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Fruits Photograph: (IANS)
नई दिल्ली। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग पैकेज्ड फूड पर ज्यादा निर्भर हो गए हैं, लेकिन आयुर्वेद के अनुसार असली ताकत प्राकृतिक फलों से मिलती है। फल शरीर को ऊर्जा देने के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाते हैं। इन्हें सुबह खाली पेट या भोजन के दो घंटे बाद खाना सबसे लाभकारी माना जाता है। मौसमी फल ज्यादा फायदेमंद होते हैं क्योंकि इनमें प्राकृतिक पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं। आयुर्वेद बताता है कि फलों को दूध या भारी भोजन के साथ नहीं खाना चाहिए, बल्कि हल्के और संतुलित आहार के रूप में शामिल करना चाहिए।
सबसे बड़ी औषधि
मालूम हो कि आयुर्वेद में आहार को ही सबसे बड़ी औषधि माना गया है। हमारा शरीर जैसा भोजन ग्रहण करता है, वैसा ही उसका स्वास्थ्य और मन बनता है। यही कारण है कि आयुर्वेद हमें ताजा और मौसमी फल-सब्जियां खाने की सलाह देता है। आयुर्वेद के अनुसार, फल केवल भोजन नहीं, बल्कि औषधि भी हैं। ये शरीर के दोषों (वात, पित्त और कफ) को संतुलित करने में मदद करते हैं। जैसे संतरा और अनार पित्त को संतुलित करते हैं, केला और चीकू वात को शांत करते हैं, जबकि नाशपाती और तरबूज कफ को कम करते हैं। इस प्रकार फल हमारे स्वास्थ्य को समग्र रूप से सुधारते हैं।
मौसमी भोजन ही सबसे पौष्टिक
इसलिए, अगली बार जब आपको भूख लगे, तो पैकेज्ड स्नैक्स की जगह एक सेब, केला या अपनी पसंद का कोई भी फल चुनें। यह आपके स्वास्थ्य के लिए एक स्मार्ट और स्वादिष्ट विकल्प है। मौसमी फल खाने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि वे पचने में आसान होते हैं। उदाहरण के लिए, गर्मियों में तरबूज, खरबूजा और आम शरीर को ठंडक और हाइड्रेशन देते हैं। वहीं, सर्दियों में संतरा, अमरूद और सीजनल जामुन इम्यूनिटी को बढ़ाते हैं। वर्षा ऋतु में जामुन और सीताफल शरीर को पाचन संबंधी समस्याओं से बचाते हैं यानी हर मौसम के फल प्रकृति द्वारा उसी समय की जरूरतों के अनुसार हमें दिए गए हैं। यही वजह है कि आयुर्वेद कहता है कि मौसमी भोजन ही सबसे पौष्टिक है।
सेहत के लिए हानिकारक
लोग अक्सर प्रोसेस्ड फूड या पैकेज्ड नाश्ता करना पसंद करते हैं। इनसे शरीर को सिर्फ कैलोरी मिलती है, न कि जीवनदायी ऊर्जा। पैकेज्ड फूड में अक्सर प्रिजर्वेटिव, अत्यधिक चीनी, नमक और अस्वास्थ्यकर वसा होते हैं, जो सेहत के लिए हानिकारक हो सकते हैं। वहीं, फल प्रकृति का एक अनमोल तोहफा हैं। इसी कारण हमें अपनी दिनचर्या में एक सरल बदलाव करना चाहिए, प्रोसेस्ड और पैकेज्ड नाश्ते को छोड़कर मौसमी फलों को अपनाना चाहिए। यह न केवल हमारे शरीर को हल्का और ऊर्जावान बनाता है, बल्कि मानसिक स्पष्टता और सकारात्मकता भी बढ़ाता है।
मन और मस्तिष्क दोनों सक्रिय
इसके विपरीत यदि हम नाश्ते में मौसमी फलों का सेवन करें तो हमें भरपूर विटामिन, मिनरल्स, फाइबर और प्राकृतिक मिठास मिलती है। उदाहरण के तौर पर, सुबह खाली पेट पपीता या सेब खाने से पाचन तंत्र सक्रिय होता है और दिनभर हल्कापन और ताजगी बनी रहती है। फलों का सबसे बड़ा गुण है, उनमें मौजूद फाइबर। यह पाचन को सही रखता है, शरीर से विषैले तत्व बाहर करता है और भूख को संतुलित बनाए रखता है। इसके अलावा, फलों में नेचुरल मिठास होती है, जो धीरे-धीरे शरीर को ऊर्जा देती है और ब्लड शुगर को संतुलित रखती है। यही कारण है कि फल खाने के बाद हमें सुस्ती नहीं आती, बल्कि मन और मस्तिष्क दोनों सक्रिय रहते हैं।
(इनपुट-आईएएनएस)
Disclaimer: इस लेख में प्रदान की गई जानकारी केवल सामान्य जागरूकता के लिए है। इसे किसी भी रूप में व्यावसायिक चिकित्सकीय परामर्श के विकल्प के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। कोई भी नई स्वास्थ्य-संबंधी गतिविधि, व्यायाम, शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर लें।"
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