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आलस्य हो या बचे भोजन का मोह, बासी खाने को बार-बार गर्म कर उसका सेवन करने से लोग कतराते नहीं हैं। लेकिन, यही आदत सौ बीमारियों को न्योता देती है। आयुर्वेद ताजे पके भोजन को स्वास्थ्य के लिए उत्तम बताता है। भारत सरकार का आयुष मंत्रालय लोगों को बार-बार गर्म किए गए भोजन से होने वाले गंभीर नुकसान के प्रति आगाह करने के साथ ताजे पके भोजन को ही अपनी थाली में शामिल करने की सलाह देता है।
ताजा पका हुआ भोजन ही सेहत की कुंजी
आयुर्वेद के अनुसार, ताजा पका हुआ भोजन ही सेहत की असली कुंजी है, जबकि एक ही खाना बार-बार गर्म करके खाने की आदत शरीर को धीरे-धीरे खोखला कर देती है। आयुर्वेद में इसे स्पष्ट रूप से 'अहितकर भोजन' कहा जाता है। ऐसा भोजन शरीर के तीनों दोषों वात, पित्त और कफ को असंतुलित कर देता है।
वात दोष बढ़ने से व्यवहार में होते हैं यह बदलाव
वात दोष बढ़ने से व्यक्ति को बेचैनी, चिंता, जोड़ों में दर्द और अनिद्रा जैसी समस्याएं होने लगती हैं। पित्त दोष बिगड़ने पर एसिडिटी, गैस, मुंह में जलन, त्वचा पर चकत्ते और गुस्सा बढ़ता है। वहीं, कफ दोष के बढ़ने से आलस्य, भारीपन, मोटापा और सांस संबंधी परेशानियां शुरू हो जाती हैं। लंबे समय तक इस तरह का भोजन करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी भी लगातार कमजोर होने लगती है।
वात दोष बढ़ने के ये हैं लक्षण
ऐसे में व्यक्ति को हर समय थकान, सुस्ती और कमजोरी महसूस होती है। छोटी-छोटी मौसमी बीमारियां भी आसानी से चपेट में ले लेती हैं। चिंता और मानसिक परेशानियां घेरे रहती हैं। खाना गर्म करने पर उसमें मौजूद पोषक तत्व नष्ट होने लगते हैं और कुछ मामलों में हानिकारक यौगिक भी बनने लगते हैं, जो कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ा सकते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, ताजा और सात्विक भोजन ही सबसे बड़ी औषधि है। जो भोजन एक बार पकाकर तुरंत खा लिया जाए, वही शरीर को पोषण देता है और रोगों से बचाता है। आईएएनए : Heart Healthy Foods | Healthy Dish | get healthy | get healthy body | Healthy drinking habits
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