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गर्भावस्था के नौ महीने बनाएं आरामदायक, अपनाएं ये सरल आसन

गर्भावस्था के नौ महीनों को आरामदायक बनाने के लिए योग और हल्के व्यायाम बेहद लाभकारी हैं। विशेषकर कटि-भुजंगासन, वज्रासन, शिशु-आसन और बैठकर स्ट्रेचिंग करने से पीठ और कमर दर्द में राहत मिलती है।

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YBN News
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pregnancyYoga Photograph: (ians)

नई दिल्ली। गर्भावस्था के नौ महीनों को आरामदायक बनाने के लिए योग और हल्के व्यायाम बेहद लाभकारी हैं। विशेषकर कटि-भुजंगासन, वज्रासन, शिशु-आसन और बैठकर स्ट्रेचिंग करने से पीठ और कमर दर्द में राहत मिलती है। सांस पर ध्यान केंद्रित करने वाले प्राणायाम, जैसे अनुलोम-विलोम और गहरी श्वास, मानसिक तनाव कम करते हैं। रोजाना 15–20 मिनट का हल्का व्यायाम और सही मुद्रा अपनाना प्रसव को भी आसान बनाता है। हालांकि, किसी भी नए आसन या व्यायाम को अपनाने से पहले गर्भकालीन चिकित्सक की सलाह जरूरी है।

नियमित व्यायाम खासकर योग

आयुष मंत्रालय की सलाह है कि ऐसे में नियमित व्यायाम खासकर योग, मां और शिशु दोनों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। गर्भावस्था एक महिला के लिए सबसे खूबसूरत पल होता है, लेकिन इसी के साथ ही महिलाओं के शरीर में हार्मोनल बदलाव, वजन बढ़ना और थकान जैसी कई चुनौतियां आती हैं। योग न केवल दर्द कम करता है, बल्कि प्रसव प्रक्रिया को आसान बनाता है और मानसिक शांति प्रदान करता है। आइए जानें कुछ सुरक्षित योगासन जो गर्भावस्था के नौ महीनों को आरामदायक बना सकते हैं।

भद्रासन -

आयुष मंत्रालय के अनुसार यह आसन गर्भवती महिलाओं के लिए शारीरिक और मानसिक संतुलन को बेहतरीन बनाता है। इसे करने से कूल्हे, घुटने और रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है। साथ ही, लचीलापन बढ़ता है, जिससे कमर दर्द और जोड़ों की अकड़न दूर होती है। गर्भावस्था में होने वाली सूजन और मासिक धर्म जैसी असुविधाओं में भी यह राहत देता है। यह आसन रोजाना 5-10 मिनट करने से शरीर डिलीवरी के लिए तैयार रहता है। बस, इसे सहजता से करें और जरूरत पड़ने पर कुशन का सहारा लें।

बद्धकोणासन -

इसे बटरफ्लाई पोज भी कहते हैं। आयुष मंत्रालय बताता है कि यह कूल्हों और जांघों में खिंचाव लाता है और रक्त प्रवाह बेहतर करता है। इससे प्रसव प्रक्रिया सरल हो जाती है। पाचन क्रिया दुरुस्त रहती है और कब्ज की शिकायत कम होती है। पीठ दर्द और पैरों में ऐंठन जैसी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। गर्भावस्था के मध्य चरण में यह विशेष रूप से फायदेमंद है। इसे बैठकर घुटनों को तितली की तरह फड़फड़ाते हुए करें, लेकिन डॉक्टर की सलाह के बाद ही करना चाहिए।

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बालासन-

बालासन भी एक कोमल आसन है। आयुष मंत्रालय की मानें तो गर्भवती महिलाएं इसे सावधानी से कर सकती हैं। यह तनाव घटाता है, पीठ के निचले हिस्से में आराम देता है और पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है, हालांकि पेट पर दबाव न पड़े, इसलिए घुटनों के नीचे तकिया रखें। योग प्रशिक्षक की देखरेख में ही अपनाएं, खासकर तीसरे ट्राइमेस्टर में। यह आसन मां को शांत नींद और ऊर्जा प्रदान करता है।

ध्यान-

योग का अभिन्न अंग है ध्यान। आयुष मंत्रालय प्राणायाम और मेडिटेशन को गर्भावस्था में अनिवार्य बताता है। रोजाना 10-15 मिनट ध्यान करने से चिंता, डिप्रेशन दूर होता है। शिशु का मस्तिष्क विकास बेहतर होता है। मां-बच्चे के बीच भावनात्मक बंधन मजबूत बनता है। सांस पर फोकस करें, सकारात्मक विचार लाएं, यही ध्यान का सार है।

विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भावस्था में योग शरीर को लचीला बनाता है, इम्यूनिटी बढ़ाता है, लेकिन याद रखें कि कोई भी आसन शुरू करने से पहले स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श जरूरी है। अपने शरीर की सुनें।

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(इनपुट-आईएएनएस)

Disclaimer: इस लेख में प्रदान की गई जानकारी केवल सामान्य जागरूकता के लिए है। इसे किसी भी रूप में व्यावसायिक चिकित्सकीय परामर्श के विकल्प के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। कोई भी नई स्वास्थ्य-संबंधी गतिविधि, व्यायाम, शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर लें।"

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