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भारतीय संस्कृति में पान के पत्ते का महत्व, आयुर्वेद में भी स्वास्थ्य और पाचन का रक्षक

भारतीय संस्कृति में पान का पत्ता सिर्फ स्वाद का साधन नहीं, बल्कि शुभता, औषधीय गुणों और परंपरा का प्रतीक माना जाता है। चाहे पूजा-पाठ हो, शादी-ब्याह या कोई धार्मिक आयोजन, हर शुभ अवसर पर पान का पत्ता जरूर शामिल किया जाता है।

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YBN News
Paanpatta

Paanpatta Photograph: (Paanpatta)

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नई दिल्ली। भारतीय संस्कृति में पान का पत्ता सिर्फ स्वाद का साधन नहीं, बल्कि शुभता, औषधीय गुणों और परंपरा का प्रतीक माना जाता है। चाहे पूजा-पाठ हो, शादी-ब्याह या कोई धार्मिक आयोजन, हर शुभ अवसर पर पान का पत्ता जरूर शामिल किया जाता है। मान्यता है कि पान का पत्ता सकारात्मक ऊर्जा और सौभाग्य का संदेश देता है।

आधुनिक विज्ञान की पुष्टि

वैज्ञानिक शोध भी बताते हैं कि पान के पत्ते का सेवन सीमित मात्रा में करने से स्वास्थ्य को लाभ मिल सकता है। अमेरिकन नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार, पान के पत्ते में प्राकृतिक रूप से एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। कई शोधों में यह पाया गया है कि पान का पत्ता कुछ हद तक कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को रोकने में सहायक हो सकता है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और संक्रमण से लड़ने में मदद करता है। 

आयुर्वेद में पान का महत्व

आयुर्वेद के अनुसार पान का पत्ता पाचन को मजबूत करता है, शरीर को ताजगी प्रदान करता है। वहीं आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल सर्दी-जुकाम, खांसी, गले की खराश और मुंह की दुर्गंध जैसी सामान्य समस्याओं में सदियों से किया जा रहा है। क्योंकि इसके एंटी-बैक्टीरियल गुण मुंह के जीवाणुओं को कम करते हैं। यह गुण पान को भोजन के बाद एक प्राकृतिक माउथ फ्रेशनर बनाता है।

औषधीय गुण

 इसमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो संक्रमण से बचाव और घाव भरने में सहायक होते हैं। इसके अलावा, पान के पत्तों का उपयोग पाचन क्रिया को सुधारने के लिए भी किया जाता है, क्योंकि यह पेट की अम्लता को नियंत्रित करता है और गैस या अपच जैसी समस्याओं को कम करता है। पान के पत्तों में पाए जाने वाले विटामिन सी और अन्य एंटीऑक्सिडेंट्स शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करते हैं।

धार्मिक और सांस्कृतिक उपयोग

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हिंदू धर्म में भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा में पान का पत्ता विशेष महत्व रखता है। शादी के समय दूल्हा-दुल्हन के बीच पान का आदान-प्रदान शुभ माना जाता है। भारतीय संस्कृति में पान का पत्ता शुभता, औषधीय गुणों और हमारी परंपरा का प्रतीक है। चाहे कोई पूजा-पाठ हो, शादी-ब्याह या फिर कोई धार्मिक आयोजन... हर शुभ मौके पर पान का पत्ता अहम होता है। विज्ञान और आयुर्वेद भी इसके गुणों को मान्यता देते हैं। इसके पत्तों में मौजूद औषधीय गुणों से शरीर को कई तरह के लाभ मिलते हैं। 

एक सुंदर प्राकृतिक सजावट

पान की बेल को घर में लगाना बेहद आसान है, क्योंकि इसकी बेल को ज्यादा तेज धूप पसंद नहीं होती। यह बालकनी, बरामदे, या घर की किसी छायादार दीवार के पास आसानी से लगाई जा सकती है। इसकी बेल धीरे-धीरे बढ़ती है और रेलिंग या दीवार पर फैलकर घर को एक सुंदर प्राकृतिक सजावट भी देती है। इसे बीज से नहीं बल्कि बेल की टहनी से उगाया जाता है। 5-6 इंच लंबी टहनी को हल्की नमी वाली मिट्टी में लगाएं, जिसमें गोबर की खाद या कंपोस्ट मिला हो, और पानी दें। ध्यान रहे कि गर्मियों में इसे सीधी धूप से बचाएं और पत्तों पर हल्की स्प्रे करते रहें ताकि नमी बनी रहे। सर्दियों में पानी कम दें, लेकिन मिट्टी को पूरी तरह सूखने भी न दें। अगर पत्तों पर कीड़े लग जाएं तो नीम के पानी या घरेलू कीटनाशक छिड़क दें।

(इनपुट-आईएएनएस)

Disclaimer: इस लेख में प्रदान की गई जानकारी केवल सामान्य जागरूकता के लिए है। इसे किसी भी रूप में व्यावसायिक चिकित्सकीय परामर्श के विकल्प के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। कोई भी नई स्वास्थ्य-संबंधी गतिविधि, व्यायाम, शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर लें।"

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