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आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अक्सर खाने को एक काम की तरह देखते हैं, जिसे जल्दी निपटाना है। लेकिन अगर हम खाने को समय दें, तो यह हमारे दिमाग को शांत करने और दिन की थकान को कम करने का एक तरीका बन सकता है। उदाहरण के लिए, जापान जैसे देशों में खाने की प्रक्रिया को बहुत महत्व दिया जाता है, और लोग धीरे-धीरे खाने को एक कला मानते हैं। यदि आप नियमित रूप से 20-30 मिनट से कम समय में नाश्ता, दोपहर का भोजन या रात का खाना खत्म कर लेते हैं, तो आप बहुत तेजी से खा रहे हैं। भोजन करने की गति पर विचार करने से पहले हमें यह समझना जरूरी है कि खाने की गति हमारे शरीर, मन, और समग्र स्वास्थ्य पर कैसे प्रभाव डालती है। आइए, जानें।
खाने का सही समय क्या है?
क्या किसी व्यक्ति को 20 मिनट या उससे कम समय में खाना खा लेना चाहिए? क्या भोजन धीरे-धीरे करना चाहिए? यह एक ऐसा प्रश्न है जो स्वास्थ्य, पाचन और जीवनशैली से जुड़ा हुआ है। विशेषज्ञों की मानें तो पहले तो आप अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए किस तरह का भोजन करते हैं, यह महत्वपूर्ण है, लेकिन आप जिस गति से अपना खाना खाते हैं, वह भी उतना ही मायने रखता है।
खाने की स्पीड का पाचन तंत्र पर प्रभाव
खाना खाने की गति का सबसे अधिक असर हमारे पाचन तंत्र पर पड़ता है। जब हम जल्दी-जल्दी खाना खाते हैं, तो हमारा शरीर उसे ठीक से पचाने के लिए तैयार नहीं हो पाता। पाचन की प्रक्रिया मुंह से शुरू होती है, जहां दांत भोजन को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ते हैं और लार में मौजूद एंजाइम स्टार्च को तोड़ना शुरू करते हैं। अगर हम 20 मिनट या उससे कम समय में खाना खत्म कर लेते हैं, तो संभव है कि हम भोजन को अच्छी तरह चबाएं नहीं। इससे पेट और आंतों पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप अपच, गैस, या सूजन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
कैसे दिमाग में पहुंचते हैं भोजन के संकेत
क्लीवलैंड क्लिनिक में सेंटर फॉर बिहेवियरल हेल्थ में लेस्ली हेनबर्ग का कहना है कि "पेट को हॉरमोनल संकेतों के माध्यम से मस्तिष्क को यह बताने में लगभग 20 मिनट लगते हैं कि यह भर गया है। "इसलिए जब लोग तेज़ी से खाते हैं, तो वे इन संकेतों को अनदेखा कर सकते हैं और पेट भरने के बाद भी खाना बहुत आसान होता है।" हाइनबर्ग ने कहा कि जो लोग तेज़ी से खाते हैं, वे ज़्यादा हवा निगलते हैं, जिससे पेट फूल सकता है या अपच हो सकता है। अपने भोजन को ठीक से न चबाना भी पाचन को प्रभावित कर सकता है, जिसका अर्थ है कि आपको अपने भोजन से सभी पोषक तत्व नहीं मिलेंगे। बिना चबाए भोजन के टुकड़े भी आपके अन्नप्रणाली में फंस सकते हैं।
चबाकर भोजन करने का लाभ
धीरे-धीरे खाने से भोजन को चबाने का समय मिलता है, जिससे पाचन अधिक आसान हो जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि एक कौर को कम से कम 20-30 बार चबाना चाहिए, ताकि वह अच्छी तरह से टूट जाए और पेट में आसानी से पच सके। जब हम जल्दबाजी में खाते हैं, तो हवा भी निगल सकते हैं, जो पेट में असहजता पैदा करती है। इसलिए, पाचन के नजरिए से धीरे-धीरे खाना ज्यादा फायदेमंद है।
