससे एसिड रिफ्लक्स बढ़ता है।
- अत्यधिक धूप से बचें: गर्मी में बाहर निकलते समय छाता या टोपी का उपयोग करें, क्योंकि गर्मी पित्त को और बढ़ा सकती है।
क्या खाएं और क्या न खाएं
- फल: तरबूज, खरबूजा, नाशपाती, सेब, अनार और केला पित्त को शांत करते हैं।
- सब्जियां: खीरा, ककड़ी, पालक, लौकी, और कद्दू जैसी ठंडी प्रकृति वाली सब्जियां खाएं।
- अनाज: जौ, गेहूं, और पुराना चावल पाचन के लिए अच्छे हैं।
- पेय: छाछ, पुदीने का शरबत, और गुलाब जल मिला दूध पिएंमसाले: जीरा, धनिया, और इलायची का उपयोग करें, जो पाचन को बेहतर बनाते हैं।
न खाने योग्य आहार:
तला-भुना और मसालेदार भोजन: फास्ट फूड, तले हुए स्नैक्स, और अधिक मिर्च-मसाले वाले व्यंजन से बचें।
खट्टे फल और पेय: नींबू, संतरा, टमाटर, और कार्बोनेटेड ड्रिंक्स पित्त को बढ़ाते हैं।
कैफीन और शराब: कॉफी, चाय, और अल्कोहल से परहेज करें।
अधिक नमक और अचार: ये पेट में जलन बढ़ा सकते हैं।
भारी और गरिष्ठ भोजन: दालें, मांस, और अधिक तेल वाला भोजन कम खाएं।
गर्मी में एसिडिटी से बचने के लिए आयुर्वेदिक उपाय और सही आहार-विहार अपनाना जरूरी है। पित्त को शांत करने वाली जड़ी-बूटियां, नियमित दिनचर्या, और हल्क चीज़ें पाचन तंत्र को स्वस्थ रखती हैं। साथ ही, तनाव कम करने और पर्याप्त पानी पीने से भी एसिडिटी नियंत्रित रहती है। इन उपायों को अपनाकर आप गर्मी में स्वस्थ और तरोताजा रह सकते हैं।