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Kidney Disease Symptoms पैरों से मिलते हैं किडनी खराब होने के संकेत, नजरअंदाज करना पड़ सकता है भारी

 किडनी की बीमारी को 'साइलेंट किलर' की क्राइटेरिया में गिनते हैं, क्योंकि इसके शुरुआती लक्षण इतने मामूली होते हैं कि लोग उन्हें सामान्य थकान या उम्र से जुड़ी कोई परेशानी समझ लेते हैं। लेकिन यही लक्षण अगर नजरअंदाज किए जाएं, तो बीमारी गंभीर रूप ले सकती है। 

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Mukesh Pandit
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हमारे शरीर में कई ऐसे अंग होते हैं, जो चुपचाप अपना काम करते रहते हैं। जब तक सब ठीक चलता है, हम शायद कभी इनके बारे में सोचते भी नहीं। लेकिन जैसे ही इनमें कोई गड़बड़ी आती है, पूरा शरीर उसका असर महसूस करने लगता है। इन्हीं में से एक बेहद जरूरी अंग है 'किडनी', ये शरीर में फिल्टर की तरह काम करती हैं। खून को साफ कर विषैले तत्वों को बाहर निकालती हैं। लेकिन जब किडनी कमजोर पड़ जाती है, तो इसका असर सिर्फ पेट या पेशाब तक सीमित नहीं रहता, बल्कि आपके पैरों में भी साफ नजर आने लगता है।

किडनी की बीमारी को 'साइलेंट किलर' माला जाता है

वैज्ञानिक किडनी की बीमारी को 'साइलेंट किलर' की क्राइटेरिया में गिनते हैं, क्योंकि इसके शुरुआती लक्षण इतने मामूली होते हैं कि लोग उन्हें सामान्य थकान या उम्र से जुड़ी कोई परेशानी समझ लेते हैं। लेकिन यही लक्षण अगर नजरअंदाज किए जाएं, तो बीमारी गंभीर रूप ले सकती है। किडनी के खराब होने की स्थिति में शरीर में कई तरह के बदलाव आने लगते हैं, और इनमें से कुछ संकेत हमारे पैरों के जरिए मिलते हैं।

पैरों में अचानक सूजन आना संकेत है

एनआईएच के मुताबिक, अगर आपके पैरों में अचानक सूजन आ जाए, खासकर टखनों और पंजों में, और इसका कोई सीधा कारण न हो, तो यह किडनी की गड़बड़ी का शुरुआती संकेत हो सकता है। स्वस्थ किडनी शरीर से अतिरिक्त पानी और सोडियम को बाहर निकालती हैं, लेकिन जब वे ठीक से काम नहीं करतीं, तो यही तरल पदार्थ शरीर में जमा होने लगते हैं। इसका असर सबसे पहले पैरों पर दिखता है, क्योंकि गुरुत्वाकर्षण के कारण तरल नीचे की ओर जमा होता है। इसे मेडिकल भाषा में एडिमा कहते हैं।

पैरों और उंगलियों के रंग में बदलाव 

शोध में कभी-कभी देखा गया है कि किडनी के सही से काम न करने पर पैरों और उंगलियों के रंग में बदलाव आने लगता है। त्वचा पीली पड़ सकती है या पैरों पर गहरे रंग के धब्बे दिख सकते हैं। इसकी वजह यह है कि जब किडनी विषैले तत्वों को ठीक से बाहर नहीं निकाल पाती, तो वे खून में जमा होने लगते हैं। इसका असर शरीर के अलग-अलग हिस्सों, खासकर पैरों की त्वचा पर पड़ता है। ब्लड सर्कुलेशन भी धीमा हो जाता है, जिससे त्वचा का रंग सामान्य नहीं रहता।

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इसके अलावा, पैरों का सुन्न होना भी इन्हीं लक्षणों में से एक है। बहुत से लोग इसे कमजोरी या नसों की समस्या समझकर टाल देते हैं, लेकिन अगर यह लगातार हो रहा है, तो इसकी वजह किडनी से जुड़ी भी हो सकती है। किडनी की बीमारी से नसों पर असर पड़ता है, जिससे पैरों में अजीब सी सुई चुभने जैसा एहसास या सुन्न पड़ना हो सकता है।

पैरों में बिना कारण खुजली होना

वहीं पैरों में बिना कारण खुजली होना भी खतरे का संकेत है। विषैले पदार्थ बाहर नहीं निकल पाने के चलते धीरे-धीरे त्वचा के नीचे जमने लगते हैं। इससे बेहद तेज खुजली हो सकती है, जो आराम करने या मॉइश्चराइजर लगाने से भी ठीक नहीं होती। इसमें खास बात ये है कि यह खुजली सिर्फ पैरों तक सीमित रह सकती है और दिन के मुकाबले रात में ज्यादा परेशान करती है।

रात में पैरों में ऐंठन या मरोड़

किडनी की खराबी का एक और संकेत है रात में पैरों में ऐंठन या मरोड़। आप चैन से सो रहे हों और अचानक पिंडलियों में तेज दर्द या खिंचाव आ जाए, तो इसे सिर्फ थकान समझकर टालना खतरनाक हो सकता है। असल में किडनी हमारे शरीर के इलेक्ट्रोलाइट्स को संतुलित करती है, जैसे कैल्शियम, मैग्नीशियम और फास्फोरस। अगर इनका संतुलन बिगड़ जाए, तो मांसपेशियों में ऐंठन होना आम है।

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