भूख और तृप्ति के संकेत
मानव दिमाग और पेट एक-दूसरे से संवाद करते हैं। जब हम खाना शुरू करते हैं, तो पेट धीरे-धीरे भरा हुआ महसूस करता है, और यह संकेत दिमाग तक पहुंचने में लगभग 20 मिनट लेता है। अगर हम 20 मिनट से कम समय में खाना खाते हैं, तो हो सकता है कि हम तृप्ति का एहसास होने से पहले ही जरूरत से ज्यादा खा लें। इससे वजन बढ़ने और मोटापे का खतरा बढ़ सकता है।
धीरे भोजन से कम कैलोरी मिलती है
Health Advice | Health Awareness धीरे-धीरे खाने से दिमाग को यह समझने का समय मिलता है कि हमारा पेट भर गया है। अध्ययनों से पता चला है कि जो लोग धीरे खाते हैं, वे कम कैलोरी लेते हैं और अपने भोजन से ज्यादा संतुष्ट महसूस करते हैं। यह आदत लंबे समय तक वजन को नियंत्रित करने में भी मदद करती है। इसलिए, अगर आप 20 मिनट से कम में खाना खत्म करते हैं, तो शायद आप अपने शरीर के प्राकृतिक संकेतों को नजरअंदाज कर रहे हों।
मानसिक स्वास्थ्य और खाने का आनंद
खाना सिर्फ शरीर की जरूरत पूरी करने का साधन नहीं है, बल्कि यह एक अनुभव भी है। जब हम जल्दी-जल्दी खाते हैं, तो हम स्वाद, सुगंध, और बनावट का पूरा आनंद नहीं ले पाते। धीरे-धीरे खाने से हम भोजन के हर पहलू को महसूस कर सकते हैं, जो मानसिक संतुष्टि देता है। यह एक तरह से माइंडफुलनेस का अभ्यास भी है, जो तनाव को कम करने में मदद करता है।
जीवनशैली और समय की कमी
eat healthy | get healthy body हालांकि धीरे-धीरे खाने के फायदे स्पष्ट हैं, लेकिन आधुनिक जीवनशैली में यह हमेशा संभव नहीं होता। कामकाजी लोग, छात्र, या व्यस्त माता-पिता अक्सर समय की कमी के कारण 20 मिनट से भी कम समय में खाना खाते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यह गलत है? जरूरी नहीं। अगर आप संतुलित भोजन ले रहे हैं और उसे अच्छी तरह चबाते हैं, तो कम समय में खाना भी नुकसानदेह नहीं होगा। लेकिन अगर यह रोज की आदत बन जाए, तो लंबे समय में स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है। समाधान यह हो सकता है कि दिन में कम से कम एक भोजन को समय दिया जाए। उदाहरण के लिए, रात का खाना परिवार के साथ धीरे-धीरे खाया जा सकता है, ताकि शरीर और मन दोनों को लाभ हो।
भोजन को शांति से और चबाकर खाना चाहिए
भारत में परंपरागत रूप से भोजन को सम्मान के साथ धीरे-धीरे खाने की सलाह दी जाती है। आयुर्वेद में भी कहा गया है कि भोजन को शांति से और चबाकर खाना चाहिए, ताकि शरीर की "अग्नि" (पाचन शक्ति) ठीक से काम करे। वहीं, पश्चिमी देशों में फास्ट फूड कल्चर के कारण जल्दी खाना आम बात है। व्यक्तिगत स्तर पर भी हर किसी की आदतें अलग होती हैं।
कुछ लोग स्वाभाविक रूप से तेज खाते हैं, तो कुछ धीरे-धीरे खाने में सहज होते हैं। यह जरूरी है कि हम अपनी बॉडी को सुनें और वही करें जो हमारे लिए सही लगे। आदर्श रूप से, एक भोजन को 20-30 मिनट तक चलना चाहिए, ताकि आप भोजन का पूरा लाभ उठा सकें। लेकिन अगर यह संभव न हो, तो कम से कम भोजन को चबाने और उसका आनंद लेने की कोशिश करें। अंत में, यह आपकी जीवनशैली, स्वास्थ्य लक्ष्यों, और व्यक्तिगत पसंद पर निर्भर करता है। खाना सिर्फ जीने का साधन नहीं, बल्कि जीवन का हिस्सा है—इसे समय और प्यार दें।