Advertisment

'डायबेसिटी' 21वीं सदी की खतरनाक बीमारी, जीवन पर बढ़ रहा है गंभीर खतरा

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक 65 करोड़ लोग मोटापे से और 53 करोड़ लोग डायबिटीज़ से जूझ रहे हैं। भारत 2023 की आईसीएमआर-इंडियाबी स्टडी बताती है कि देश में लगभग 10 करोड़ लोग डायबिटीज के शिकार हैं और 13 करोड़ लोग प्री-डायबिटिक स्थिति में हैं।

author-image
YBN News
Diabetes

Diabetes Photograph: (IANS)

नई दिल्ली। 21वीं सदी की नई चुनौती बनकर उभरी बीमारी 'डायबेसिटी' तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रही है। यह मोटापा और डायबिटीज का संयोजन है, जो अस्वास्थ्यकर खानपान, तनाव और निष्क्रिय जीवनशैली के कारण बढ़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि डायबेसिटी दिल की बीमारियों, स्ट्रोक और किडनी फेलियर जैसी गंभीर समस्याओं का खतरा बढ़ा देती है। भारत समेत कई देशों में युवा भी तेजी से इसका शिकार हो रहे हैं। समय रहते संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और जीवनशैली में सुधार से इस बीमारी पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

जीवनशैली में सुधार

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक 65 करोड़ लोग मोटापे से और 53 करोड़ लोग डायबिटीज़ से जूझ रहे हैं। भारत भी इस संकट से अछूता नहीं है। 2023 की आईसीएमआर-इंडियाबी स्टडी बताती है कि देश में लगभग 10 करोड़ लोग डायबिटीज के शिकार हैं और 13 करोड़ लोग प्री-डायबिटिक स्थिति में हैं। रिसर्च कहती है कि मोटे लोगों में टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा 80–90 फीसदी तक बढ़ जाता है।

इंसान का वजन बढ़ता

सेहत की दुनिया में एक नया शब्द सुर्खियों में है। इसे कहा जा रहा है डायबेसिटी। इसे समझना मुश्किल नहीं है। ये एक शब्द दो बड़ी समस्याओं का मेल है। यानी जब इंसान का वजन बढ़ता है और साथ ही ब्लड शुगर भी नियंत्रण से बाहर होने लगता है, तो डॉक्टर इसे 'डायबेसिटी' कहते हैं। यह सिर्फ एक बीमारी नहीं, बल्कि एक बढ़ती हुई 'पब्लिक हेल्थ क्राइसिस' है।

मोटापा

इंसुलिन रेजिस्टेंस – मोटापा शरीर की कोशिकाओं को 'इंसुलिन' के प्रति कम संवेदनशील बना देता है। यही टाइप-2 डायबिटीज की सबसे बड़ी जड़ है। विसरल फैट (पेट की चर्बी) – कमर और पेट पर जमा फैट शरीर में सूजन और हार्मोनल असंतुलन पैदा करता है। लाइफस्टाइल फैक्टर – कम नींद, तनाव, फास्ट फूड और शारीरिक निष्क्रियता इस समस्या को और तेज कर देते हैं।

Advertisment

लाइफस्टाइल डिजीज

डायबेसिटी होने पर इंसान को केवल डायबिटीज और मोटापे की परेशानी नहीं रहती, बल्कि यह कई गंभीर बीमारियों की जड़ बन जाती है। हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा दोगुना होता है। हाई ब्लड प्रेशर और फैटी लिवर समेत किडनी की बीमारी और कुछ कैंसर हो सकते हैं।

दवाइयों से संभव नहीं

वैज्ञानिक मानते हैं कि डायबेसिटी से निपटना सिर्फ दवाइयों से संभव नहीं। यह एक लाइफस्टाइल डिजीज है, जिसका हल भी लाइफस्टाइल में छिपा है। सलाह दी जाती है कि रोजाना कम से कम 30 मिनट तेज वॉक या कसरत करें। फाइबर, प्रोटीन और लो-जीआई (ग्लाइसेमिक इंडेक्स) वाले आहार को चुनें और नींद पूरी करें।

 (इनपुट-आईएएनएस)

Disclaimer: इस लेख में प्रदान की गई जानकारी केवल सामान्य जागरूकता के लिए है। इसे किसी भी रूप में व्यावसायिक चिकित्सकीय परामर्श के विकल्प के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। कोई भी नई स्वास्थ्य-संबंधी गतिविधि, व्यायाम, शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर लें।"

Advertisment
Advertisment
Advertisment